तपोभूमि में पुराने ट्रेंड को बरकरार रखने को बेताब कांग्रेस को रोकने में जुटी भाजपा को मायूस करती आप

हिमाचल प्रदेश में 68 विधानसभा सीटों के लिए 12 नवंबर को होना है मतदान, जिसके लिए बीजेपी में खुद सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तो कांग्रेस के लिए मुकेश अग्निहोत्री ने संभाल रखी है प्रचार की कमान, वहीं पहली बार तपोभूमि के सियासी रण में उतरी आप भी सत्ता पाने को है लालायित लेकिन राह नहीं है आसान

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Himachal Pradesh Aseembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश में सियासी रणभेरी बज चुकी है. सभी पार्टी के तरकशों से सियासी वारों का आदान-प्रदान का दौर भी अपने चरम पर है, तो वहीं बमतदान को अंगुलियों पर गिने जा सकने वाले दिन ही शेष बचे हैं. हिमाचल प्रदेश में 68 विधानसभा सीटों के लिए 12 नवंबर को मतदान होना है. जिसके लिए बीजेपी में खुद सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और कांग्रेस के लिए मुकेश अग्निहोत्री ने प्रचार की कमान संभाली हुई है. कुछ अन्य हिंदी राज्यों जैसे राजस्थान और इस बार के चुनाव से पहले तक उत्तराखंड की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी हर पांच वर्षों में सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड है, जिससे सत्ताधारी पार्टी भाजपा की टेंशन साफ तौर पर देखी जा सकती है. इसी बात को कांग्रेस प्रमुख हथियार बनाकर भुनाने के प्रयास में है. इधर, हिमाचल प्रदेश के सियासी संग्राम में पहली बार चुनावी रण में उतर रही आम आदमी पार्टी दोनों ही प्रमुख पार्टियों का समीकरण बिगाड़ने के सपने तो देख रही है, लेकिन आप की दाल यहां गलती नजर नहीं आ रही है. हालांकि यहां आप पार्टी के लिए सुरजीत सिंह ठाकुर शतरंज के मुहरे सियासी खानों में फिट करने में व्यस्त हैं.

दिल्ली के बाद पड़ौसी राज्य पंजाब में मिली सफलता और पॉपुलर्टी को भुनाने में जुटी आम आदमी पार्टी प्रचार कार्यों में कोताही बरतने के मूड में बिलकुल भी नहीं है. पंजाब में आम आदमी पार्टी ने दूसरी बार में झंंडे गाढ़ते हुए कांग्रेस की सत्ता को उखाड़ फेंका और पंजाब विस चुनावों में एक तरफा सफलता हासिल की. अब हिमाचल प्रदेश में भी दिल्ली और पंजाब की तर्ज पर आम आदमी पार्टी बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों के साथ साथ 300 यूनिट मुफ्त बिजली, मुफ्त हेल्थ केयर, मुफ्त शिक्षा, महिला शक्तिकरण एवं सेना में शहीद सैनिकों के परिजनों को सहायता जैसे वायदों के साथ चुनावी मैदान में उतरी है.

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हिमाचल में सियासी गणित पर नजर डालें तो भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को सामने रखकर चुनावी रण में है. इससे उनकी स्थिति जमीनी स्तर पर काफी मजबूत दिख रही है. बावजूद इसके, बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस से पार पाने की है. हिमाचल में 35 साल की राजनीति में हर बार सत्ता का बदलना निश्चत है. जब जब बीजेपी हारी, तब तब कांग्रेस सत्ताधारी पार्टी बनकर सदन में पहुंची. हालांकि आम आदमी पार्टी हिमाचल में पहली बार चुनावी मैदान में उतरी है. इसके बावजूद पार्टी कुछ सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों को नुकसान पहुंचाने का काम कर सकती है.

यहां चुनावी जंग में उतरी अन्य पार्टियों बसपा, सीपीआईएम आदि की हद एक या दो सीटों पर सीमित होनी निश्चत है. पिछले चुनावों में सीपीआईएम को केवल एक सीट मिली थी जबकि बसपा का खाता खुलना अभी भी शेष है. इसी बीच यहां आम आदमी पार्टी ने अपने आपको हिंदूवादी पार्टी का तमगा देने की भी कोशिश की है, जिससे पार्टी का हिमाचल में तीसरी पार्टी बनने का दावा काफी मजबूत होता दिख रहा है.

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वहीं आप सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के भारतीय नोटों पर लक्ष्मी-गणेश की फोटो लगाने वाले बयान को भी इसी बात से जोड़कर देखा जा रहा है. आप पार्टी के इस दांव से भाजपा में थोड़ी बहुत बौखलाहट साफ तौर पर देखी जा सकती है. यही वजह है कि बीजेपी द्वारा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और प्रियंका गांधी के हिमाचल में की गई रैलियों पर आरोप प्रत्यारोप को छोड़ केवल और केवल आम आदमी पार्टी पर जमकर आक्षेप लगाए जा रहे हैं. सत्ताधारी पार्टियों के नेताओं द्वारा चलाए जा रहे ये तिक्ष्ण आरोप बाण भी आम आदमी पार्टी को गति देने का ही काम कर रहे हैं.

खैर, कौन सी पार्टी किसको कितना डेमेज करेगी यह तो 8 दिसम्बर को होने वाली मतगणना के बाद ही सामने आएगा. लेकिन माना जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश के विस चुनावों में आम आदमी पार्टी कुछ सीटों पर भाजपा और कांग्रेस दोनों को मुश्किल में डाल सकती है, और अगर करीबी मुकाबला हुआ तो आप किंगमेकर की भूमिका में भी सामने आ सकती है.

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