Ghanshyam Tiwari Latest News – घनश्याम तिवाड़ी बीजेपी के उन नेताओ में आते है जिन्होंने पार्टी की स्थापना के समय ही इसकी सदस्यता ली है. घनश्याम तिवाड़ी राजस्थान बीजेपी के वरिष्ठ नेता है. वह छः बार विधायक चुने जा चुके है. वह राजस्थान सरकारों में मंत्री भी रह चुके है. भले ही कुछ समय के लिए उनकी पार्टी से दूरियां हो गई थी पर बाद में वह फिर से भाजपा में शामिल हो गए और पार्टी ने भी अपने वरिष्ठ नेता का पूरा ध्यान रखा. वह इस समय बीजेपी से राज्य सभा सांसद है एवं उन्हें वर्ष 2024 में सभापति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा की आचार समिति का अध्यक्ष भी नियुक्त किया है. इस लेख में हम आपको राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी की जीवनी (Ghanshyam Tiwari Biography in Hindi) के बारें में जानकारी देने वाले है.
घनश्याम तिवाड़ी की जीवनी (Ghanshyam Tiwari Biography in Hindi)
पूरा नाम | घनश्याम तिवाड़ी |
उम्र | 76 साल |
जन्म तारीख | 19 दिसंबर, 1947 |
जन्म स्थान | खूड़, सीकर, राजस्थान |
शिक्षा | बी.कॉम., एल.एल.बी. |
कॉलेज | राजस्थान विश्वविद्यालय |
वर्तमान पद | राज्यसभा सांसद |
व्यवसाय | राजनीतिज्ञ, वकालत, खेती |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पिता का नाम | स्वर्गीय श्री सुआलाल तिवाड़ी |
माता का नाम | स्वर्गीय श्रीमती शकुंतला देवी तिवाड़ी |
पत्नी का नाम | पुष्पा तिवाड़ी |
बच्चे | दो बेटे और एक बेटी |
बेटें का नाम | – |
बेटी का नाम | – |
स्थाई पता | मातृमंदिर, ई-183-184, राम पथ श्याम नगर, जयपुर- |
वर्तमान पता | बंगला नंबर 16, जनपथ, नई दिल्ली |
फोन नंबर | 9013181599,9013181588, 23071150 |
ईमेल | gtiwari[dot]mprs[at]sansad[dot]nic[dot]in |
घनश्याम तिवाड़ी का जन्म और परिवार (Ghanshyam Tiwari Birth & Family)
घनश्याम तिवाड़ी का जन्म राजस्थान के सीकर जिले के खूड़ में 19 दिसंबर, 1947 को हुआ था. उनकी शादी पुष्पा तिवाड़ी से हुई थी. घनश्याम तिवाड़ी की तीन संतान है. उन्हें दो बेटे और एक बेटी है. इनके बड़े बेटे का नाम आशीष तिवाड़ी है. घनश्याम तिवाड़ी हिन्दू है और जाति से ब्राह्मण है.उनपर कोई आपराधिक मुकदमा नहीं है.
घनश्याम तिवाड़ी की शिक्षा (Ghanshyam Tiwari Education)
घनश्याम तिवाड़ी ने वकालत की पढाई की थी. घनश्याम तिवाड़ी ने श्री कल्याण संस्कृत महाविद्यालय, सीकर से स्नातक की. संस्कृत महाविद्यालय से स्नातक करने के बाद घनश्याम तिवाड़ी ने वर्ष 1971 में राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री ली थी.
घनश्याम तिवाड़ी का शुरूआती जीवन (Ghanshyam Tiwari Early Life)
घनश्याम तिवाड़ी पढाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य रह चुके है. उन्होंने शुरूआती दिनों में छात्र राजनीति में कदम रखा. बाद में उन्हें छात्र संघ का महासचिव बना दिया गया. जब वकालत करने विश्वविद्यालय गए तब उन्हें छात्र संघ का गठनकर्ता और उपाध्यक्ष बना दिया गया. उसी अवधि में घनश्याम तिवाड़ी आर एस एस से भी जुड़ गए और संघ का समर्पित कार्यकर्त्ता बन गए.
घनश्याम तिवाड़ी का राजनीतिक करियर (Ghanshyam Tiwari Political Career)
घनश्याम तिवाड़ी की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत वर्ष 1968 से हुई थी. वह श्री कल्याण संस्कृत महाविद्यालय में पढाई के दौरान ABVP में शामिल होकर विभिन्न पदों पर आसीन हुए. उन दिनों वह कॉलेज में हुए छात्र चुनाव में भाग लिया और उन्हें कॉलेज में महामंत्री का चुनाव जीतने का सौभाग्य मिला. लेकिन इसके बाद भी राजनीति का मार्ग इतना आसान नहीं था क्योकि उन दिनों कांग्रेस का बोलवाला था. जबकि तिवाड़ी संघ की छात्र इकाई एबीवीपी से जुड़े हुए थे ऐसे में उन्हें आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी. तिवाड़ी इसके बाद जयपुर आ गए और यही से आगे की राजनीतिक यात्रा का पड़ाव पार किया.
1975 का आपातकाल और घनश्याम तिवाड़ी
इंदिरा गांधी ने जब 1975 में जब देश में आपातकाल लगाया था तब देश में हर ओर हाहाकार मच गया था पर तानाशाही इंदिरा गांधी को इससे कोई मतलब नहीं था वह हर ओर अत्याचार किये जा रही थी. न्यायपालिका, व्यवस्थापिका और कार्यपालिका तीनों की शक्ति का वह खुलकर दुरूपयोग कर रही थी. जो भी उसका और कांग्रेस का विरोध करता उसे बिना सुनवाई के सीधे जेल में डाल दिया जाता. उन्हें कड़ी से कड़ी यातना दी जाती. इंदिरा गांधी ने उन दिनों भारत की जनता पर उतना ही अत्याचार किया जितना अंग्रेजो और मुगल आक्रांता ने किया था. पर घनश्याम तिवाड़ी जैसे नेता भी कहां डरने वाले थे. उन्होंने आपातकाल में जमकर इंदिरा का विरोध किया और खुलकर लड़ाई लड़ी. बताया जाता है उस समय तक तिवाड़ी पूरी तरह से राजनीति में आ गए थे. सौभाग्य रही कि उन्हें राजस्थान के लोगो का भरपूर सहयोग मिला और इसी सहयोग के बल पर घनश्याम तिवाड़ी ने इंदिरा के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया. फिर परिणाम वही निकला जो उन दिनों इंदिरा गांधी ने तय कर रखा था. घनश्याम तिवाड़ी को जेल भेज दिया गया. बताया जाता है कि उन्हें जेल में बुरी तरह से यातना दी गई थी. फिर क्या था जय प्रकाश नारायण और अटल बिहारी जैसे राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने तिवाड़ी के बचाव के लिए राष्टीय स्तर पर आवाज लगाई. इंदिरा सरकार की तानाशाही का खुलकर विरोध किया. कहते है घनश्याम तिवाड़ी के लिए वह समय भले ही जीवन का सबसे भयानक समय था पर उसी के बाद उनकी पहचान राजस्थान में राज्य स्तर पर हो गई थी, जो आगे चलकर उनकी उज्ज्ज्वल राजनीतिक भविष्य की दिशा तय की. तिवाड़ी को जेल से रिहा किया गया और राज्य में उनके साहस की प्रशंसा हुई.
आपातकाल के बाद घनश्याम तिवाड़ी की राजनीतिक यात्रा
आपातकाल के बाद घनश्याम तिवाड़ी न केवल सीकर और जयपुर बल्कि समूचे राजस्थान में एक जाना माना नाम के रूप में उभरे थे. 1980 में ही जनता दल की आंतरिक कलह के कारण कुछ सदस्य पार्टी से अलग हो गए और उन्होंने पुरानी पार्टी जनसंघ को नया रूप देकर एक नए नाम के साथ नई पार्टी बनाई. इसका नाम पड़ा भारतीय जनता पार्टी. घनश्याम तिवाड़ी अब भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. इस तरह घनश्याम तिवाड़ी भारतीय जनता पार्टी के स्थापना के समय से ही सदस्य रहे है. बाद में उनकी गिनती क्षेत्र के चर्चित नेताओ में होने लगी. इसी कारण उन्हें 1980 में सीकर से चुनाव में टिकट दिया गया और पहली बार में ही वह जीतकर विधायक बन गए. इसके बाद वह पुनः राज्य में हुए 1985 के विधान सभा में भी सीकर विधान सभा का प्रतिनिधित्व किया. वह लगातार दो बार (1980-89) सीकर से विधायक चुने गए थे. उन दिनों वह भाजपा प्रयाशी के तौर पर कांग्रेस के दिग्गज नेता तथा नगरपरिषद में सभापति रहें सोमनाथ त्रिहन को भारी मत से हराया था.
इसके बाद घनश्याम तिवाड़ी वर्ष 1985 के राज्य विधानसभा चुनाव में भी जीत दर्ज की थी. इस बार भी वह सीकर से ही विधायक चुन कर गए थे. पर इसके बाद वह सीकर से दुरी बना ली और जयपुर की ओर कूच कर गए. इसके बाद उनकी रानीतिक यात्रा जयपुर से आगे बढ़ने लगी.
घनश्याम तिवाड़ी वर्ष 1991 में राजस्थान बीजेपी के महासचिव बनाये गए. वह वर्ष 1985 से लेकर वर्ष 2003 तक राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष रह चुके है. इसके बाद घनश्याम तिवाड़ी वर्ष 1992 से लेकर वर्ष 1994 तक भाजपा राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहें है. इसके अलावे वह इन्ही वर्षो के दौरान राजस्थान भाजपा के प्रवक्ता और राजस्थान चुनाव समिति के सदस्य भी रह चुके है.
घनश्याम तिवाड़ी राज्य की वसुंधरा राजे सरकार में कैबिनेट में भी शामिल रहे है. राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार में में तिवाड़ी दिसंबर 2007 – 2008 तक खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री, विधि एवं न्याय मंत्री और शिक्षा मंत्री बनाये गए थे. इससे पहले भी वह राज्य में भाजपा की बनने वाली सरकार में मंत्री रह चुके है. घनश्याम तिवाड़ी जुलाई 1998 से लेकर नवंबर 1998 तक भैरोसिंह शेखावत की सरकार में ऊर्जा मंत्री बनाये गए थे.
यदि शिक्षा मंत्री रहते उनकी उपलब्धियों की बात करें तो उन्होंने अपने कार्यकाल में राज्य में डेढ़ लाख से अधिक शिक्षको को बहाल किया था. उन्होंने छात्रों के बीच निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें वितरित कीं और प्रत्येक एक किलोमीटर की दुरी पर राज्य में एक स्कूल खोलने का कार्य किया था. उनके कार्यो की यहाँ चर्चा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योकि उनके मंत्री पद के कार्यो को देश का सर्वोच्च न्यायालय ने भी प्रशंसा की थी. शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने राज्य में बहुत काम किया जिससे राज्य की साक्षरता की दर में बेतहासा वृद्धि हुई और उन्हें इसका श्रेय दिया गया. इसी उपलब्धि के कारण उन्हें यूनेस्को कन्फ्यूशियस पुरस्कार से दिया गया था.
बाद में वसुंधरा राजे से उनकी वैचारिक मतभेद हो गई. उन्होंने आरोप लगाया कि शीर्ष नेतृत्व राज्य में मध्यम स्तर के नेताओ की बातों की अनसुनी कर देते है. इसके बाद घनश्याम तिवाड़ी वर्ष 2018 में अपनी स्वयं की पार्टी बनाई. नाम रखा भारत वाहिनी. उन्होंने राज्य में अपनी पार्टी के तले प्रत्याशी भी खड़े करवाए और स्वयं भी जयपुर से खड़े हुए पर दुर्भाग्य से उनका यह दांव बुरी तरह से असफल रहा और उनकी पार्टी से खड़े सभी उम्मीदवार हार गए स्वयं ही जयपुर से सांगानेर सीट जमानत जब्त करवा लिया. इतनी बड़ी हार के बाद वह 2019 में कांग्रेस में शामिल हो गए और राहुल गांधी के रोड शो में भी भाग लिया पर कांग्रेस से वैचारिक मतभेद के चलते उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और अपने जन्मदिन 19 दिसंबर को भाजपा में फिर से शामिल हो गए.
घनश्याम तिवाड़ी वर्ष 2022 में भाजपा के टिकट पर राजस्थान से राज्य सभा सांसद बनाये गए. वही 11 अक्टूबर 2024 को सभापति जगदीप धनखड़ ने उन्हें राज्यसभा की आचार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया.
वर्तमान में घनश्याम तिवाड़ी भारतीय जनता पार्टी से राज्य सभा सांसद है.
घनश्याम तिवाड़ी की संपत्ति (Ghanshyam Tiwari Net Worth)
राज्यसभा चुनाव के समय में दाखिल किये गए हलफनामें के अनुसार घनश्याम तिवाड़ी की संपत्ति 5 करोड़ रूपये हैं. जबकि उनपर 6 करोड़ रूपये का कर्ज हैं.
इस लेख में हमने आपको राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी की जीवनी (Ghanshyam Tiwari Biography in Hindi) के बारे में जानकारी दी है. अगर आपका कोई सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं.