Politalks.News/Delhi-UttarPradesh. यह तो सभी जानते हैं कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 24 घंटे चुनावी मोड में रहते हैं. यही नहीं उनके समर्थक उन्हें चुनाव जीतने की मशीन मानते हैं. समर्थकों में उनकी छवि चुनाव जीतते रहने की बनी हुई है, लेकिन अब ऐसा क्या हुआ, पीएम नरेंद्र मोदी इतना कैसे घबरा गए, जो कृषि कानूनों को वापिस लेने का फैसला लिया? कैसे महंगाई की चिंता ऐसी हुई जो सुरक्षा के मकसद से तैयार रिजर्व पेट्रोलियम से पेट्रोल निकाल कर डीजल-पेट्रोल को सस्ता बनाने का फैसला हुआ? क्यों कर योगी आदित्यनाथ के कंधों पर हाथ रख यह दर्शाने की जरूरत हुई कि योगी मजबूरी है? सियासी गलियारों में चर्चा है कि गिरती अर्थव्यवस्था, कोरोना मिस मैनेजमेंट और महंगाई जैसे मुद्दों के बीच यूपी और 2024 का रण आसान नहीं है. इसको भांपते हुए पीएम मोदी ने विपक्ष को गच्चा देने के लिए विकास और ध्रुवीकरण का रोडमैप तैयार किया है. जिसके बाद आने वाले चुनावों में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के लिए विधानसभा और लोकसभा चुनाव आसान नहीं रहने वाले हैं.
सियासी जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी को वर्तमान हालात की रिपोर्ट मिल चुकी है. गिरती अर्थव्यवस्था और कोरोना मिसमैनेजमेंट के दाग अभी धूले नहीं है. इसलिए अब पीएम मोदी को यूपी चुनाव के साथ अभी से 2024 के आम चुनाव की चिंता हो गई है. इसको लेकर पीएम मोदी ने मास्टर प्लान तैयार किया है. यही कारण है कि हाल ही में यूपी के नोएडा में जेवर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के सरकारी प्रोग्राम में नरेंद्र मोदी ने जहां विकास की बातें कहीं तो वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने बेफिक्री से सरकार के कार्यक्रम में जिन्ना की बात करके खुलकर हिंदू-मुस्लिम की राजनीति की. यहां तक कि पश्चिम यूपी के इस प्रोग्राम में भी पीएम मोदी ने अमित शाह को अपने साथ नहीं रखा, बल्कि योगी का हिंदू-मुस्लिम हुंकारा लगने दिया. इसलिए यह मानना गलत नहीं होगा कि अच्छे दिन, विकास, छप्पन इंची छाती और लोगों में पैसा-राशन-खैरात बांटने से यूपी चुनाव और फिर सन् 2024 के लोकसभा चुनाव में बात नहीं बनेगी, यह सोचते हुए नरेंद्र मोदी ने भगवाधारी ‘महंतजी’ को सारथी बना कर हिंदू-मुस्लिम धुव्रीकरण का लंबा और गहरा रोडमैप सोचा है.
यह भी पढ़ें- कोरोना के नए वैरिएंट से हड़कंप, गहलोत बोले- बूस्टर डोज का आ गया समय, अभी तो नहीं लगी दूसरी भी
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी को जो रिपोर्ट मिली है उससे साफ पता चलता है कि यूपी में पार्टी के हालात ठीक नहीं है. वहीं यूपी चुनाव से ज्यादा पीएम मोदी को चिंता 2024 के लोकसभा चुनाव की भी है. जिसका रण यूपी के रास्ते ही जीता जा सकता है. पीएम मोदी यह भी समझ चुके हैं कि 2024 में फिर से पुलवामा टाइप का चमत्कार भी होने वाला नहीं है. तो वहीं पीएम मोदी ये भी जानते हैं कि यही हाल रहे तो लोकसभा की 543 सीटों में अब पश्चिम बंगाल (42), तमिलनाडु (39), आंध्र प्रदेश (25), तेलंगाना (17), केरल (20), ओड़िशा (21), पंजाब (13), महाराष्ट्र (48) या एक लाइन में कहें की 225 सीटों में से भाजपा 50 सीटें भी नहीं जीत पाएगी.
इसलिए अब उत्तर प्रदेश (80), बिहार (40), झारखंड (14) मध्य प्रदेश (29), गुजरात (25), छतीसगढ़ (11), राजस्थान (25) उत्तराखंड (5) हरियाणा (10) की कुल 239 में 2019 की तरह लगभग शत-प्रतिशत सीटें जीतनी ही होंगी. लेकिन इसमें मजे की बात यह है कि, 239 सीटों में से 175 सीटों वाले राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ में लोकसभा से पहले विधानसभा चुनाव होने हैं और इन सभी राज्यों में बीजेपी की हालत बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है.
यह भी पढ़ें- MSP सहित विभिन्न मांगों पर अड़े किसानों नें संसद मार्च किया स्थगित तो तोमर ने की घर लौटने की अपील
इसलिए पीएम मोदी को भी यह पता है कि लोकसभा की 175 सीटों वाले इन राज्यों में अगले दो साल में यदि पार्टी की बंपर जीत नहीं हुई तो 2024 का मामला हाथ से निकलना तय है. ऐसे में भाजपा को उत्तर प्रदेश केवल जीतना ही नहीं है, बल्कि छप्पर फाड़ के बीजेपी की जीत जरुरी है. बीजेपी को यूपी में लगभग तीन सौ सीटें चाहिए ही ताकि वह लोकसभा चुनाव में मरे हुए विपक्ष के आगे दबंगी से लड़ सके. वहीं दूसरी तरफ अगर 175 सीटों वाले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जैसे-तैसे जीत कर सरकार बना भी ली और 45 प्रतिशत सीटें भी विपक्ष की हुईं तब भी भाजपा के लिए सन् 2024 का लोकसभा चुनाव कितना भारी होगा ये भी पीएम मोदी को अच्छे से पता है.
यह भी पढ़े: ‘ममता-स्वामी’ की जुगलबंदी आने वाले चुनावों में खिला सकती है गुल! भाजपा के लिए बजी खतरे की घंटी
अब सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 2024 को देखते हुए किसानों के तीनों कृषि कानूनों की वापसी का अभूतपूर्व, अकल्पनीय फैसला लिया है. वरना जिस किसान आंदोलन को साम-दाम-दंड-भेद जैसे तमाम हथकंडों से खत्म करने की कोशिश हुई हो और उसके आगे प्रधानमंत्री मोदी का झुकना क्या बतलाता है? हालात बताते हैं कि पीएम मोदी अब चौबीसों घंटे 2024 के लोकसभा चुनाव और उसके पहले के विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट चुके हैं. आने वाले चुनावों के संकेत जेवर एयरपोर्ट के समारोह में विकास और ध्रुवीकरण के ट्रेलर में दिखाया जा चुका है. भाजपा की इस रणनीति को देखते हुए ये तय माना जा रहा है कि कांग्रेस, सपा जैसी पार्टियों और अशोक गहलोत, भूपेश बघेल जैसे मुख्यमंत्रियों को या कमलनाथ, दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं को अनुमान ही नहीं है कि इनके लिए नरेंद्र मोदी आगे का चुनाव कितना मुश्किल भरा बना देने वाले हैं.