लगता है कि हिन्दी भाषी उत्तर भारत और दक्षिण के राज्यों के बीच अलगाव और मनमुटाव समाप्त होने वाला नहीं है. कभी भाषा को लेकर तो कभी एनईपी यानि न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 को लेकर तो कभी परिसीमन को लेकर. अब ताजा बयान जनसंख्या को लेकर आया है जिसमें तमिलनाडू की सत्ताधारी डीएमके पार्टी के मंत्री ने एक विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा कि यूपी-बिहार वालों के पास बच्चे पैदा करने के अलावा कोई काम नहीं है. हालांकि उनका ये बयान सीधे केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार और बीजेपी शासित राज्यों पर निशाना साधते हुए साधा गया है.
तमिलनाडु सरकार में जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन ने उत्तर भारतीयों को लेकर ये विवादास्पद टिप्पणी की है. वह तमिलनाडु के सांसदों पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अपमानजनक टिप्पणी की निंदा करने के लिए गुडियाट्टम में आयोजित एक विरोध प्रदर्शन में बोल रहे थे.
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एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘पहले, उन्होंने कहा ‘हम दो, हमारे दो’, फिर ‘हम दो, हमारा एक’ और अब ‘हम दो, एक भी क्यों’. ठीक है, हमने इसका पालन किया लेकिन उत्तर भारत को देखें. ऐसे कोई नियम नहीं हैं. उनके पास बच्चे पैदा करने के अलावा कोई और काम नहीं है. हर एक ने 17, 18 या उससे भी ज़्यादा बच्चे पैदा किए हैं.
दुरईमुरुगन ने आगे कहा, ‘तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्य, जिन्होंने 1971 से केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए परिवार नियोजन उपायों को सफलतापूर्वक लागू किया है, अगर जनसंख्या के आधार पर परिसीमन किया जाता है तो उन्हें कम संसदीय प्रतिनिधित्व के साथ अनुचित रूप से दंडित किया जाएगा.’
जीभ काटने तक की दे दी चेतावनी
दुरईमुरुगन ने यहीं नहीं रुके. उन्होंने उत्तर भारतीयों पर दिन में एक बार भी नहा न पाने का आरोप लगाया. अपनी बात को पुख्ता करने के लिए उन्होंने एक गाय के बारे में एक किस्सा सुनाया जो उत्तर भारतीय आदमी की बदबू बर्दाश्त नहीं कर सकी और भाग गई. उन्होंने अपनी तीखी टिप्पणी को एक चेतावनी के साथ समाप्त करते हुए कहा कि आप हमें असभ्य कहते हैं, एक तमिल आपसे बहस नहीं करेगा, वह आपकी जीभ काट देगा.
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दुरईमुरुगन की इस विवादित टिप्पणी पर सीएम स्टालिन या अन्य किसी नेता की कोई प्रतिक्रिया अभी नहीं आयी है और न ही बीजेपी की ओर से इसका प्रति उत्तर दिया गया है. हालांकि यूपी और बिहार का जिक्र करते हुए दक्षिणी पंथी राज्य तमिलनाडू ने उत्तर भारतीय बनाम दक्षिणी भारतीय राज्यों में संस्कृति की जंग एक बार फिर से छेड़ दी है.