‘औरंगजेब विवाद’ में अब ‘छावा’ बने सीएम फड़णवीस, बैकफुट पर आया विपक्ष

औरंगजेब के ​विवादित मकबरे पर फिर से तेज हुई बहस, सतारा सांसद उदयनराजे भोसले ने की थी सख्त कार्रवाई की मांग जबकि सपा विधायक ने मुगल बादशाह को बताया था जनप्रेमी शासक, विवाद में अब हुई मुख्यमंत्री की एंट्री

devendra fadnavis
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महाराष्ट्र की राजनीति में बीते एक महीने से ‘औरंगजेब विवाद’ छाया हुआ है. छत्रपति संभाजी की जीवनी पर आधारित फिल्म ‘छावा’ के रिलीज होने के बाद छत्रपति संभाजीनगर जिले के खुलाबाद से मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग भी जोर पकड़ने लगी है. हालांकि सपा सहित विपक्ष के कुछ नेता इस कहानी को अलग दिशा में घुमाते हुए औरंगजेब को एक जनता का हमदर्द वाला बादशाह घोषित करवाने पर आतुर हैं. इसी बीच औरंगजेब विवाद की फिल्म में प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ‘छावा’ बनकर सामने आए हैं और उन्होंने इस कब्र को हटाने का समर्थन किया है.

इससे पहले छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज भारतीय जनता पार्टी के सतारा सांसद उदयनराजे भोसले ने सबसे पहले औरंगजेब की कब्र को ढहा दिए जाने की मांग रखी थी. उन्होंने कहा था, ‘क्या जरूरत है? एक जेसीबी मशीन भेजकर उसकी कब्र को गिरा दो. औरंगजेब की कब्र पर जाकर श्रद्धांजलि देने वाले लोग उसका भविष्य हो सकते हैं. उन्हें उस कब्र को अपने घर ले जाना चाहिए, लेकिन औरंगजेब का महिमामंडन अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. वह एक चोर और लुटेरा था.’

भोसले ने ये मांग भी की थी कि शाहजी छत्रपति महाराज, राजमाता जीजाऊ छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में गलत बयान देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.

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इस मुद्दे पर प्रदेश के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बयान दिया, ‘हम सब यही चाहते हैं, लेकिन आपको इसे कानून के दायरे में करना होगा, क्योंकि यह एक संरक्षित स्थल है. कुछ साल पहले कांग्रेस के शासनकाल में इस स्थल को भारतीय पुरातत्व सोसायटी (ASI) के संरक्षण में रखा गया था.’ फडणवीस ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि यह कानून के जरिए किया जाना चाहिए क्योंकि पिछली कांग्रेस सरकार ने इसे एएसआई को सौंपकर कब्र की रक्षा की थी.

सपा विधायक ने कहा –  वह क्रूर शासक नहीं

इससे पहले 3 मार्च को समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने विधानसभा में कहा कि हमें गलत इतिहास दिखाया जा रहा है. औरंगजेब ने कई मंदिर बनवाए हैं. मैं उसे क्रूर शासक नहीं मानता. छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच धार्मिक नहीं बल्कि सत्ता और संपत्ति के लिए लड़ाई थी. अगर कोई कहता है कि यह लड़ाई हिंदू और मुसलमान को लेकर थी, तो मैं इस पर विश्वास नहीं करता. बाद में विवाद बढ़ता देख यू टर्न लेते हुए माफी मांगी और कहा कि मेरे शब्दों को तोड़ मरोड़ को पेश किया गया. आजमी ने कहा कि मैंने वही कहा है जो इतिहासकारों और लेखकों ने लिखा है.  अबू आजमी महाराष्ट्र की मानखुर्द शिवाजी नगर सीट से विधायक हैं.

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