ऑपरेशन लोटस फ़ेल होता दिखा तो राज्यपाल के पास आ गया ऊपर से फ़ोन वापस ले लो आदेश- आप

पंजाब सरकार द्वारा बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र की राज्यपाल ने नहीं दी अनुमति, केवल विश्वास प्रस्ताव को साबित करने के लिए स्पेशल सेशन बुलाने का नहीं है कोई कानूनी प्रावधान- राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित, आम आदमी पार्टी ने इसे बताया लोकतंत्र की हत्या, आज देश में एक तरफ़ संविधान है और दूसरी तरफ़ ऑपरेशन लोटस

आप के निशाने पर पंजाब के राज्यपाल
आप के निशाने पर पंजाब के राज्यपाल

Politalks.News/Punjab. दिल्ली के बाद पंजाब में भी विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाने के बाद आम आदमी पार्टी ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर विश्वास मत पेश करने की राज्यपाल से मांग की थी. इस विशेष सत्र के लिए स्पीकर की तरफ से विप भी जारी कर दिया गया था लेकिन बुधवार को सूबे के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने विशेष सत्र बुलाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है. गवर्नर ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि केवल विश्वास प्रस्ताव को साबित करने के लिए स्पेशल सेशन बुलाने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है. राज्यपाल के इस आदेश के बाद प्रदेश की सियासत का गरमा गई है. राज्यपाल के इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी के मुखिया एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, जब ऑपरेशन लोटस फ़ेल होता लगा और संख्या पूरी नहीं हुई तो ऊपर से फ़ोन आया कि इजाज़त वापिस ले लो. वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि, ‘राज्यपाल की ओर से विधानसभा न चलने देना देश के लोकतंत्र पर बड़े सवाल पैदा करता है.’

काबिले गौर है कि आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी पर उनके विधायकों को 25-25 करोड़ रुपए में खरीदने का आरोप लगाया था. यही नहीं, आम आदमी पार्टी ने इस मामले में डीजीपी गौरव यादव को शिकायत भी दी थी जिसके चलते मोहाली के थाने में केस भी दर्ज कर लिया. पता चला है कि यह केस अज्ञात लोगों पर दर्ज किया है. इसी बीच आम आदमी पार्टी द्वारा विपक्षी दल भाजपा पर विधायकों के खरीद फरोख्त के आरोप के बीच सीएम भगवंत मान ने बड़ा एलान करते हुए 22 सितंबर को पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाये जाने की बात कही थी. यही नहीं इसके लिए तो पंजाब विधानसभा स्पीकर की तरफ से विधानसभा सत्र की कार्यवाही से पहले व्हीप भी जारी कर दिया था लेकिन आखिरी समय पर राज्यपाल ने विशेष सत्र की अनुमति नहीं दी.

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बुधवार को गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने एक आदेश जारी करते हुए साफ़ कहा कि, ‘केवल विश्वास प्रस्ताव को साबित करने के लिए स्पेशल सेशन बुलाने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है.’ इस मामले में गवर्नर ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन से कानूनी राय मांगी थी. इस पर जैन ने बताया कि, ‘पंजाब विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों में केवल ‘विश्वास प्रस्ताव’ पर विचार करने के लिए विधानसभा बुलाने के संबंध में कोई विशेष प्रावधान नहीं है.’ वहीं राज्यपाल के विधानसभा सत्र ना बुलाने पर आम आदमी पार्टी भड़क गई. आम आदमी पार्टी ने कहा कि, ‘यह लोकतंत्र की हत्या का एक और नमूना है. प्रताप बाजवा अमित शाह के निर्देश पर काम कर रहे हैं. राज्यपाल को इसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है और यह भारतीय लोकतंत्र में शर्मनाक घटना है.’ बता दें कि कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा, विधायक सुखपाल सिंह खैहरा और विधायक एवं पंजाब भाजपा अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने सेशन बुलाने पर सवाल उठाए थे.

वहीं आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए राज्यपाल एवं बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘राज्यपाल कैबिनेट द्वारा बुलाए सत्र को कैसे मना कर सकते हैं? फिर तो जनतंत्र खतम है. दो दिन पहले राज्यपाल ने सत्र की इजाज़त दी. जब ऑपरेशन लोटस फ़ेल होता लगा और संख्या पूरी नहीं हुई तो ऊपर से फ़ोन आया कि इजाज़त वापिस ले लो. आज देश में एक तरफ़ संविधान है और दूसरी तरफ़ ऑपरेशन लोटस.’ वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘राज्यपाल द्वारा विधानसभा ना चलने देना देश के लोकतंत्र पर बड़े सवाल पैदा करता है… अब लोकतंत्र को करोड़ों लोगों द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि चलाएंगे या केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया हुआ एक व्यक्ति… एक तरफ भीमराव जी का संविधान और दूसरी तरफ ऑपरेशन लोटस…जनता सब देख रही है…’

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बता दें कि 117 सीटों वाली पंजाब विधानसभा में आम आदमी पार्टी के पास 92 विधायक हैं और उसे पूर्ण बहुमत हासिल है. वहीं कांग्रेस के 18 विधायक हैं. शिरोमणि अकाली दल के तीन और भाजपा के केवल दो विधायक हैं. भगवंत मान ने कहा था कि लोगों ने उनकी सरकार को बहुमत दिया है लेकिन कुछ ताकतें दौलत के दाम पर उनके विधायकों को लुभाने में लगी हुई हैं. इसी वजह से विशेष सत्र बुलाकर भरोसा हासिल किया जाएगा.

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