पाॅलिटाॅक्स न्यूज. दिल्ली चुनाव के लिए जैसे-जैसे मतदान का दिन नजदीक आता जा रहा है, राजनीतिक सरगर्मियां तेजी के साथ बढ रही हैं. हर चुनाव की तरह, यह चुनाव भी अपने मुख्य मुददों से भटकना शुरू हो गया है. जनता की समस्या से जुडे राज्य स्तरीय मुददों से अलग हटकर राष्ट्रीय मुद्दों की ओर दिल्ली विधानसभा चुनाव को ले जाने का पुरजोर प्रयास शुरू हो चुका है.
वहीं बात करें अगर शाहीन बाग की, क्या नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के लिए शुरू हुआ आंदोलन अब राजनीति पार्टियों के लिए वोटों की गणित का मुद्दा बनता जा रहा है. पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में चल रहा घटनाक्रम तो इसी और इशारा कर रहा है. सीएए के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहे आंदोलन को भाजपा नेता दिल्ली चुनाव का मुख्य मुददा बनाने में लग गए हैं. पिछले पांच दिनों के घटनाक्रमों पर नजर डाली जाए तो भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर दिल्ली के विधानसभा स्तर तक के नेता शाहीन बाग आंदोलन का जिक्र कर वोटों के ध्रुवीकरण के काम को अंजाम दे रहे हैं.
शाहीन बाग के मौजूदा हालातों पर एक नजर डालें तो इस प्रदर्शन में युवा, बुजुर्ग और महिलाएं भी शामिल हैं. महिलाओं ने 15 दिसम्बर से यहां मोर्चा संभाला हुआ है. आधे-अधूरे मन से ही सही लेकिन दुकानदार भी इस प्रदर्शन में शामिल हैं. यहां मौजूद दुकानदारों/व्यापारियों में 60 फीसदी मुस्लिम तो 40 फीसदी हिंदू हैं लेकिन प्रदर्शन में सभी खड़े हैं. इनका कहना है कि सरकार भेदभाव वाला कानून न लाती तो कुछ नहीं होता. हम आज विरोध नहीं करेंगे तो कल नुकसान ज्यादा होगा. सीएए के बाद एनआरसी लाया जाएगा और लोगों को लाइन में लगना पड़ेगा.
आम आदमी पार्टी से राजनीतिक सफर शुरू कर भाजपा का दामन थामने वाले कपिल मिश्रा ने दिल्ली के चुनाव को भारत-पाकिस्तान के बीच मुकाबला ही बता दिया. हालांकि चुनाव आयोग की शिकायत पर कपिल मिश्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के साथ ही कपिल मिश्रा को भी समझ में आ गया कि चुनाव भारत पाकिस्तान के बीच मुकाबले का नहीं बल्कि जनता से जुडे मुददों का है.
अमित शाह भी एक रैली में बोले – शाहीन बाग आंदोलन के कारण दिल्ली के लोगों को परेशानियां हो रही हैं लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल वहां नहीं जा रहे हैं. इस पर पलटवार करते हुए केजरीवाल बोले- सीएए कानून अमित शाह की सरकार लाई है, अगर कुछ लोगों को इस कानून से असहमति है तो गृहमंत्री को उनके पास जाकर समझाइस करनी चाहिए. इसके साथ ही अगर कोई कानून व्यववस्था की बात है तो गृहमंत्री के अधिनस्थ दिल्ली पुलिस है, वो जैसा उचित समझे कार्रवाई करें.
वहीं अमित शाह ने कहा कि शाहीन बाग आंदोलन के पीछे अरविंद केजरीवाल खडे हैं तो केजरीवाल भी कहां चूकने वाले थे, उन्होंने कहा कि शाहिन बाग आंदोलन का फायदा भाजपा उठाना चाहती है. इसके बाद आप नेताओं ने बयान दिए कि भाजपा के पास दिल्ली चुनाव में जनता के बीच जाने के लिए मुददे नहीं है, इसलिए शाहीन बाग आंदोलन को मुददा बनाकर भाजपा नेता वोटों का ध्रुवीकरण करने में लगे हैं. यह भी सही है कि शाहीन बाग का आंदोलन पिछले दो महीनों सेचल रहा है लेकिन दिल्ली चुनाव की घोषणा के बाद पिछले दस दिनों में अचानक इसकी चर्चा गली मोहल्ले में होनी शुरू हो गई है. चुनाव से जुडे विशेषज्ञों का यह भी कहना रहा है कि कुछ मीडिया हाउस भी दिल्ली के मुख्य मुददों से अलग हटकर शाहीन बाग पर केंद्रीत हो चुके हैं.
भाजपा के एक केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की जनसभा से समझा जा सकता है कि भाजपा नेता क्या चाहते हैं. अनुराग ठाकुर ने रिठाला विधानसभा में एक जनसभा के दौरान लोगों से विवादित नारा लगवाया. नारा था देश के गद्दारों को गोली मारों …. को. अब कोई पूछे भाजपा के इस नेता से गद्दार कौन है और वो किसे गोली मरवाना चाहते हैं. खैर, चुनाव आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर पहले अनुराग ठाकुर को नोटिस थमाया गया बाद में उन्हें स्टार प्रचारकों की लिस्ट से भी हटा दिया गया है.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के गोली मारो…वाले नारे को लेकर विवाद थमा भी नहीं कि अनुराग ठाकुर के बयान पर मुंबई के नागपाड़ा में एआईएमआईएम नेता ओवैसी ने रैली में कहा, अनुराग ठाकुर मैं तुम्हें चुनौती देता हूं, तुम भारत में कोई भी जगह चुन लो जहां तुम गोली मारोगे, वहीं आने को तैयार हूं. अब इसमें औवेसी भी कूद पडे हैं. स्वाभाविक है हिंदू और मुस्लिम पार्टियों की छाप लेकर घूम रहे यह नेता अच्छी तरह से वोटों के ध्रुवीकरण की गणित को समझते हैं.
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बीजेपी की इस ध्रुवीकरण की राजनीति में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा के बाद भाजपा के ही एक और नेता सांसद प्रवेश वर्मा ने शाहीन बाग को लेकर अपना एक बयान ठोक डाला.
पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा ने रणहौला में आयोजित सभा के दौरान अपने संबोधन में शाहीन बाग में चल रहे आंदोलन को लेकर कहा कि दिल्ली में अगर भाजपा की सरकार बनी तो एक घंटे के अंदर पूरे शाहीन बाग को खाली करा लिया जाएगा. शाहीन बाग में एक भी आदमी नजर नहीं आएगा. यहां बीजेपी का एक छिपा हुआ मैसेज ये भी है कि चुनावों से पहले बीजेपी इस मामले में हाथ नहीं लगाएगी. यानि चुनाव और नतीजे आने तक जो चल रहा है, वो चलने दिया जाए.
प्रवेश वर्मा ने आगे कहा कि आज शाहीन बाग में पांच लाख लोग जुटे हैं, यदि दिल्ली में भाजपा की सरकार नहीं बनी तो वहां 20 लाख लोग जुटेंगे. इतना ही नहीं उन्होंने यह तक कह दिया कि आंदोलन में शामिल होने वाले लोग आपके घरों में घुसकर रेप करेंगे. भाजपा सांसद यही तक नहीं रूके उन्होंने एक एलान और कर दिया कि दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी तो सरकारी जमीनों पर बनी मस्जिदों को हटवा देंगे.
अब ऐसे में चुनाव पर नजर रख रहे बुद्धिजीवी लोग ऐसे बयानों पर हंस रहे हैं. दिल्ली की पीढ़ी लिखी जनता को ये पार्टियां क्या समझाना चाहती हैं..? जब दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन हैं तो फिर शाहीन बाग आंदोलन स्थल से लोगों को हटाने के लिए उन्हें दिल्ली में कैसा राज चाहिए. सबकुछ यानि कानून व्यवस्था तो आखिकार गृहमंत्री के अधीनस्थ ही है और उससे बड़ी बात सरकार बनने के एक घण्टे के अंदर खाली करवा देंगे तब कौनसी नई शक्ति आएगी जो अभी नहीं है. बीजेपी के लगातार आरोप हैं कि शाहीन बाग में आतंकवाद जैसी गतिविधियां हैं, पीएम मोदी को मारने की बात वहां होती है, तो जो सरकार जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य में इतना बड़ा स्टेप उठा सकती है उसके लिए शाहीन बाग क्या चीज हो सकती है, यह समझने वाली बात है. खैर, कुछ अतिविशेषज्ञों का दावा है कि 8 फरवरी तक या उसके बाद चाहे कोई जीते कोई हारे, सरकार किसी की भी बने शाहीन बाग का बन्द रास्ता स्वतः ही खुल जाएगा.
जब दोनों पार्टियां शाहीन बाग आंदोलन से किसी न किसी राजनीतिक पृष्ठभमि से जुड चुकी हैं तो कांग्रेस कहां पीछे रहने वाली थी, कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अनुराग ठाकुर के बहाने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, वो कहते हैं- देश के गद्दारों को, गोली मारो …. को, कांग्रेस कहती है- देश के बेरोजगारों को, काम दो सारों को, बस यही फर्क है. वहीं कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर लिखा, गांधीजी ने कभी ऐसा नहीं सोचा था, ‘देश के गद्दारों को गोली मारो को’. शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले और उनकी आवाज को बंद करने वाले इनमें से हम असली गद्दारों को पहचान सकते हैं.
फिलहाल अभी चुनाव में दस दिन बचे हैं. सियासी चालें अभी कितना रंग बदलेंगी ये तो वक़्त ही बताएगा. जनता से जुडे असली मुददों का क्या होगा, क्या देश के हर चुनाव इसी तरह से होते रहेंगे? क्या लोकतांत्रिक मूल्यों का यूं ही माखौल उडता रहेगा? खैर, राजनीतिक पृष्ठभूमि की नैतिकता के परिदृश्य में उठ रहे इन सभी सवालों के बीच चुनाव आयोग ने बोलती बंद करते हुए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा को दिल्ली की स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हटाने के आदेश दे दिए हैं.