Politalks.News/Bihar. बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनावों में अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं. नामांकन का दौर जारी है जबकि चुनावी चौसर पर सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने अपने मुहरे खड़े कर दिए हैं. चुनावों में वैसे तो हर सीट का अपना महत्व है लेकिन पटना की मोकामा विधानसभा सीट इन दिनों काफी सुर्खियों में है. यहां मुकाबला ‘राम’ बनाम ‘रावण’ में होने जा रहा है. वैसे तो सभी जानते हैं कि रावण पर राम की जीत हुई थी लेकिन यहां कथित तौर पर रावण अपने प्रतियोगी राम पर भारी पड़ते दिख रहे हैं. यानि सीधी भाषा में कहें तो मोकामा सीट पर उलटी गंगा बहती हुई नजर आ रही है.
अब बात करें कौन हैं ये राम और रावण, तो बता दें जेडीयू के उम्मीदवार राजीव लोचन सिंह ‘श्रीराम’ के प्रतीक हैं तो राजद के बाहुबली नेता अनंत सिंह स्वरूप हैं. दोनों को राम-रावण की संज्ञा दी है मुंगेर लोकसभा सीट से जेडीयू के सांसद ललन सिंह ने, यहां वे राजीव लोचन सिंह के प्रचार के लिए आए थे. यहां ललन सिंह ने कहा कि मोकामा सीट पर राम बनाम रावण की लड़ाई है. जब भी राम और रावण का मुकाबला होता है तो किसकी जीत होती है, यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है.
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बात करें अनंत सिंह की तो उनके कर्म भी रावण जैसे ही कहे जा सकते हैं. अनंत सिंह इन दिनों जेल में हैं और पुलिस वैन में ही नामांकन दाखिल करने आए थे. पिछले चुनाव में भी वे जेल में ही थे. लेकिन बाहुबली नेता अनंत सिंह लगातार चार बार से मुंगेर सीट से विधायक हैं. एक बार निर्दलीय तो तीन बार जदयू खेमे से विधायक रह चुके हैं. हत्या का आरोप लगने के बाद जदयू ने 2015 के विधानसभा चुनाव से ऐन वक्त पहले अनंत सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था.
इसके बाद अनंत सिंह ने निर्दलीय ही ताल ठोकी और जदयू समेत एनडीए के उम्मीदवार को बुरी तरह धूल चटाई. मतदान होने से पहले ही उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया लेकिन उसके बाद भी उनकी पत्नी और उनके समर्थकों ने प्रचार कार्य संभाला था. अनंत सिंह की अपने इलाके में इतनी चलती है कि 2015 के चुनाव में उनके सामने खड़े प्रत्याशी को केवल 35 हजार वोट ही मिल सके थे.
एक तरफ बाहुबली अनंत सिंह हैं जिन पर हत्या समेत दर्जनों गंभीर मुकदमें दर्ज हैं, वहीं उनके सामने हैं जदयू के राजीव लोचन सिंह, जो एक किसान नेता हैं और अपनी साधु छवि के लिए जाने जाते हैं. राजीव लोचन की छवि एक साफ-सुथरे नेता की है. राजीव लोचन और उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मित्र रहे हैं. पिछली बार निर्दलीय होकर भी अनंत सिंह ने महागठबंधन के बैनर तले जदयू के नीरज कुमार को हराया था. इस सीट पर मतदान 28 अक्टूबर को होने वाला है.
एक नजर डाले यहां की जातिगत स्थिति पर तो मोकामा विधानसभा में कुल वोटर 2.68 लाख हैं जिनमें 1.40 लाख वोट पुरूष और 1.27 लाख महिला वोटर हैं. दो मतदाता ट्रांसजेंडर भी हैं. इस सीट पर अहम भूमिका भूमिहार, कुर्मी, यादव, पासवान वोटर्स की है. राजपूत और रविदास जैसी जातियां भी यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं. इस सीट पर साल 2000 में सबसे अधिक मतदान 76.70 प्रतिशत हुआ था. इस दौरान 83.4 पुरुषों और 69.01 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया था.
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इधर, राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने ललन सिंह के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, ‘अनंत सिंह जब तक जदयू में थे, तब तक वह राम थे, जैसे ही राजद में आए तो इन लोगों ने उन्हें रावण बता दिया. जिनके घर खुद शीशे के हैं, उन्हें किसी दूसरे के घर पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए.’
अब भई ये तो चुनावी दंगल है और जनता होती है जनार्दन. वही चुनती है अपना नेता. अब कथित तौर पर कौन है राम और कौन है असली रावण, ये भी जनता ही तय करेगी. ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा और जल्द ही पता चल जाएगा कि जनता की नजर में कौन असली रावण है और कौन है विजेता श्रीराम का प्रतिरूप’.