दक्षिण गुजरात: भाजपा के गढ़ में ‘आप’ की ताकत, बीजेपी का जोर, कांग्रेस पड़ रही पल-पल कमजोर

कमजोर प्रचार कांग्रेस को बना रहा प्रभावहीन, सुपर स्टार प्रचारकों के दम पर अपने मजबूत किले को सुढृढ करने में जुटी बीजेपी लेकिन निकाय चुनावों की सफलता ने आम आदमी पार्टी को दी संजीवनी, अब सूरत की 5 सीटों पर पार्टी का दावा बीजेपी-कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा मजबूत

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GujaratAssemblyElection. दक्षिण गुजरात का प्रमुख शहर सूरत बीजेपी का अभेद गढ़ है. यहां वर्षों से बीजेपी का एक छत्र राज रहा है. कांग्रेस पिछले कई सालों से इस किले को भेदने में लगी है लेकिन सफलता हाथ नहीं लग पाई है. इस बार बीजेपी की इस गढ़ में आम आदमी पार्टी सेंध लगाने की पूरी तैयारी में है. कांग्रेस का कमजोर होना भी आप पार्टी के पक्ष में जाता दिख रहा है तो वहीं निकाय चुनावों में मिली सफलता भी आप के इरादों को मजबूती दे रही है. जिस तरह से आप पार्टी गुजरात विधानसभा चुनाव में सूरत में अपना ताकत झोंक रही है, उससे बीजेपी भी परेशान है और वो इस किले को बचाने के लिए पूरा जोर लगा रही है. राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा में वयस्त होने के चलते कांग्रेस की ताकत सिमटी हुई है, जिसके चलते कांग्रेस गुजरते वक्त के साथ फिलहाल कमजोर पड़ती जा रही है.

आपको बता दें कि सूरत जिले में बीजेपी पिछले 27 सालों से प्रचंड बहुमत से जीत रही है. यहां एक कहावत बड़ी मशहूर है कि बीजेपी ने जिस किसी को भी यहां से टिकट थमाया, समझो वो जीत गया. वैसे तो दक्षिणी गुजरात स्थित सूरत जिले में 16 विधानसभा सीटें है. इनमें से 9 से 10 सीटों पर इस बार भी यही कहावत सफल होते दिख रही है लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा है कि 5 से 6 सीटों पर इस बार बीजेपी के इस अभेद किले में सेंध लग सकती है.

इस कारनामे को कांग्रेस नहीं बल्कि केजरीवाल एंड पार्टी यानी आम आदमी पार्टी अंजाम देती नजर आ रही है. सूरत की 5 सीट काम्बरेज, वराछ, करंज, सूरत उत्तर और कतारगंज इन दिनों खासी चर्चा में है. चर्चा में इसलिए कि ये वही सीटें हैं, जहां इस बार बीजेपी का पासा पलट सकता है और आप पार्टी की सेंध लग सकती है. यह पाटीदार इलाका है और यहां सौराष्ट कच्छ के ज्यादा वोटर हैं.

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गुजरात के पिछले विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने 33 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन सफलता से कोसो दूर रहे. लेकिन पिछले साल सूरत निकाय चुनावों में बीजेपी को तब कड़ा झटका लगा, जब आप पार्टी ने 27 सीटें जीतकर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया. हालांकि सूरत निकाय चुनावों में बीजेपी को 130 में से 93 सीटें मिली और उनका निगम भी बना लेकिन यहां बीजेपी के गढ़ में आप की सफलता ने एक हॉल बनाने का काम तो कर ही दिया. आपको याद दिला दें कि 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में उतरी आम आदमी पार्टी को ठीक यही आंकडे मिले थे. इसके 6 महीने बाद फिर से हुए चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टियों के सामने आप पार्टी ने 70 में से 67 सीटों पर कब्जा जमाया था.

सूरत निकाय चुनावों में 27 उम्मीदवारों की जीत ने पार्टी में संजीवनी फूंकने का काम किया है. यही वजह है कि सूरत की कम से कम 5 सीटों पर आप को बीजेपी की टक्कर का माना जा रहा है. सूरत की 5 सीट काम्बरेज, वराछ, करंज, सूरत उत्तर और कतारगंज विस सीटें इन्हीं निकाय के इर्द गिर्द आती हैं. ऐसे में यहां मुकाबला त्रिकोणीय फंसना निश्चित है.

पाटीदार आंदोलन के प्रमुख नेता अल्पेश कथारिया को आप आदमी पार्टी ने अपने खेमे में लेकर वराछ विस सीट से टिकट दिया है. वराछ से ही सूरत निकाय चुनावों में अधिकांश सदस्य जीते थे, ऐसे में इस इलाके में बीजेपी के सामने आप चनौती दे रही है. ऐसे में निकाय चुनावों को आम आदमी पार्टी की गुजरात चुनाव में बड़ी एंट्री कहा जा सकता है.

गुजरात में कांग्रेस इस बार काफी कमजोर लग रही है. हालांकि पार्टी अपने साइंलेंट प्रचार के जरिए बड़े प्रचार रैलियों की जगह डोर टू डोर में जमकर मेहनत कर रही है. कांग्रेस के लिए दक्षिण गुजरात में कमजोर स्थिति है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गुजरात विस चुनावों में लगातार जीत रही बीजेपी ने कांग्रेस को सत्ता से बहुत दूर किया तो आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के मतदाताओं पर ऐसा कब्जा जमाया कि सूरत निकाय चुनावों में प्रमुख पार्टी कांग्रेस को खाता तक खोलने नहीं दिया.

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वर्तमान चुनावों में भी कांग्रेस की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है. हालांकि आगामी दिनों में कांग्रेस बड़े स्तर पर चुनावी प्रचार की प्रस्तावना पर काम कर रहे हैं. हालांकि इस बार संकेत कुछ ऐसे बन रहे हैं कि कांग्रेस को हटाकर आप विपक्ष की कुर्सी पर काबिज हो सकती है.

अपने इसी आधार पर आम आदमी पार्टी सूरत की काम्बरेज, वराछ, करंज, सूरत उत्तर और कतारगंज विस सीटों पर जमकर जोर लगा रही है. पार्टी के प्रमुख चेहरे राम धडूक को काम्बरेज, अल्पेश को कथारिया को वराछ, प्रदेश संगठन मंत्री मनोज सौरठिया को करंज, सूरत शहर प्रमुख महेंद्र नावड़िया को सूरत उत्तर और प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया को कतारगांव से मैदान में उतारा है. आप पूरी ताकत इन सीटों पर लगा रही है और लतार रैलियां एवं घर घर जाकर प्रचार कर रही है.

इसी तरह काम्बरेज से विधायक रहे वीडी झालवाड़िया का टिकट काटकर बीजेपी के प्रफुल्ल पांसेरिया, वराछ से मंत्री रहे कुमार कानानी, सूरत उत्तर से कांतिलाल बलर, करंज से प्रवीण घोघड़ी और कतारगांव से मंत्री रहे विनोद मौरडिया को फिर से कतारगांव से बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. अपना गढ़ बचाने और इन सीटों पर आप का तोड़ निकालने के लिए बीजेपी अब अपने प्रवासी गुजरातियों को रिझाने के लिए सुपर स्टार सांसदों को प्रचारकों के रूप में मैदान में उतारने की तैयारी में हैं. सुपर स्टार सांसदों की लिस्ट में दिल्ली सांसद मनोज तिवाड़ी, यूपी सांसद रवि किशन और भोजपुरी स्टार एवं सांसद निरहुआ शामिल हैं तो फ़िल्म स्टार और सांसद सनी देओल भी यहां दिख सकते हैं.

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खैर जो भी हो, लेकिन एक बात तो बिलकुल सच है कि दक्षिण गुजरात के सूरत जिले की कुछ सीटों पर आम आदमी पार्टी सच्चे मायनों में बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रही है. हालांकि बीजेपी के सभी उम्मीदवार जनता के लिए जाने पहचाने हैं. कुमार कानानी दो बार, प्रवीण घोघड़ी एक बार विधायक जबकि विनोद मौरडिया सरकार में मंत्री रह चुके हैं. इसके बावजूद आप पार्टी के प्रत्याशी इन सभी अनुभवी उम्मीदवारों पर कथित तौर पर भारी पड़ रहे हैं. अब देखना रोचक होगा कि बीजेपी सूरत में अपना अभेद किला बचा पाती है कि आप पार्टी उनके मंसूबों पर झाडू फेरने में कामयाब होती है.

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