Rajasthan Congress Political Crisis. राजस्थान कांग्रेस में रह रहकर उठ रहा सियासी तूफान बीते रोज बुधवार को बड़े बवाल के तौर पर सामने आया. एक तरफ सुबह पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ साथ केबिनेट मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और RTDC के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को आड़े हाथों लिया, तो वहीं दूसरी तरफ पायलट खेमे से पाला बदलकर गहलोत खेमे में आए खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के भी सुर बदले बदले से नजर आए. खाचरियावास ने प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी के हावी होने को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए बाकायदा सीएम गहलोत को पत्र लिखकर IAS अधिकारियों की ACR मंत्रियों द्वारा भरने की मांग कर डाली है, ताकि सरकारी योजनाओं को ठीक से लागू किया जा सके. दरअसल, खाचरियावास अपने विभाग के अधिकारियों के कामकाज से नाराज चल रहे हैं. यही नहीं इस मामले में ओसियां से कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने भी खाचरियावास का समर्थन किया है.
चूंकि राज्य में कांग्रेस की सरकार है तो हावी होती अफसरशाही से लेकर भ्रष्टाचार समेत तमाम मुद्दों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से राज्य सरकार ही जिम्मेदार है, लेकिन ऐसे में सवाल ये है कि इन विधायक-मंत्रियों के इस तरह के बयानों से किसका नुकसान हो रहा है. बीते रोज बुधवार को मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार को सही समय पर यूटिलिटी सर्टिफिकेट नहीं भेजने के कारण राज्य का 46 हजार मेट्रिक टन गेहूं लेप्स हो गया. यह महीने भर पहले की बात है. तब मैंने बैठक बुलाकर अफसरों को डांटा और सख्त आदेश दिए. जिस तरह आईएएस अफसर काम कर रहे हैं वह सही नहीं है. जिन अफसरों ने जनता का गेहूं लैप्स करवा दिया, ऐसे अफसर के खिलाफ जांच कर कार्रवाई के लिए मैंने मुख्यमंत्री को लिखा है.
यही नहीं इस बाबत मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने मुख्यमंत्री के लिए सचिव से हुई बात का हवाला देते हुए कहा कि, “मैंने सीएम के सेक्रेटरी कुलदीप रांका को भी फोन कर पूरी बात बताई और उनके नाराजगी भी व्यक्त की कि ऐसे धीरे-धीरे काम नहीं चलता है. यदि गेंहू लेप्स हुआ है तो ये आपकी भी जिम्मेदारी है. यदि कोई अधिकारी सरकार के आदेश की अवमानन कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी, तब लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू होगी.’ खाचरियावास ने आगे कहा कि यहां सवाल बीजेपी-कांग्रेस का नहीं है. मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. जिसमें कहा है कि आप सबके (IAS) लिए ACR मत लिखिए. यह हमको (मंत्रियों) लिखने दीजिए. क्योंकि अलग-अलग विभाग में अलग-अलग मंत्री हैं. ये अधिकार सब राज्यों में मंत्री के पास है. जब ये अधिकार आप भी मंत्रियों को देंगे तो ये आईएएस सुधरेगा. जब वो (अधिकारी) बात ही नहीं मानेंगे तो हम काम कैसे कराएंगे?”
वहीं इस मामले पर मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास की मांग का खुलकर समर्थन करते हुए जोधपुर के ओसियां से विधायक दिव्या मदेरणा ने ट्विटर पर लिखा, “प्रताप खाचरियावास राजस्थान सरकार के वह कैबिनेट मंत्री हैं, जो हमेशा गरीब की आवाज उठाते हैं. आज उन्होंने गरीब के साथ होते शोषण और राजस्थान के अंदर नौकरशाही किस कदर हावी है, इसका पटाक्षेप किया. लेकिन उससे भी ज्यादा उन्होंने पावर के विकेंद्रीकरण की जो बात कही, वह काबिले तारीफ हैं.” एक अन्य ट्वीट में मदेरणा ने लिखा कि जोधपुर कलेक्टर की विफलता के संबंध में और गरीब लोगों के कदाचार और लूट में शामिल भ्रष्ट अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई करने के संबंध में भी प्रताप सिंह खाचरियावास की तर्ज़ पर अब सीएम को पत्र लिखूंगी के सख़्त कार्यवाही हो व तुरंत हो । हम zero tolerance to corruption के वादे पर सरकार में आये थे.’
यहां आपको याद दिला दें, हाल ही में जोधपुर के श्रीराम अस्पताल में चिरंजीवी योजना से गरीब मरीज को वंचित रखने के मुद्दे पर दिव्या मदेरणा धरने पर बैठ गई थी. उसके बाद वो अस्पताल प्रशासन से लेकर जोधपुर कलेक्टर और जिले के चिकित्सा अधिकारियों को निशाने पर लेती रही. पिछले करीब 2 महीनों में दिव्या मदेरणा अब तक दर्जनों पर सोशल मीडिया और मीडिया पर जोधपुर में चिकित्सा व्यवस्थाओं को लेकर कलेक्टर समेत आला अधिकारियों से टकरा चुकी है. ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने अस्पताल पर आरोप लगाते हुए कहा था कि चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का गरीब मरीज को लाभ मिलना चाहिए था लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने मरीज से पहले सवा लाख रुपए ले लिए और उसके बाद ट्रीटमेंट के नाम 7.5 लाख रुपे का बिल दे दिया. बिना पैसे दिए मरीज को घर जाने से भी रोक लिया था. जिसके बाद दिव्या मदेरणा अस्पताल में ही धरने पर बैठ गई थी. इस मुद्दे पर कलेक्टर के साथ भी उनका लंबा टकराव चला था.