‘चुनाव आयोग का शुक्रिया, बीजेपी सरकार के दबाव के बाद गुजरात में किया चुनाव की तारीखों का एलान’

चुनाव आयोग को यह बताना चाहिए कि जब 2 राज्यों के चुनाव परिणाम एक साथ आने हैं तो दोनों की तारीखों की घोषणा में इतना अंतर क्यों?, प्रधानमंत्री को सरकारी खर्च पर करने थे राजनीतिक कार्यक्रम, इसी कारण मोरबी घटना का राजकीय शोक भी हुआ तीसरे दिन, ताकि पीएम काट सकें गुजरात में सारे 'रिबन'- कांग्रेस

कांग्रेस ने उठाए चुनाव आयोग पर सवाल
कांग्रेस ने उठाए चुनाव आयोग पर सवाल

Gujarat Assembly Election/Congress: गुरूवार को चुनाव आयोग ने गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है. गुजरात में दो चरणों में दिसंबर में मतदान होंगे और 8 दिसंबर को चुनावी परिणाम घोषित किया जाएगा. पहले चरण के तहत प्रदेश की 89 विधानसभा सीटों पर 1 दिसंबर को मतदान होगा तो वहीं दूसरे चरण में 5 दिसंबर को बाकी बची 93 सीटों पर वोटिंग होगी. चुनावी राज्य हिमाचल और गुजरात दोनों के चुनावी परिणाम एकसाथ ही घोषित होंगे. लेकिन चुनाव आयोग द्वारा किये गए तारीखों के एलान के साथ ही सियासी बयानबाजी का दौर गरमा गया है. गुजरात की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग पर बीजेपी के दबाव में काम करने का आरोप लगाया. गुजरात कांग्रेस प्रभारी रघु शर्मा ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘चुनाव आयोग का बहुत बहुत शुक्रिया कि बीजेपी सरकार के दबाव के बाद गुजरात में चुनाव का एलान किया. लेकिन आयोग को यह बताना चाहिए कि हिमाचल और गुजरात के नतीजे एक दिन तो वोटिंग के दिन क्यों नहीं?’

हिमाचल प्रदेश के बाद अब गुजरात में भी विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है. गुजरात में 182 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में 1 और 5 दिसंबर को मतदान डाले जाएंगे. लेकिन गुरुवार को चुनाव आयोग द्वारा चुनावी तारीखों के एलान के साथ ही सियासी घमासान शुरू हो गया है. गुजरात कांग्रेस के प्रभारी रघु शर्मा एवं पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए बीजेपी और चुनाव आयोग पर जमकर निशाना साधा. प्रदेश प्रभारी रघु शर्मा ने कहा कि, ‘चुनाव आयोग का धन्यवाद कि उन्होंने BJP के दबाव के बावजूद चुनाव की घोषणा कर दी है. चुनाव आयोग को यह बताना चाहिए कि जब 2 राज्यों के चुनाव परिणाम एक साथ आने हैं तो दोनों की तारीखों की घोषणा में इतना अंतर क्यों? आपके ऊपर किसका दबाव था?’

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पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए रघु शर्मा ने कहा कि, ‘हिमाचल प्रदेश के चुनाव की घोषणा एक स्पेशल घोषणा थी. इसमें नोटिफिकेशन जारी होता है 14 अक्टूबर को, लेकिन ‘कोड ऑफ कंडक्ट’ लागू होता है 17 अक्टूबर को. क्योंकि 16 अक्टूबर को पीएम मोदी की रैली थी, जिसे उन्हें सरकारी संसाधनों से पूरा करना था. 10 मार्च के बाद अभी तक जितने भी कार्यक्रम हुए हैं, वे सभी ‘सरकारी’ कार्यकम थे जिसमें सरकारी पैसा पानी की तरह बहाया गया. मोरबी दुर्घटना के बाद हमने कांग्रेस के राजनीतिक कार्यक्रम रद्द कर दिए, लेकिन BJP सरकार ने अमानवीय व्यवहार करते हुए ऐसा कुछ नहीं किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो हैट पहनकर सरकारी कार्यक्रम जारी रखा, जबकि वह खुद उस राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.’

मोरबी घटना का जिक्र करते हुए रघु शर्मा ने कहा कि, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मोरबी पुल दुर्घटना में घायलों से मिलने से पहले अस्पताल का रंगरोगन हुआ. एक मरीज जिसकी पट्टी पहले छोटी थी वो पीएम के दौरे से पहले लंबी हो गई. गुजरात के एक मंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के साथ आरोपी कंपनी के मालिक के साथ तस्वीर सामने आ रही है. चुनावी लाभ के लिए जर्जर पुल का उद्घाटन कर दिया गया.’ इसी क्रम में कांग्रेस पार्टी ने मोरबी पुल हादसे की जांच सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से करवाने की मांग की है. रघु शर्मा ने आगे कहा कि, ‘क्योंकि एसआईटी तो सरकारी कर्मचारी ही होते हैं. सरकार केवल मजदूरों पर कार्रवाई कर रही है.

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गुजरात की जनता की समस्याओं का जिक्र करते हुए रघु शर्मा ने कहा कि, ‘गुजरात की जनता आज जिस ज्वलंत समस्या से जूझ रही है, वो है गुजरात ड्रग ट्रैफिकिंग का अड्डा कैसे बना? पिछले 6-8 महीने से गुजरात में हज़ारों करोड़ की ड्रग्स क्यों पकड़ी जा रही है?’ वहीं प्रदेश में बढ़ते बेरोजगारी का जिक्र करते हुए रघु शर्मा ने कहा कि, ‘गुजरात में 5 लाख स्वीकृत पद आज तक खाली क्यों पड़े हैं? यहां लगातार 22 पेपर लीक हो गए हैं लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.’ वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि, ‘गुजरात चुनाव की घोषणा कर दी गई है. इसके विलंब होने का कारण यही है कि प्रधानमंत्री को सरकारी खर्च पर अपने राजनीतिक कार्यक्रम करने थे. यहां तक कि मोरबी घटना का राजकीय शोक भी तीसरे दिन हुआ ताकि पीएम मोदी गुजरात में सारे ‘रिबन’ काट सकें.’

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