‘मोदी मॉडल’ की तर्ज पर तय होगी योगी की नई टीम, युवाओं और सोशल इंजीनियरिंग पर रहेगा फोकस

यूपी में योगी की नई टीम लगभग फाइनल, मोदी मॉडल की छाप दिखेगी योगी मंत्रिमंडल में, युवा चेहरों पर खेला जा सकता है दांव, सोशल इंजीनियरिंग 2022 को लेकर रहेगी फोकस, 25 से 30 जुलाई के बीच हो सकती है शपथग्रहण समारोह, स्वतंत्र देव सिंह और सुनील बंसल दिल्ली आलाकमान से लगवाने पहुंचे मुहर

'मोदी मॉडल' की तर्ज पर तय होगी योगी की नई टीम
'मोदी मॉडल' की तर्ज पर तय होगी योगी की नई टीम

Politalks.News/UttarPradesh. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के बहुप्रतिष्ठित मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अटकलें फिर तेज हो गई हैं. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन महामंत्री सुनील बंसल दिल्ली दौरे के बाद माना जा रहा है कि दिल्ली आलाकमान की मंजूरी के बाद योगी मंत्रिमंडल विस्तार जल्द हो जाएगा. मंत्रिमंडल को लेकर प्रदेश संगठन और योगी सरकार की ओर से तैयार पैनल पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और महामंत्री संगठन बीएल संतोष के साथ मंथन भी होना है. सूत्रों का कहना है कि कुछ मंत्रियों की छुट्टी होगी तो कुछ के विभाग के बदले जाएंगे, साथ ही कुछ नए चेहरों को भी मौका मिल सकता है. जानकारों की मानें तो योगी मंत्रिमंडल में भी ‘मोदी मॉडल‘ देखने को मिल सकता है.

सूत्रों के मुताबिक, आलाकमान से मिली हरी झंडी के बाद अब इसी महीने के अंत तक योगी मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है. संगठन की ओर से 25, 26 और 30 जुलाई की तारीख का प्रस्ताव दिया गया है. अब किस दिन विस्तार होना है, इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही मुहर लगाएंगे. आपको बता दें कि यूपी की योगी सरकार में 6 मंत्रियों के लिए जगह खाली है. ऐसे में बीजेपी की कोशिश है कि जातीय, क्षेत्रीय समीकरण को इनके जरिए साधा जाए. साथ ही यूपी मंत्रिमंडल में एक महिला नेता की भी एंट्री हो सकती है. साथ ही एमएलसी की चार सीटों पर भी सहयोगियों को मौका दिया जा सकता है और संभावित मंत्रियों को विधान परिषद के मार्फत एंट्री दी जा सकती है.

यह भी पढ़े: पेगासस जासूसी मामले में कांग्रेस के आरोप और BJP के प्रत्यारोप के बीच अमित शाह ने समझाई क्रोनोलॉजी

योगी मंत्रिमडल में दिखेगी ‘मोदी मॉडल’ की छाप
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में अब उन नेताओं को जगह मिल सकती है, जिन्हें मोदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई है. ताकि यूपी में बिगड़े हुए संतुलन को फिर ठीक किया जा सके. इनमें सबसे पहला नाम निषाद पार्टी के संजय निषाद का है. संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है, ऐसे में अब संजय निषाद को यूपी कैबिनेट में जगह देकर इसकी भरपाई की जा सकती है.

योगी का मिशन-2022
इसके साथ ही 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र राजभर समुदाय के किसी नेता को यूपी कैबिनेट में जगह दी जा सकती है. पहले ओमप्रकाश राजभर मंत्रिमंडल का हिस्सा थे, लेकिन अब उन्होंने अपना अलग मोर्चा बना लिया है. इनके अलावा बीजेपी की नज़र ब्राह्मण चेहरे पर भी टिकी है, क्योंकि हाल ही में बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी तीनों ने ही ब्राह्मण समुदाय को लुभाने की कोशिश की है. बसपा तो ब्राह्मण सम्मेलन भी करने की तैयारी में है.

जितिन प्रसाद की हो सकती है एंट्री!
मोदी मंत्रिमंडल विस्तार के मॉडल के अनुसार कुछ नेताओं की मंत्रिमंडल में एंट्री हो सकती है. यूपी की योगी सरकार में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जितिन प्रसाद की एंट्री हो सकती है, उन्हें विधानपरिषद के जरिए मंत्रिमंडल में लाया जा सकता है. जितिन प्रसाद ने हाल ही में हाथ का साथ छोड़ कर बीजेपी का झंडा थामा है. वहीं, कायस्थ समुदाय को साधने के लिए ओपी श्रीवास्तव का नाम सबसे आगे चल रहा है.

यह भी पढ़े: उत्तरप्रदेश में ‘हाथ’ को चाहिए किसी का ‘साथ’!, ‘भूतकाल’ के अनुभव से ‘धर्मसंकट’ में बहनजी!

खराब छवि वाले मंत्रियों पर गिर सकती है गाज
बीते दिनों लखनऊ में बीजेपी मुख्यालय और सीएम आवास पर हुई बैठकों में मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले नए चेहरों पर चर्चा हुई. इस दौरान 75 वर्ष उम्र पूरे कर चुके और खराब परफॉर्मेंस के आधार पर हटाए जाने वाले मंत्रियों के नाम पर मंथन हुआ है. जानकारों के मुताबिक जनता के बीच अच्छा संदेश देने के लिए केंद्र सरकार की तर्ज पर खराब छवि वाले और विभाग में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने वाले मंत्रियों को हटाया जाएगा. विभाग में ख़ास परफॉर्मेंस न कर पाने वालों के विभाग बदलने को लेकर कोर कमेटी की सहमति बन गई है. विपक्षी दलों के वोट बैंक में सेंधमारी और वोट बैंक को साधे रखने के लिए कुछ नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल भी किए जाने पर चर्चा हुई है. बीते दिनों दिल्ली से लेकर लखनऊ में संघ की लगातार हुई बैठकों में यह निर्णय किया गया है कि अपेक्षा के अनुरूप काम न करने वाले हटाए जाए. सरकार और संगठन की छवि खराब करने वाले मंत्रियों को हटाया जाए. RSS ने सख्त संदेश दिए हैं कि ऐसे किसी भी मंत्री को नहीं रखा जाएगा जिसकी वजह से सरकार की छवि को नुकसान हो.

संघ चाहता है नहीं हटाया जाए कोई मंत्री- सूत्र
सूत्रों का कहना है कि संघ ने बीजेपी को मौजूदा कैबिनेट से किसी को भी नहीं हटाने की सलाह दी है. बीजेपी को इससे फायदा होने की बजाए नुकसान हो सकता है. यूपी बीजेपी ने ये सलाह मान भी ली है. रविवार को लखनऊ में संघ, सरकार और संगठन की समन्वय बैठक हुई थी. जिसमें सीएम सीएम योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, संगठन महामंत्री सुनील बंसल और दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा, संघ के सर कार्यवाह दत्रात्रेय होसबोले के साथ मौजूद रहे. उसमें मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सहमति बनी.

यह है UP के मंत्रिमंडल का गणित
उत्तर प्रदेश सरकार में अधिकतम 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं. मौजूदा मंत्रिमंडल में 23 कैबिनेट मंत्री, 9 स्वतंत्र प्रभार मंत्री और 22 राज्यमंत्री हैं, यानी कुल 54 मंत्री हैं. इस हिसाब से 6 मंत्री पद अभी भी खाली हैं. ऐसे में योगी सरकार अगर अपने कैबिनेट से किसी भी मंत्री को नहीं हटाती है तो भी 6 नए मंत्री बनाए जा सकते हैं. चुनावी साल है इसलिए योगी सरकार कैबिनेट में कुछ नए लोगों को शामिल कर प्रदेश के सियासी समीकरण को साधने का दांव चल सकती है.

यह भी पढ़े: पंजाब कांग्रेस में और बढ़ेगा ‘पंगा’, कौन होगा अगला मुखिया ‘महाराजा’ या ‘खिलाड़ी’?

योगी मंत्रिमंडल का दूसरी बार मंत्रिमंडल का होगा विस्तार
उत्तरप्रदेश सरकार के 19 मार्च 2017 को गठन के बाद योगी सरकार ने 22 अगस्त 2019 को मंत्रिमंडल विस्तार किया था. कोरोना के चलते तीन मंत्रियों का निधन हो चुका है. हाल ही में राज्यमंत्री विजय कुमार कश्यप की मौत हो गई थी, जबकि कोरोना की पहली लहर में मंत्री चेतन चौहान और मंत्री कमल रानी वरुण का निधन हो गया था. पहले मंत्रिमंडल विस्तार में 6 स्वतंत्र प्रभार मंत्रियों को कैबिनेट की शपथ दिलाई गई थी। इसमें तीन नए चेहरे भी थे.

बीजेपी ने कार्यसमिति की मीटिंग में किया था मंथन
आपको बता दें कि अभी हाल ही में लखनऊ में भाजपा कार्यसमिति की बैठक हुई है, जिसमें केंद्रीय नेतृत्व के नेता भी शामिल हुए थे जबकि जेपी नड्डा ने बैठक को संबोधित किया था. इस मीटिंग के अलावा हाल ही में लखनऊ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के बीच बैठक हुई. इस मीटिंग में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए थे, जिसमें आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर मंथन किया गया. ऐसे में इस महामंथन के बाद चुनाव से पहले एक बार फिर मंत्रिमंडल में बदलाव की बात सामने आई है. बता दें कि उत्तर प्रदेश में अगले साल मार्च-अप्रैल के बीच विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. भाजपा के अलावा अन्य पार्टियों ने भी चुनाव की तैयारी तेज़ कर दी है. समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी लगातार कई बैठकें और अन्य गतिविधियां करते दिख रहे हैं.

Leave a Reply