‘राणा सांगा बनाम बाबर’ विवाद फिर पकड़ने लगा तूल, बयान से पीछे हटने को तैयार नहीं सपा

समाजवादी पार्टी के सांसद के बयान ने मचाया था बवाल, आक्रोशित करणी सेना ने की थी घर पर तोड़फोड़, अब उसे दलित राजनीति से जोड़ने की कोशिश, महाराष्ट्र के पार्टी विधायक भी कर चुके हैं विवादित टिप्पणी

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समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा खड़ा किया गया ‘राणा सांगा बनाम बाबर’ विवाद अब तूल पकड़ने लगा है. सदन में मेवाड़ योद्धा राणा सांगा पर टिप्पणी पर बखेड़ा करने के बाद अब रामजीलाल का नया बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई गलत बयान नहीं दिया है. ऐसे में माफी का तो सवाल ही नहीं उठता है. उन्होंने ये भी कहा कि बयान देने का मतलब किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है लेकिन बयान ऐतिहासिक संदर्भों को लेकर है, जिसमें कुछ भी गलत नहीं है. ऐसे में लगने लगा है कि अब यह मामला गंभीर होते जा रहा है. सपा सांसद ने राज्य के उप सभापति को एक पत्र लिखकर सुरक्षा बढ़ाने की मांग भी की है.

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दरअसल, कुछ दिनों पहले सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने यह कहते हुए एक विवाद छेड़ दिया कि राजपूत शासन राणा सांगा ने ही मुगल शासन बाबर को इब्राहिम लोदी को हराने के लिए हिंदुस्तान बुलाया था. बाद में दोनों में नाइंतकाफी हो गयी और खानवा के मैदान में राणा सांगा व बाबर की जंग हुई जिसमें सांगा हार गए. इस टिप्पणी को लेकर देशभर में विवाद पैदा हो गया. इस बयान को लेकर करणी सेना ने आक्रोश जताते हुए आगरा स्थित रामजी लाल के घर पर धावा बोल दिया और तोड़फोड़ भी की. सपा सांसद ने इस हमले को पूर्व नियोजित बताते हुए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया.

उन्होंने कहा, ‘प्रशासन चाहता तो इसे रोक सकता था. इन लोगों ने मेरे आवास पर जाकर तोड़फोड़ की. कुर्सियां, शीशें तोड़ दिए गए. न सिर्फ हमारी गाड़ी बल्कि वहां खड़ी अन्य गाड़ियों को भी तोड़ दिया गया. हमारे परिवार पर कातिलाना हमला किया गया. जो भी हुआ उससे साफ है कि प्रशासन की तरफ से लचर व्यवस्था थी. इनके खिलाफ जो भी कार्रवाई होनी चाहिए थी नहीं हुई है. मेरी टेलीफोन से आगरा प्रशासन से बातचीत हुई है. हमला करने वालों पर जवाबी कार्रवाई होगी. जनतंत्र में जिन हथियारों का इस्तेमाल किया जा सकता है, किया जाएगा.’

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हमले को दलित राजनीति से जोड़ते हुए सपा सांसद ने ये भी कहा कि यह हमला एक मानसिकता है. यह हमारे पीडीए पर हमला है. देश की जो ये स्थिति है, वह कमजोर वर्गों, पिछड़ों एवं दलितों के खिलाफ एक मानसिकता है. इसी मानसिकता को लेकर ये हमला किया गया है. उन्होंने अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग भी की है.

जिस तरह से राज्यसभा सांसद रामजी लाल अपने बयान पर कायम हैं और सामाजिक सदभावना की दुहायी दे रहे हैं. उसी तरह हाल में सपा के महाराष्ट्र विधायक अबू आजमी ने भी मुगल बादशाह औरंगजेब और छत्रपति संभाजी महाराज व शिवाजी महाराज को लेकर विवादित टिप्पणी की थी. उन्होंने भी इतिहास से संदर्भ रखती एक पुस्तक का ही हवाला दिया था. जिस तरह से सपा के नेता इस तरह की विवादित टिप्पणी कर रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि आने वाले समय में कोई और प्रादेशिक या राष्ट्रीय बवाल दस्तक देने की बाट जोह रहा है.

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