Politalks.News/Rajyasabha. पिछले लगभग 30 सालों से ज्यादा का रिकॉर्ड तोड़ते हुए हाल ही में संसद के उच्च सदन राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी ने सौ सांसद पूरे करने के इतिहास बनाया है. लेकिन भाजपा की यह खुशी ज्यादा दिन टिकती नजर नहीं आ रही है. अगले कुछ महीनों में देश के अलग अलग राज्यों की 57 सीटों पर राज्यसभा के चुनाव होने हैं, इनमें से उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर बाकी राज्यों या तो भाजपा को नुकसान होगा और या उसकी सीटें बराबर रहेंगी, ऐसे में अगर भाजपा के सदस्यों की भरपाई नहीं होती है तो राज्यसभा में बीजेपी के सदस्यों की संख्या फिर सौ के नीचे पहुंच जाएगी. ऐसे में भाजपा के लिए राज्यसभा में 100 सीटों के आंकड़ें को बनाए रखना बड़ी चुनौती है जिसके लिए भाजपा को दूसरे दलों में तोड़फोड़ के अपने प्रसिद्ध हथियार को चलाना पड़ सकता है.
बात करें भाजपा द्वारा हाल ही में लगातार दूसरी जीत हासिल कर इतिहास रचने वाले राज्य उत्तरप्रदेश की तो, उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटें खाली हो रही हैं, जिनमें से आठ सीटें तो पक्का भाजपा को मिलेंगी. ऐसे में भाजपा को आठ सीटों में से सिर्फ तीन सीटों का फायदा होगा क्योंकि रिटायर हो रहे 11 राज्यसभा सांसदों में से पांच तो बीजेपी के ही हैं, बाकी अन्य दलों के हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश में मिली इस भारी जीत के बावजूद भाजपा को सिर्फ तीन सीट का ही फायदा हो रहा है.
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लेकिन जितना फायदा भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में हो रहा है उतना नुकसान तो अकेले राजस्थान में हो जाएगा. राजस्थान में राज्यसभा की चार सीटें खाली हो रही हैं और चारों ही भाजपा की हैं. उसमें से भाजपा को इस बार सिर्फ एक सीट मिल पाएगी और बाकी तीन सीटें कांग्रेस के खाते में जाएंगी. इसके बाद भाजपा को एक बड़ा नुकसान आंध्र प्रदेश में होगा, जहां उसने टीडीपी के सांसदों को तोड़ कर अपनी पार्टी में मिला लिया था. इस बार वहां से भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलेगी. इस तरह आंध्रप्रदेश में भी भाजपा को तीन सीट का नुकसान होगा. आपको बता दें यहां से सुरेश प्रभु, टीजी वेंकटेश और वाईएस चौधरी तीनों रिटायर हो जाएंगे. यही नहीं भाजपा को एक सीट का नुकसान झारखंड में भी होगा और एक सीट का नुकसान छत्तीसगढ़ में भी होगा.
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल उठता है कि भाजपा इन पांच सीटों की भरपाई कहां से करेगी? क्योंकि बाकी जिन राज्यों में राज्यसभा के चुनाव होने हैं वहां एक उत्तराखंड को छोड़ कर बाकी सब जगह यथास्थिति रहेगी. उत्तराखंड में भाजपा को एक सीट का फायदा होगा. वहीं बिहार में पांच सीटों पर चुनाव होने वाले हैं, जिनमें से दो भाजपा को मिलेगी और दोनों उसी की सीट होगी. कर्नाटक में तीन में से दो सीटें भाजपा को मिलेंगी और दोनों उसी की सीट हैं. इसी तरह महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में भी भाजपा के जितने सदस्य रिटायर होंगे उतने की ही वापसी होगी.
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अब बात करें मनोनीत सांसदों की तो, कुल सात मनोनीत सदस्य रिटायर हो रहे हैं, जिनमें से पांच भाजपा के सदस्य हैं और बाकी दो- नरेंद्र जाधव व मैरीकॉम ने पार्टी की सदस्यता नहीं ली थी. सो, संभव है कि इस बार सभी सात ऐसे लोग मनोनीत हों, जो जीतने के बाद अपने को भाजपा का सदस्य घोषित करें. ऐसा होता है तब भी भाजपा की संख्या सौ से एक कम रह सकती है. इसलिए भाजपा को दूसरी पार्टियों के कोटे की कुछ सीटें जीतनी हैं या दूसरी पाटियों में तोड़-फोड़ करके सांसदों को अपने साथ लाना है, जैसा उसने पहले आंध्र प्रदेश, बिहार और असम में किया था.