Politalks.News/RajasthanBudget. अर्थशास्त्र से पोस्ट ग्रेजुएट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पिता लक्ष्मण सिंह गहलोत एक माने हुए जादूगर थे. अपने पिता से सीएम गहलोत ने भी जादूगरी के गुर सीखे (learn magic tricks), हालांकि, सीएम गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने इसे पेशा नहीं बनाया लेकिन आगे चलकर उन्होंने ऐसे कई राजनीतिक दांव-पेंच चले की सब उन्हें सियासत का जादूगर कहने लगे. सियासी जादूगर गहलोत के बजट पर पूरे देश में हो रही है चर्चा, इस बीच सियासी चर्चा यह भी है कि एक बजट से सभी के मुंह बंद कर दिए, साथ ही साबित कर दिया कि असली मरुधरा में सियासी जादूगर (Political magician in Marudhara) सिर्फ गहलोत ही हैं.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने पिता से विरासत में मिली जादूगरी का राजनीति में गजब तरीक़े से इस्तेमाल करते आए हैं और इसलिए उन्हें राजनीति का जादूगर (magician of politics) भी कहा जाता है. सीएम गहलोत ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल के चौथे बजट में गजब की जादूगरी दिखाई और बजट के अपने पिटारे से राजनीति से बहुत ऊपर उठते हुए एक ऐसा बजट पेश किया कि विपक्ष उसमें इस साल के पहले ही विधानसभा चुनाव की सम्भावनाएं टटोलने लगा है. सीएम गहलोत ने ना सिर्फ प्रदेश के इतिहास में पहली बार कृषि बजट अलग से प्रस्तुत किया वरन कर्मचारियों, विधायकों और लगभग सभी वर्गों को कुछ ना कुछ देकर चौंका दिया. सीएम गहलोत की ओल्ड पेंशन स्कीम (old pension scheme) को फिर से शुरू करने को तो खुद प्रियंका गांधी और AICC ने सराहा है और विभिन्न राज्यों में जारी विधानसभा चुनावों में इसे आदर्श बजट के रूप में पेश करने में कोई देरी नहीं की. दिल्ली में प्रदेश प्रभारी माकन और पीसीसी चीफ डोटासरा ने ‘गहलोत मॉडल’ (‘Gehlot Model’) पर प्रेस वार्ता कर पूरे देश में ओल़्ड पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग रख दी.
सियासी जानकारों का कहना है कि सीएम गहलोत ने बजट के जरिए एक तीर से कई निशाने साधे हैं. मुख्यमंत्री गहलोत ने बुधवार को विधानसभा में पेश किए बजट में जोधपुर के लिए घोषणाओं की झड़ी लगा दी. इस झड़ी का फायदा करीबियों को तो मिला ही विपक्ष के सदस्यों को भी मिला. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा के गृह जिले सीकर के लिए भी सीएम ने दोनों हाथ खोल दिए. सचिन पायलट के गृह जिले को दिल खोल पर सौगातें दी. नेता प्रतिपक्ष कटारिया के गढ़ उदयपुर को सौगातें देने में सीएम ने कोई कसर नहीं छोड़ी, साथ ही सीएम गहलोत ने सभी विधायकों को आईफोन-13 भी दिए हैं. हालांकि भाजपा विधायकों ने ये फोन लौटा दिए.
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‘ब्रह्मास्त्र’ से 3 लाख कर्मचारियों को साधा!
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हालही में कांग्रेस के अधिवेशन में कहा था कि मेरी पहली सरकार कर्मचारियों की नाराजगी और दूसरी सरकार मोदी लहर में गई थी. कर्मचारियों को साधने के लिए सीएम गहलोत ने इस बजट में ब्रह्मास्त्र चलाया है. सीएम गहलोत ने ओल्ड पेंशन योजना फिर से लागू करने का फैसला किया है. सियासी जानकार इस योजना को मास्टरस्ट्रोक मान रहे हैं. माना जा रहा है इस एक फैसले का 3 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को फायदा मिलेगा. सीएम की घोषणा के तहत 1 जनवरी 2004 और उसके बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों को नई पेंशन की जगह पुरानी पेंशन मिलेगी. रिटायर्ड होने पर अब कर्मचारियों को पूरी पेंशन मिलेगी. साथ ही 1 अप्रैल 2022 से संविदाकर्मियों की सैलरी 20 फीसदी बढ़ेगी. माना जा रहा है कि 2003 में जब ये पैंशन स्कीम बंद की गई की थी तो कर्मचारियों की नाराजगी सरकार को झेलनी पड़ी थी. अब इस सरकार द्वारा लगाए गए करीब 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी सरकार के लिए स्टार प्रचारक बनेंगे और कांग्रेस के लिए मास्टरस्ट्रोक साबित होंगे.
ईस्टर्न कैनाल से किसानों को साधा!
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कृषि बजट के जरिए किसानों को साधा. मुख्यमंत्री ने कृषि बजट में किसानों की उन्नति के लिए 11 मिशन बनाने की घोषणा की है. ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) के लिए ERCP कॉर्पोरेशन बनेगा. ERCP के लिए 9600 करोड़ का प्रावधान किया गया है. ईस्टर्न कैनाल से सीएम ने पूर्वी राजस्थान में किसानों को बड़ा मैसेज दिया है. गहलोत सरकार ने कृषि बजट में कुल 78 हजार 938 करोड़ का प्रावधान किया है. कृषि बजट राज्य की जीडीपी का 5.9 फीसदी है. नोदरा, इसरदा लिंक का काम अब राज्य सरकार करेगी. ईस्टर्न कैनाल का काम अब राजस्थान सरकार ने खुद करने का फैसला किया है. पिछले विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी ने इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का आश्वासन दिया था. अब तक इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा नहीं मिला है. गहलोत कई बार पीएम को लिख चुके हैं.अब गहलोत सरकार ने ERCP का काम खुद करने का फैसला किया है. ईस्टर्न कैनाल से पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को सिंचाई और पीने का पानी मिलेगा. आपको यह भी बता दें कि ईस्टर्न कैनाल योजना वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री रहते बनाई थी जो अब तक जमीन पर नहीं उतर पाई है.
मोबाइल से हर घर में बनाएंगे पहुंच!
आर्थिक पिछड़ों के लिए 100 करोड़ ईडब्ल्यूएस कोष का गठन करने के साथ गहलोत सरकार प्रदेश की 1 करोड़ 33 लाख महिलाओं को स्मार्ट फोन देगी. यह मोबाइल मुख्यमंत्री डिजिटल सेवा योजना के तहत दिए जाएंगे. 33 लाख चिरंजीवी परिवारों की महिला मुखिया को यह मोबाइल 3 साल की इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ दिए जाएंगे. सियासी जानकार इसे भी आने वाले चुनावों के लिए मास्टर स्ट्रोक मानकर चल रहा है. इस एक मोबाइल के जरिए सरकार हर घर में पहुंचने की तैयारी कर रही है.
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सीएम गहलोत ने ऐसे साधा बेरोजगारों को!
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकारी क्षेत्र में 1 लाख नौकरियां देने की घोषणा की है. इनमें 62 हजार ग्रेड थर्ड शिक्षकों की भर्ती रीट 2022 के जरिए की जाएगी. इसी तरह 1 हजार नए महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल खोलकर 10 हजार शिक्षकों के नए पद सृजित कर भरे जाएंगे. भर्ती परीक्षाओं में चीटिंग रोकने के लिए बजट में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की एक एंटी चीटिंग सेल का गठन की घोषणा की गई है. पर्यटन क्षेत्र को भी उद्योग का दर्जा दिया गया है. इससे टूरिज्म इंडस्ट्री नया आकार लेगी. संभावना है कि रोजगार के हजारों नए अवसर पैदा होंगे.
गहलोत के बजट ने विरोधियों को कर दिया चुप कर दिया!
सियासी जानकारों का कहना है कि गहलोत सरकार ने बजट में जिस तरह की घोषणाएं की हैं. उसके बाद सभी मुद्दे गौण हो गए हैं. हालांकि राजस्थान में कहावत है ‘भूखो धापियो पतीजै…’ यानी भूखा तो पेट भरने के बाद ही खुश होता है. बजट की घोषणाओं से विरोधी फिलहाल चुप हो गए हों, अपनों के भी मुंह बंद हो गए हो. लेकिन अभी चुनाव में करीब 18 महीने का समय है. इशारों इशारों में प्रतिपक्ष की फूट और अपने दल के विरोधियों को कई सियासी सन्देश दे दिए है. गहलोत पिछले दो वर्षों से लगातार यह कहते आए हैं कि प्रदेश में एक बार कांग्रेस और एकबार भाजपा की बारी बारी से सरकार बनने की पिछलें दो दशकों से भी अधिक समय से चली आ रही इस बार परम्परा टूटेगी और राजस्थान में लगातार दूसरी बार कांग्रेस की सरकार बनेगी. सीएम गहलोत ने हाल ही यह भी कहा कि, ‘मेरी सरकार को तीन वर्ष हो गए लेकिन कहीं भी सरकार विरोधी लहर नहीं दिख रहीं’.
राजनीति गलियारों में गहलोत की ‘जादूगरी’ के कई किस्से चलते हैं. ऐसा ही एक किस्सा साल 2008 के विधानसभा चुनाव से जुड़ा है. उस चुनाव में कांग्रेस को 200 में से 96 सीटें मिली थी. ऐसे में गहलोत ने बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस में मिला लिया. यह सब मायावती की अनुमति के बिना हुआ था. ऐसे में बसपा के स्थानीय नेतृत्व ने विधायकों को अयोग्य करार देने की अपील की. इस पर राजस्थान में यह कहा गया कि, ‘जादूगर ने फिर दिखाया कमाल’. राजस्थान से हाथी हुआ गायब.‘ इसके बाद बड़े आराम से पांच साल तक सरकार चलाई. हालांकि सरकार का कार्यकाल पूरा होने से ठीक पहले इन छहों विधायकों पर फैसला गहलोत के विरोध में आया लेकिन तब तक उनका काम हो चुका था.
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सियासी जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने इस बार के बजट से ऐसा सियासी पासा फेंका है कि विपक्ष के समक्ष विरोध का कोई मुद्दा सूझ नहीं रहा. सीएम गहलोत ने बजट में राजनीति से बहुत ऊपर जाते हुए प्रतिपक्ष के विधानसभा क्षेत्रों में भी खुले मन से विकास से जुड़ी घोषणाएं कर उनकी बोलती बंद कर दी. राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठ अन्य कई घोषणाएं भी की हैं. सीएम गहलोत ने बजट में समाज के हर वर्ग-हर तबके को कोई न कोई तोहफ़ा देकर एक सशक्त सियासी सन्देश दे दिया है.