Politalks.News/Rajasthan/Gehlot. साल 2020 में गहलोत सरकार पर आए सियासी संकट के समय बीजेपी पर कांग्रेस विधायकों को 10-10 करोड़ या उससे भी ज्यादा में खरीदने के आरोप लगे थे. सियासी संकट के बाद से कई मौकों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा भाजपा पर यह आरोप लगता रहा है कि भाजपा ने राजस्थान में कांग्रेस विधायकों को करोड़ों में खरीदने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए. हालांकि सीएम गहलोत के इन आरोपों के सम्बंध में एक दो विवादित कथित वायरल ऑडियो टेप के अलावा और कोई प्रमाण आज तक सामने नहीं आ सके हैं. लेकिन अब भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री गहलोत के आरोपों को लेकर आरटीआई लगाकर दस्तावेजी प्रमाण मांगे गए हैं. सीएम गहलोत ने हाल ही में महाराष्ट्र के सियासी संकट पर बयान देते हुए दिल्ली में मीडिया के सामने कहा था कि राजस्थान में सरकार गिराने के लिए विधायकों को दस-दस करोड़ रुपये दिए गए थे.
दरअसल, दो दिन पहले मंगलवार को दिल्ली में महाराष्ट्र के सियासी संकट पर बोलते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा का षड्यंत्र करार देते हुए दावा किया कि करीब दो साल पहले उनके राज्य में कई कांग्रेस विधायकों के बगावत करने के समय उनके साथ मौजूद रहे विधायकों को 10-10 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी, लेकिन कोई नहीं गया. सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘हम जो बार-बार कह रहे हैं कि संविधान की धज्जियां उड़ रही हैं, लोकतंत्र खतरे में है, इसका इससे बड़ा प्रमाण क्या होगा कि मध्यप्रदेश की सरकार पर कब्जा कर लिया गया. एक-एक विधायक से 35-35 करोड़ रुपये का सौदे हुआ.’
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सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘सुनते हैं कि होटल में रहने के दौरान राजस्थान के अंदर 10-10 करोड़ रुपये तो बंट भी चुके थे. बाद में पता नहीं क्या हुआ…मुझे यह कहते हुए गर्व है कि राजस्थान के हमारे विधायक 34 दिन तक मेरे साथ रहे, कुछ नहीं मिला, बाहर निकलते ही पहली किस्त के तौर पर 10 करोड़ रुपये की पेशकश थी, तब भी कोई नहीं गया और अभी राज्यसभा चुनाव के अंदर भी आपने देखा कि तीनों सीटें हमने जीती हैं.’
अब भाजपा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक प्रवीण खंडेलवाल ने राजस्थान के मुख्यमंत्री कार्यालय से सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत दस्तावेजी प्रमाण मांगे हैं. खंडेलवाल ने आवेदन में पूछा है कि दिल्ली में मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान के विधायकों को दस-दस करोड़ रुपए दिए गए हैं…उक्त राशि बांटे जाने का कोई दस्तावेजी प्रमाण हो तो उसकी प्रमाणित प्रतियां उपलब्ध करवाई जाएं. दूसरा सवाल है कि किन किन विधायकों को दस-दस करोड़ रुपये दिए गए, उन विधायकों के नाम तथा राशि किस प्रकार से अदा की गई, उसकी सूची उपलब्ध करवाई जाए. कुछ विधायकों को कम या अधिक राशि दी गई हो तो उसकी जानकारी विधायकों के नाम व राशि उपलब्ध करवाई जाए.
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यही नहीं विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक प्रवीण खंडेलवाल ने आरटीआई के तहत अपने तीसरे सवाल में लिखा है कि यह राशि प्राप्त करने वाले विधायकों तथा देने वाले व्यक्तियों के बारे में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को जानकारी दी गई हो और उस पर जो भी कार्रवाई हो, उसकी प्रति उपलब्ध करवाने का कष्ट करें. इसके साथ ही अपने चौथे और अंतिम सवाल में खंडेलवाल ने जानकारी चाही गई है कि मुख्यमंत्री राजस्थान के विधायकों को दस-दस करोड़ रुपये बांटे जाने पर भ्रष्टाचार से दुखी हैं या उनको नहीं मिलने से दुखी हैं… इस बाबत कोई दस्तावेज हों तो उसकी भी प्रति उपलब्ध कराई जाए.
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की तरफ से विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक प्रवीण खंडेलवाल द्वारा सीएमओ से मांगी गई इन सूचनाओं पर क्या जवाब आता है और अगर ऐसा कुछ नहीं हुआ तो क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आगे से भाजपा पर इस तरह के आरोप लगाना बन्द करेंगे?