संविदा पर नियुक्ति सरकार का शोषण करने का नया तरीका- सीएम सलाहकर संयम लोढा का बड़ा बयान

मैं हमेशा से संविदा पर नियुक्ति के खिलाफ रहा हूं, सरकारों को कर्मचारियों की नियुक्ति रेग्युलर भर्ती के माध्यम से ही करनी चाहिए, संविदा पर नियुक्ति से पढ़े लिखे बच्चों की जिंदगी को किया जा रहा है खराब- संयम लोढ़ा

एक बार फिर अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर हुए लोढ़ा
एक बार फिर अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर हुए लोढ़ा

Sanyam Lodha On Sanvidha Karmi. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने अक्टूबर माह में दीवाली के मौके पर बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश के करीब 1 लाख 10 हजार संविदाकर्मियों को नियमित करने के आदेश जारी किए थे. प्रदेश सरकार भले ही इस आदेश के बाद वाहवाही लूट रही हो लेकिन इसका विरोध अब भी जारी है. युवाओं ने संविदा भर्ती नियम के कई बिंदुओं पर विरोध जताया है. इसके तहत भर्ती के नियम में सर्विस के पुराने अनुभव को शामिल करने की मांग की है. तो वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी एवं सलाहकार के पद पर काम कर रहे संयम लोढ़ा ने सोमवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अपना विरोध दर्ज करवा रहे संविदा कर्मियों से कहा कि, ‘आपको गलत फहमी है कि मैं सरकार हूं, मैं तो हैलीकॉप्टर उड रहा था उस पर लटक गया. लेकिन आज मैं सिरोही की सेवा पूरे ध्येय के साथ कर रहा हूं.’

दरअसल, अक्टूबर माह में प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ने सरकारी विभागों में काम कर रहे 1लाख 10 हजार से ज्यादा संविदाकर्मियों को नियमित करने का फैसला लिया था. जिसके तहत सभी संविदाकर्मियों को राजस्थान कॉन्ट्रैक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स, 2022 के दायरे में लिया जाएगा. लेकिन सरकार के इस योजना के लागू होने के आदेश पारित होने के साथ ही प्रदेश में विरोध शुरू हो गया. इसके विरोध में प्रदेश के संविदाकर्मी 24 नवंबर को जयपुर में पेट बहरो महारैली का आयोजन कर रहे है. इसी कड़ी में अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी और सीएम सलाहकार संयम लोढ़ा भी संविदा कर्मियों के समर्थन में बयान देते नजर आ रहे हैं. संयम लोढ़ा ने रविवार को पालड़ी एम के महाकाली मंदिर परिसर में ग्राम पंचायत सहायकों के जिला स्तरीय चिंतन शिविर को मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और एक सभा को संबोधित किया.

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संयम लोढ़ा ने कहा कि, ‘संविदा पर नियुक्ति सरकारों का शोषण का दूसरा तरीका है. मैं हमेशा से संविदा पर नियुक्ति के खिलाफ रहा हूं. सरकारों को कर्मचारियों की नियुक्ति रेग्युलर भर्ती के माध्यम से ही करनी चाहिए. संविदा पर नियुक्ति से पढ़े लिखे बच्चों की जिंदगी को खराब किया जा रहा है. इससे वे अपने परिवार के सपने भी पूरे नहीं कर पाते है. विडम्बना है कि सारी सरकारें फिर चाहे राज्य की हो या केन्द्र की वे इसी राह पर चल रही है.’ विधायक लोढ़ा ने कहा कि, ‘मैंने समय समय पर सरकार को याद दिलाया है कि आपने घोषणा पत्र में जो वायदे किए है उन्हें पूरा करो. सरकार ने जब भी मुकरने का प्रयास किया है पूरी ताकत के साथ उसका विरोध कर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है.’

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इस दौरान कर्मचारी आंदोलन का जिक्र करते हुए संयम लोढ़ा ने कहा कि, ‘कर्मचारी आंदोलन कमजोर इसलिए पड़ जाते है कि कर्मचारी उस लड़ाई को सिर्फ अपनी सुविधाओं तक सीमित कर देते है.’ लोढ़ा ने संविदा कर्मियों से कहा कि, ‘आपको गलत फहमी है कि मैं सरकार हूं, मैं तो हैलीकॉप्टर उड रहा था उस पर लटक गया और आज सिरोही की सेवा पूरे ध्येय के साथ कर रहा हूं. सरकारें ऐसा इसलिए करती है कि कम वेतन पर अधिक लोग उसे कार्य के लिए मिल जाते है. जब लोककल्याण का दावा करने वाली सरकारें इस तरह का काम करने लग जाती है तो वह समाज के लिए खतरनाक एवं घातक साबित हो जाता है.’ विधायक लोढ़ा ने कहा कि, ‘आज अनपढ़ बेरोजगार नहीं बल्कि पढा लिखा नौजवान बेरोजगार है. अब समय आ गया है कि इस प्रकार की परिपाटी को नए सिरे से समझने की आवश्यकता है.’

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इस दौरान विधायक संयम लोढ़ा ने संविदा कर्मियों से आह्वान किया कि, ‘जहां आपको गलत दिखें उस पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें और उसका विरोध करें. मैं भी लोगों के हक के लिए कार्य करता हूं और जहां भी मुझे गलत दिखाई देता है उसका विरोध अवश्य करता हूं. संविदा कर्मियों के नियमितिकरण की मांग तथा इस लड़ाई को लडऩे के लिए भी प्रतिबद्ध हूं. हम मिलकर सरकार पर दबाव बनाएंगे कि आपने चुनाव में वायदा किया है उसे पूरा करो. हम कोई भीख नहीं मांग रहे है, जिन वायदों पर आपने चुनाव लड़ा है और जो आपके घोषणा पत्र में है उस पर सवाल जवाब अवश्य करेंगे.‘ वहीं केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए संयम लोढ़ा ने कहा कि, ‘आप सवाल उनसे भी करों जिन्होंने देश में 2 करोड़ नौकरी देने, महंगाई को कम करने, डीजल और खाद्य के दाम करने का दावा कर सत्ता हासिल की थी.

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