‘ममता-स्वामी’ की जुगलबंदी आने वाले चुनावों में खिला सकती है गुल! भाजपा के लिए बजी खतरे की घंटी

नाराज स्वामी और ममता की मुलाकात के बाद अटकलें, सूत्रों का दावा- स्वामी थाम सकते हैं TMC का झंडा, ममता दीदी की तारीफों के पुल बांध चुके हैं स्वामी, पहले भी एक मुलाकात ने गिरवा दी थी अटलजी की सरकार, अब क्या गुल खिलाएंगे स्वामी सभी की नजरें!

क्या गुल खिलाएगी ये 'जुगलबंदी'?
क्या गुल खिलाएगी ये 'जुगलबंदी'?

Politalks.News/Delhi. प. बंगाल की प्रचंड जीत के बाद ममता दीदी के हौसले सातवें आसमान पर है. TMC को राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए ममता दीदी ने मेगा भर्ती अभियान छेड़ रखा है. अपने दिल्ली दौरे के दौरान उन्होंने कई नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कराया. TMC के रणनीतिकारों ने कांग्रेस से नाराज और निराश नेताओं को टारगेट कर रखा है. लेकिन अब कांग्रेस के बाद भाजपा के नाराज लोगों और बौद्धिक वर्ग के लोगों पर भी TMC की नजर है. चौंकाने वाली खबर और सियासी गलियारों में जिस बात की चर्चा जोरों पर है. वह यह है कि ममता बनर्जी और सुब्रह्मण्यम स्वामी की मुलाकात और स्वामी द्वारा ममता की तारीफ करना भाजपा के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है. सूत्रों की माने तो ममता और स्वामी की मुलाकात के बाद अटकलें हैं कि भाजपा से नाराज स्वामी TMC का झंडा थाम सकते हैं और ममता की मुस्लिम परस्ती वाली छवि को तोड़ने में सहायता कर सकते हैं.

स्वामी ने बांधे ममता की तारीफ के पुल
अपने दिल्ली दौरे के दौरान पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने सुब्रह्मण्यम स्वामी से मिलीं और इसके बाद स्वामी ने उनकी जमकर तारीफ की. स्वामी ने ममता को जेपी, मोरारजी, राजीव गांधी, चंद्रशेखर और पीवी नरसिंह राव की श्रेणी का नेता बताया. ममता से उनका मिलना इतिहास की याद दिलाने वाला है. जब वे पहले जयललिता से मिले थे, फिर जयललिता की सोनिया गांधी के साथ चाय पर मीटिंग कराई थी और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार एक वोट से गिर गई थी. हालांकि अब हालात अलग हैं. नरेंद्र मोदी सरकार को बहुमत को लेकर कोई खतरा नहीं है. लेकिन आने वाले चुनावों में स्वामी और ममता की जुगलबंदी कुछ गुल खिला सकती है यह तय माना जा रहा है. बाकी नेताओं के ममता से मिलने और तृणमूल में शामिल होने के मुकाबले स्वामी का मिलना ज्यादा अहम है.

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ममता-स्वामी की मुलाकात की कहानी!
बताया जा रहा है कि, जिस समय बंगाल की सीएम ममता बनर्जी दिल्ली पहुंची थीं लगभग उसी समय सुब्रह्मण्यम स्वामी कोलकाता चले गए थे. स्वामी अपनी पत्नी के साथ कोलकाता गए और वहां राज्यपाल जगदीप धनकड़ से अपनी मुलाकात की फोटो भी साझा की. स्वामी ने यह भी ट्विट किया कि ममता बनर्जी दिल्ली में हैं और वे कोलकाता में हैं इसलिए मुलाकात संभव नहीं है. लेकिन इस ट्विट के 24 घंटे के अंदर वे कोलकाता से दिल्ली लौटे और ममता से मिले. अब सियासी गलियारों में यह सवाल है कि ऐसा क्या घटनाक्रम हुआ, जिसकी वजह से उनको दिल्ली लौटना पड़ा? और फिर ममता से मिलने के एक दिन बाद स्वामी ने कहा कि वे दिसंबर के मध्य में कोलकाता जाएंगे और हाल में पैदा हुई स्थितियों की समीक्षा करेंगे. स्वामी ने याद दिलाया कि वे तारकेश्वर मंदिर को मुक्त कराने के बारे में ममता से बात कर चुके हैं. ऐसा लग रहा है कि वे ममता की मुस्लिमपरस्त छवि से उनको मुक्त कराने में उनकी मदद करेंगे. इससे भाजपा का एक बड़ा गेम प्लान पंक्चर होगा. भाजपा ममता पर मुस्लिम परस्ती के आरोप लगाते रही है.

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भाजपा में तवज्जों नहीं मिलने से नाराज स्वामी जा सकते हैं दीदी के साथ!
दिल्ली के सियासी गलियारों में चर्चा है कि क्या सुब्रह्मण्य स्वामी टीएमसी में शामिल होने जा रहे हैं. पिछले साल भी जब बंगाल में भाजपा और टीएमसी के बीच सियासी संग्राम अपने चरम पर था तब स्वामी ने ममता बनर्जी को सच्चा हिंदू और दुर्गा भक्त भी करार दिया था. सोशल मीडिया पर कहा जाने लगा कि 2014 में जब सुब्रमण्यम स्वामी बीजेपी में शामिल हुए थे तो उस समय नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे. अब ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद उनके टीएमसी में शामिल होने की भी अटकलें लग रही है. स्वामी ने भी ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद उनकी तारीफों के पुल बांधे. सुब्रमण्यम स्वामी पहले भी भाजपा पर हमला बोलते रहे हैं. लेकिन ममता से मिलने के बाद वे खुलकर सामने आ गए. एनडीए सरकार की दूसरी पारी में भी कोई बड़ी भूमिका नहीं मिलने से नाखुश स्वामी कुछ समय से सरकार के फैसलों की भी खुली आलोचना करने से हिचक नहीं रहे हैं.

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