Politalks.News/Maharashtra. महाराष्ट्र विधानपरिषद के चुनाव ख़त्म होने के बाद प्रदेश में शुरू हुआ सियासी घमासान ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. पार्टी के दिग्गज नेता एवं कभी उद्धव ठाकरे के करीबी रहे एकनाथ शिंदे बागी विधायकों के साथ असम के गुवाहाटी में डेरा डाले बैठे हैं तो वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी सीएम आवास तो छोड़ दिया लेकिन पद अब तक नहीं छोड़ा. सीएम ठाकरे के आवास छोड़ने और उनके समर्थन में आये पार्टी समर्थकों को लेकर एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर तंज कसा है. यहीं नहीं सीएम ठाकरे ने जहां बागी विधायकों को मुंबई आकर अपना पक्ष रखने की बात कही थी तो वहीं एकनाथ शिंदे और उनके बागी विधायकों ने सीएम ठाकरे को खुला पत्र लिखकर अपना दर्द साझा किया है. सूत्रों का कहना है कि असम में स्थित होटल रेडिसन ब्लू में करीब 42 बागी विधायक मौजूद हैं. पार्टी से बागी विधायकों ने पत्र में लिखा कि ‘जिस तरह बुधवार को आपके मातोश्री पहुंचने पर वहां मौजूद शिवसैनिकों के लिए गेट खुले थे वो गेट पिछले ढाई साल से शिवसेना के विधायकों के लिए बंद थे.’
असम में बैठे बागी विधायकों ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से कहा कि, ‘कल वर्षा बंगले के दरवाजे सचमुच जनता के लिए खोल दिए गए. बंगले पर भीड़ देखकर खुशी हुई लेकिन पिछले ढाई साल से शिवसेना विधायक के तौर पर हमारे लिए ये दरवाजे बंद थे. एक विधायक के रूप में बंगले में प्रवेश करने के लिए, हमें अपने आसपास के लोगों के बारे में अपना मन बनाना था. हमें ऐसे लोग चला रहे थे, जिन्हें लोगों ने नहीं चुना था. ये लोग विधान परिषद और राज्यसभा के माध्यम से आये थे. तथाकथित (चाणक्य लिपिक) बडवे हमें हराने और राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव की रणनीति तय करने के लिए यही कर रहे थे. इसका परिणाम सिर्फ महाराष्ट्र ने देखा है. मुख्यमंत्री मंत्रालय की छठी मंजिल पर सभी से मिलते हैं, लेकिन हमारे लिए कोई जगह ही नहीं थी, क्योंकि आप कभी मंत्रालय ही नहीं गए.
यह भी पढ़े: किन-किन विधायकों को दिए 10-10 करोड़? सीएम गहलोत के आरोपों पर BJP ने RTI लगाकर मांगी सूचना
शिंदे समर्थकों ने अपने पत्र में लिखा, ‘निर्वाचन क्षेत्र के कार्य के लिए, अन्य प्रश्नों के लिए, व्यक्तिगत कठिनाइयों के लिए सीएम साहब से मिलने के कई अनुरोधों के बाद हमें बुलाया जाता और बंगले के गेट पर घंटों खड़ा रखा जाता. मैंने मैंने कई बार सीएम को फोन किया पर फोन रिसीव नहीं होता था. आखिरकार हम ऊब जाते और चले जाते. हमारा सवाल यह है कि अपने ही विधायकों के साथ ऐसा अपमानजनक व्यवहार क्यों? ऐसे विधायकों से इस तरह का व्यवहार जिन्हें तीन-चार लाख मतदाता चुनते हैं? हमें जिन्होंने चुना उनकी उम्मीदें हमने पूरी की. आपके आस पास बैठे डाकुओं ने भी हमारे दुःख को सुना लेकिन किया कुछ नहीं.’
एकनाथ शिंदे को अपना नेता बताते हुए बागी विधायकों ने लिखा कि, ‘साहेब जब आपके दरवाजे बंद थे तो हमारे लिए एकनाथ शिंदे साहब का दरवाजा खुला था. हमारे निर्वाचन क्षेत्र में जब हमारी खराब स्थिति होने लगी, क्षेत्र के विकास के लिए धन की कमी होने लगी, नौकरशाही, कांग्रेस-राकांपा की बेइज्जती हमें सहनी पड़ी तो हम सभी विधायकों के अनुरोध पर, हमारे सभी विधायकों के न्याय के अधिकार के लिए, हमने एकनाथ शिंदे साहेब को अपना नेता बना लिया.’ एक विधायक ने सीएम के पुत्र आदित्य ठाकरे के अयोध्या दौरे का भी पत्र में जिक्र किया गया. पत्र में लिखा गया कि, ‘क्या हिंदुत्व, अयोध्या, राम मंदिर शिवसेना के मुद्दे हैं? तो जब आदित्य ठाकरे अयोध्या चले गए तो आपने हमें अयोध्या जाने से क्यों रोका? आपने खुद कई विधायकों को फोन कर अयोध्या नहीं जाने की बात कही थी.
यह भी पढ़े: मैं नहीं कर रहा हूँ कोई नाटक, शिंदे आएं और मेरा इस्तीफा ले जाएं, लेकिन…- उद्धव ठाकरे का बड़ा बयान
पत्र में लिखा गया कि, ‘मैं और मेरे कई साथी जो मुंबई हवाई अड्डे से अयोध्या के लिए निकले थे, उनके सामान की जाँच की गई. जैसे ही हम विमान में सवार होने वाले थे तो आपने एकनाथ शिंदे जी को फोन किया और उनसे कहा कि विधायकों को अयोध्या न जाने दें और जो चले गए हैं उन्हें भी वापस बुला लिया. उस वक़्त शिंदे साहब ने तुरंत हमें बताया कि सीएम साहब ने फोन कर विधायकों को अयोध्या न जाने के लिए कहा था. हमने चेक किया हुआ सामान मुंबई एयरपोर्ट पर लौटा दिया और अपने घर पहुंच गए. हमें राम मंदिर जाने की इजाजत क्यों नहीं है? महोदय, ढाई वर्ष में हमारे असली विरोधी, कांग्रेस और राकांपा के लोग, नियमित रूप से आपसे मिलने आते थे, वे निर्वाचन क्षेत्र में काम कर रहे थे. धन का पत्र नाच रहा था. पूजा और उदघाटन करते हुए आपके साथ ली गई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थीं. उस समय हमारे विधानसभा क्षेत्र के लोग पूछते थे कि मुख्यमंत्री हमारा है या नहीं, फिर हमारे विरोधियों को फंड कैसे मिलता है?’