Rajendra Gudha On Diary. राजस्थान कांग्रेस में जारी सियासी खींचतान किसी से छिपी नहीं है. प्रदेश में पार्टी दो खेमों में बंटी हुई है और समय समय पर दोनों ही गुट एक दूसरे पर हमलावर होने से पीछे नहीं हटते. फिलहाल प्रदेश में हाल ही में 25 सितंबर को हुई घटनाक्रम के बाद से सियासी गहमागहमी चरम पर है और पायलट कैंप के नेता सचिन पायलट को प्रदेश की कमान सौंपने की मांग उठा रहे हैं. लेकिन इसी बीच प्रदेश सरकार में सैनिक कल्याण एवं पंचायती राज राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के एक बयान ने प्रदेश की सियासत में एक अलग ही बहस को हवा दे दी है. राजेंद्र गुढ़ा ने हाल ही में एक मीडिया समूह को दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि, ‘2020 में जब सियासी संकट के समय सरकार की तरफ से हमें एक डायरी का टास्क दिया गया था वो हमने अच्छी तरफ से पूरा किया था. हम हमेशा से ही अपने नेता के हित में जो काम दिया जाता है उसे पूरा करते हैं.’ राजेंद्र गुढ़ा के इस डायरी वाले बयान ने प्रदेश में एक नई सुगबुगाहट को जन्म दे दिया है.
बताया जा रहा है कि साल 2020 में जब सूबे के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं टोंक विधायक सचिन पायलट जब अपने हक की लड़ाई को मजबूती देने के लिए बगावती रुख अख्तियार करते हुए मानेसर में बाड़ेबंदी में कैद हो गए थे. उसी दौरान सचिन पायलट के मानेसर पहुंचने के 48 घंटों के बाद ही प्रदेश में बड़े स्तर पर आयकर विभाग की छापेमारी शुरू हो गई थी. आयकर विभाग ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सबसे करीबी धर्मेंद्र राठौड़ और उनके बेटे के करीबी राजीव अरोड़ा के कई आवासों सहित 200 ठिकानों पर छापेमारी की थी. गहलोत गुट के खेमे ने आयकर विभाग की इस कार्यवाही को राजनीति से प्रेरित बताया था. लेकिन उस दौरान सियासी गलियारों में धर्मेन्द्र राठौड़ के घर पर मिलने वाली एक डायरी की चर्चाएं अपने चरम पर थीं, हालांकि सियासी गहमागहमी के बीच ये मामला शांत हो गया. लेकिन हाल ही में अशोक गहलोत खेमे को छोड़कर पायलट गुट में शामिल हुए गहलोत सरकार में मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने एक मीडिया समूह को दिए इंटरव्यू में इस मुद्दे को फिर से गर्म कर दिया है.
सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि आखिर प्रदेश सरकार में सैनिक कल्याण एवं पंचायती राज राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने डायरी को लेकर क्या कहा. राजेंद्र गुढ़ा ने एक मीडिया समूह से चर्चा करते हुए कहा कि, ‘नाराजगी की कोई खास बात नहीं है. हमने सरकार को समर्थन दिया ताकि सरकार मजबूती से चले उसके लिए हमने जो करना चाहिए था वो सबकुछ किया और आउटसाइड जाकर किया. हम फ्रंट फुट पर खेलने वाले लोग हैं और इसके लिए ही पैदा हुए हैं. जब धर्मेंद्र राठौड़ के आवास पर आयकर विभाग का छापा पड़ा था तब उस रेड में 150 से ज्यादा CRPF के जवान थे. उस समय हमें एक टास्क दिया गया था और उसे टास्क को पूरा करने में हमारे साथियों को चोट भी लगी थी. हमारा शुरू से यही मानना है कि नेता के हित में जो काम दिया जाता है उसे पूरा किया जाए.’ वहीं जब पत्रकार ने मंत्री गुढ़ा से पुछा कि क्या एक डायरी को धर्मेन्द्र राठौड़ के आवास से बाहर निकालने का टास्क दिया गया था तो राजेन्द्र गुढा ने एक लंबी चुप्पी के बाद हामी भर दी.
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अब हम बताते हैं कि आखिर हुआ क्या था? सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी धर्मेंद्र राठौड़ के आवास पर आयकर विभाग ने छापा मारा था उस वक़्त आवास में एक डायरी भी थी. कहा जाता है कि उस डायरी में प्रदेश सरकार के कई राज दफन थे. यही नहीं इस डायरी में आईएएस अधिकारियों के तबादले और पोस्टिंग को लेकर अहम जानकारी मौजदू थी. तो वहीं छापेमारी में तबादलों और पोस्टिंग से जुड़ी कई खास पर्चियां भी शामिल थी. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने करीबी राजेंद्र गुढ़ा को उस डायरी को आवास से निकालने की जिम्मेदारी थी. CRPF जवानों की मौजूदगी में राजेंद्र गुढ़ा ने उस डायरी को सुरक्षित आवास से बाहर निकाल लिया लेकिन ये खबर किसी के सामने नहीं आई और सियासी गलियारों में ही दफन हो गई.
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हालंकि डायरी में छुपे राज का पता तो किसी को नहीं चल पाया लेकिन राजेंद्र गुढ़ा ने खुद अपने एक इंटरव्यू में हामी भरी कि हां उसमें कुछ ख़ास था जो बाहर नहीं आना चाहिए था. राजेंद्र गुढ़ा ने इंटरव्यू में कहा कि, ‘ये सच है लेकिन अब रात गई बात गई,’ ये कहकर उन्होंने इसे टाल दिया. ऐसे में राजेंद्र गुढ़ा के सीएम गहलोत के कहने पर धर्मेन्द्र राठौड़ के घर से डायरी हटाने के इस खुलासे के बाद से प्रदेश में नई सियासी सुगबुगाहट शुरू हो गई है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि इतने दिन की शांति के बाद अब एक दम से ये डायरी का जिक्र राजेंद्र गुढ़ा ने क्यों किया होगा? हाल ही में 25 सितंबर को जब राजस्थान कांग्रेस में सियासी घमसान हुआ था तभी से राजेंद्र गुढ़ा खुलकर सचिन पायलट के समर्थन में बयानबाजी करते नजर आ रहे हैं. यही नहीं कई मौकों पर वो सचिन पायलट को जल्द से जल्द प्रदेश की कमान सौंपने की भी बात कह चुके हैं. अब देखना ये होगा कि राजेंद्र गुढ़ा डायरी वाला बयान प्रदेश की राजनीति में क्या परिवर्तन लाएगा, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.