Hanuman Beniwal on Railway Minister Ashwini Vaishnav: बीते दिनों राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने दिल्ली में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात कर नागौर के पशु मेले में पशुओं के परिवहन हेतु विशेष ट्रेन संचालित करने की मांग की थी, जिस पर रेल मंत्री ने सहमति देते हुए सांसद बेनीवाल को आश्वस्त किया था. लेकिन रेलमंत्री की सहमति के बाद भी पशु मेले में ट्रेन का संचालन नहीं किया गया. इस पर मंगलवार को संसद के बजट सत्र में लोकसभा की कार्यवाही के दौरान सांसद हनुमान बेनीवाल ने गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए सदन में रेल मंत्री वैष्णव पर कई आरोप लगाए. सांसद बेनीवाल ने कहा मंत्री भ्रष्ट अधिकारियों को पोस्टिंग देते है और उन्हें आम आदमी से ज्यादा कॉरपोरेट की चिंता रहती है. यही नही सांसद बेनीवाल ने यहां तक कहा कि मंत्री यह बताए की आपकी मंशा पर अधिकारियों ने पानी कैसे फेर दिया या अधिकारी आपकी मानते नही हैं. वहीं सांसद बेनीवाल के आरोप लगाते ही सदन में गर्मा गर्मी का माहौल हो गया और भाजपा सांसद इसका विरोध करने लगे लेकिन बेनीवाल रुके नहीं. उसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के दखल के बाद मामला शांत हुआ.
जब लाभ हानि देखकर परियोजनाओं को ला रहे है तो फिर रेल को सेवा का साधन बताना किस दृष्टि से उचित?:
सदन में अपनी बात रखते हुए सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा की रेल सेवा का साधन है. देश में किसी रेलवे परियोजना की स्वीकृति को लेकर जब कोई पहल होती है और उसका सर्वेक्षण होता है और जब यह सामने आता है की यह परियोजना गैर अर्थक्षम है, लाभकारी नहीं है, इसलिए इस परियोजना को आगे नहीं बढाया जा सकता तो ऐसा लगता है की रेल को सेवा का साधन बताना केवल व्यर्थ की बात है. क्योंकि जब बात लाभ -हानि की आ जाति है और उसके आधार पर रेलवे कोई प्रोजेक्ट तय करता है तो फिर हम उसको सेवा का साधन कैसे कह सकते है.
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उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाया बजट: इसके साथ ही केंद्रीय रेल बजट पर सांसद हनुमान बेनीवाल ने सवाल उठाते हुव कहा की अभी जो बजट आया उसमे भी राजस्थान को लेकर रेलवे से जुड़ी उम्मीदों को यह बजट पूरा नहीं कर पाया. बेनीवाल ने कहा की रतलाम-डूंगरपुर-बाँसवाड़ा रेलवे लाइन परियोजना के लिए 1320 करोड़ की लागत थी. सरकार ने विगत और वर्तमान बजट में बहुत कम बजट दिया, दौसा- गंगापुर सिटी के लिए स्वीकृत लागत 607 करोड़ रूपये थी जिसमे बहुत कम राशि दी. वहीं पुष्कर-मेड़ता रेलवे लाइन के लिए 322 करोड़ की परियोजना लागत थी. बेनीवाल ने कहा कि वर्षो से केंद्र ने कुछ नहीं दिया और इस बजट में मात्र 10 करोड़ रूपये दिए जो ऊंट के मुह में जीरा समान है.
परियोजनाओं में मंद गति: सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा की सरकारी आंकड़ों के अनुसार एक अप्रेल 2022 तक 1228 किलोमीटर की कुल लंबाई की 11 नई लाइन परियोजनाएं, राजस्थान में 16,942 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाएँ योजना/अनुमोदन/निष्पादन के विभिन्न चरणों में हैं लेकिन, इनमें से 107 किलोमीटर लम्बाई चालू कर दी गई है और मार्च 2022 तक 2,695 करोड़ रुपये का व्यय किया गया है इससे पता चलता है कि केवल 107 किमी नई लाइन रेलवे चालू की गई है, जो निष्पादन के विभिन्न चरणों के तहत नियोजित 1,228 किमी नई रेलवे लाइन की कुल लंबाई का 9% से भी कम है और इसलिए 91% से अधिक प्रस्तावित परियोजनाएं लंबित है इसलिए सरकार को परियोजनाओं में तेजी लाने और सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में राजस्थान पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है.
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रेलवे में रिक्त पदों को भरा जाए: सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा की देश में विभिन्न रेलवे भर्ती बोर्ड के आंकड़ो के अनुसार एक लाख 16 हजार 776 तथा जोनल रेलवे जिसमे रेलवे सुरक्षा बल और रेलवे विशेष सुरक्षा बल शामिल है, में कुल 177911 पद रिक्त हैं, इस प्रकार लगभग तीन लाख पद खाली पड़े हैं, उन्हें जल्द से जल्द नियमित भर्ती के माध्यम से भरने की जरूरत है.
यह कहा स्टेशनों के विकास को लेकर: आगे सांसद हनुमान बेनीवाल ने अमृत भारत स्टेशन योजना में मुंडवा, मकराना, कुचामन सिटी और नावां तथा लाडनू स्टेशनों को भी इस योजना में सम्मिलित करने और इन स्टेशनों पर स्व चालित सीढियाँ, लिफ्ट, स्टेशन के बाहरी क्षेत्र में सुलभ कोम्प्लेकस बनाने, नागौर, मेड़ता रोड, मेड़ता रोड बाईपास, कुचामन, मुंडवा और डेगाना तथा मकराना व लाडनू स्टेशन के सभी प्लेटफोर्म पर टीन शेड का विस्तार कार्य करने, मेड़ता और नागौर में वीआईपी विजिटर कक्ष बनाने और इन स्टेशनों पर एटीएम और मेडिकल सुविधाओ उपलब्ध करवाने सहित इन तमाम स्टेशनों के ऐसे प्लेटफोर्म जहाँ कोच गाइडेंस सिस्टम नहीं है वहां यह सिस्टम लगाने की भी मांग रखी.
कोरोना के बाद बंद किए ट्रेनों में ठहराव को पुन: प्रारंभ किए जाए: सांसद हनुमान बेनीवाल ने नागौर जिले सहित जोधपुर, जयपुर व अजमेर तथा बीकानेर मंडल के रेलवे स्टेशनों पर उन सभी ट्रेनों के ठहराव की मांग रखी जिनका कोरोना काल से पहले ठहराव होता था.