चुनाव विशेष: गुजरात के रण में 182 विधानसभा सीटों पर पहली बार बन रहा त्रिकोणीय मुकाबला!

27 साल के भाजपा के राज को चुनौती देने गुजरात में पहली बार विधानसभा चुनावों में उतरी आम आदमी पार्टी ने बदले चुनावी समीकरण! वहीं युवा तिकड़ी के टूटने से बढ़ी मुश्किलें लेकिन टक्कर में बनी हुई है कांग्रेस, एंटीइनकंबेंसी ने बढ़ाई भाजपा की चिंता

इस बार होगा त्रिकोणीय मुकाबला!
इस बार होगा त्रिकोणीय मुकाबला!

Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव का बिगुल अब किसी भी दिन बज सकता है, माना जा रहा है कि आने वाले दो से तीन दिनों में गुजरात विस चुनावों की तारीख का ऐलान हो जाएगा. वहीं उम्मीद जताई जा रही है कि गुजरात के 33 जिलों की 182 विधानसभा सीटों पर चुनाव दो चरणों में संपन्न होंगे. हालांकि यहां हमेशा की तरह इस बार भी भाजपा काफी मजबूत दिख रही है लेकिन पिछली बार कांग्रेस ने बीजेपी को मजबूत टक्कर दी थी, जिसे देखते हुए बीजेपी कोई चांस लेने के मूड में बिलकुल भी नहीं है. वहीं पहली बार यहां के चुनावी मैदान में उतर रही आप आदमी पार्टी (AAP) के गुजरात में प्रवेश करने से यहां चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.

आपको बता दें कि गुजरात की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान पहले ही कर चुकी आम आदमी पार्टी ने चुनावी तारीखों से पहले ही मजबूत दावेदारी पेश करते हुए राज्य की 80 विस सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. यूं तो गुजरात केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गढ़, या यूं कहें कि अभेद किला रहा है. यहां 1995 से सिर्फ एक साल के अंतराल को छोड़कर बीजेपी लगातार सत्ता में रही है. लेकिन कांग्रेस के पिछले प्रदर्शन को देखते हुए पिइस बार भी कांग्रेस का दावा किसी भी तरह से कमतर नहीं आंका जा सकता है. साथ ही साथ आप पार्टी का हिंदू कार्ड यहां बीजेपी को सीधी टक्कर देता नजर आ रहा है.

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बता दें, 2017 के गुजरात विस चुनाव में भाजपा ने 99 सीटों पर जीत हासिल की थी. उस चुनाव में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी की युवा तिकड़ी ने चुनाव को नजदीकी बना दिया था. इनके नेतृत्व में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी और 77 सीटें जीतने में सफल रही. बीजेपी ने सभी सीटों पर कैंडिडेट उतारे थे जबकि कांग्रेस ने 177 सीटों पर चुनाव लड़ा. कुल वोट प्रतिशत में से बीजेपी ने 49.05 प्रतिशत, जबकि कांग्रेस ने 41.44 प्रतिशत वोट हासिल किए. इसके अलावा यानी भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) को 2 सीट, एनसीपी को एक और तीन सीटों पर निर्दलीयों को कामयाबी मिली.

हालांकि इस बार गुजरात की राजनीति में कांग्रेस पार्टी में कोई प्रमुख और बड़ा नाम सामने नहीं आ रहा है. पिछले चुनाव की हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी की युवा तिकड़ी इस बार कांग्रेस के साथ नहीं है. अल्पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल बीजेपी का दामन थाम चुके हैं. वहीं निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी अभी तक सक्रिय नहीं दिख रहे. भारतीय जनता पार्टी के चुनाव अभियान की कमान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने हाथ में ली हुई है. वहीं गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभेद गढ़ है जिसे कांग्रेस अब तक भेद नहीं पाई है. पीएम मोदी करीब 13 वर्षों तक गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

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पिछले चुनाव में विजय रूपाणी मुख्यमंत्री बने थे लेकिन पिछले साल भूपेंद्रभाई पटेल को गुजरात का सीएम बनाया गया है. भूपेंद्र भाई पटेल हमेशा से ही गुजरात को डबल इंजन सरकार मानते हुए चला रहे हैं. एक तरह से देखा जाए तो यहां पर्दे के पीछे से पीएम मोदी ही गुजरात विस चुनाव का नेतृत्व कर रहे हैं और ये चुनाव भी उन्हीं के चेहरे पर लगा जा रहा है.

हार्दिक एवं अल्पेश ठाकोर के भाजपा में शामिल होने के बाद बीजेपी ने चैन की सांस ली लेकिन पंजाब विस चुनाव जीत सफलता एवं आत्मविश्वास के घोड़े पर सवार आम आदमी पार्टी ने उनकी परेशानियों को बढ़ाने का काम किया. नोटों पर लक्ष्मी—गणेश के चित्र छापने की बहस छेड़ अरविंद केजरीवाल ने पार्टी को सीधे सीधे हिंदूत्व से जोड़ दिया. अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर केवल भाजपा ही हिंदूत्व का झंड़ा उठा रही थी.

आप पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी यह कहते हुए इस बहस को हवा दी कि हिंदूत्व का ठेका अकेले भाजपा ने नहीं ले रखा है. चूंकि गुजरात में अल्पसंख्यक समुदाय में शामिल मुस्लिमों की आबादी केवल 10 फीसदी है, ऐसे में आम आदमी पार्टी का ये दांव सटीक निशाने पर लगा है. यही वजह है कि गुजरात विस चुनाव में पहली बार शामिल होने के बावजूद आम आदमी पार्टी द्वारा मुकाबला त्रिकोणीय बनाए जाने की आशंका ने जोर पकड़ रखा है.

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