indian politics
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साल 2024 के सियासी कैलेंडर के 11वें पार्ट में हम लेकर आए हैं नवंबर माह का राजनीतिक हिसाब-किताब, जिसमें उन सभी बड़े सियासी घटनाक्रमों को शामिल किया है, जिन्होंने देश की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला है. इस महीने कुछ बड़े घटनाक्रम हुए, जो देशभर में चर्चा का विषय रहा. महीने की शुरुआत राजस्थान में हुए नरेश मीणा थप्पड़ कांड़ से हुई जिसकी छाप देशभर की राजनीति पर पड़ी. राजस्थान की 7 सीटों पर हुए उपचुनावों का परिणाम भी चौंकाने वाला रहा. महाराष्ट्र-झारखंड विधानसभा चुनावों के परिणाम भी इसी महीने में जारी हुए. दिल्ली की चुनावी हलचल के बीच आम आदमी पार्टी ने अपनी पहली लिस्ट भी जारी कर दी. अन्य कई अन्य घटनाक्रमों ने भी देश की राजनीति को अपनी ओर खींचा. आइए जानते हैं..

  1. नरेश मीणा थप्पड़ कांड

टोंक जिले की देवली-उनियारा सीट पर मतदान के दिन निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा ने एसडीएम को थप्पड़ मार दिया. इस घटना का वीडियो वायरल हुआ और देशभर में चर्चा का विषय बना. हालांकि इस घटनाक्रम पर पक्ष और विपक्ष में कई नेताओं ने बयानबाजी की. कांड के बाद नरेश मीणा गायब हो गए और बाद में पकड़े भी ​गए. इस मामले में नरेश मीणा समेत 40 लोग अब भी जेल में बंद हैं.

  1. राजस्थान में 6 जगह खिला कमल

प्रदेश में 7 सीटों पर हुए उप चुनाव में परिणाम चौंकाने वाले साबित हुए. बीजेपी ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की. झुंझुनूं, खींवसर, देवली-उनियारा, सलूंबर, रामगढ़ में कमल खिला. कांग्रेस अपने कब्जे वाली चार में से केवल दौसा पर सिमट कर रह गई. भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) ने चौरासी सीट पर कब्जा बरकरार रखा. खींवसर में हार के साथ ही विधानसभा में हनुमान बेनीवाल का रालोपा का प्रतिधित्व पूरी तरह से समाप्त हो गया. यहां बेनीवाल की पत्नी कनिका को हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद विधानसभा में बीजेपी की संख्या बल बढ़कर 119 और कांग्रेस घटकर 66 पर पहुंच गयी.

  1. महाराष्ट्र में महायुति की वापसी, झारखंड में झामुमो

23 नवंबर को झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए. झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने एनडीए को हराकर बहुमत हासिल किया. कांग्रेस भी सरकार का हिस्सा बनी. हेमंत सोरेन को फिर से विधायक दल का नेता चुना गया. वहीं, महाराष्ट्र में एक बार फिर महयुति सरकार की प्रचंड बहुमत के साथ वापसी हुई. महाविकास अघाड़ी 50 के अंदर अंदर सिमट गया. एकनाथ शिंदे की नाराजगी के चलते मुख्यमंत्री के चुनाव में देरी हुई और महीने के आखिर तक सीएम का फैसला नहीं हो सका.

  1. प्रियंका की राजनीति में सफल एंट्री

इसी महीने में ही केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे आए. कांग्रेस उम्मीदवार प्रियंका गांधी ने बड़ी जीत दर्ज की. करीब साढ़े तीन दशक का खुद का राजनीतिक अनुभव बताने वाली प्रियंका पहली बार चुनावी राजनीति में दाखिल हुई. इस जीत के बाद प्रियंका ने देशभर की सुर्खियों में अपनी जगह बनाई. इसके साथ ही गांधी परिवार के तीन सदस्य एक साथ सदन में पहुंचे. राहुल गांधी रायबरेली से लोकसभा और सोनिया गांधी राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं.

  1. हेमंत सोरेन की ताजपोशी रही खास

महीने के अंत में हेमंत सोरेन की ताजपोशी खासी चर्चा में रही. सोरेन चौथी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने. झारखंड के इतिहास में ऐसा पहली बार है. राज्य के 24 साल के इतिहास में तीन चेहरे तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इनमें हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन, बीजेपी के अर्जुन मुंडा और खुद हेमंत सोरेन शामिल थे. चौथी बार शपथ लेते ही हेमंत इस श्रेणी से सबसे आगे निकल गए.

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