ममता बनर्जी की TMC के टूटने की वजहों में क्यों आ रहा है प्रशांत किशोर का नाम? जानिए कारण

अभी तक ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी को माना जा रहा था पार्टी में बगावत की वजह, अब कई विधायकों ने सार्वजनिक तौर पर उठाए प्रशांत किशोर की कार्यप्रणाली पर सवाल, 'बाहरी' बताते हुए प्रदेशभर में लगे थे पोस्टर भी

Prashant Kishor Named In Mamata Banerjee's Tmc Breakdown
Prashant Kishor Named In Mamata Banerjee's Tmc Breakdown

Politalks.News/Bengal/PrashantKishor. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में करीब 8 माह का ही समय शेष है. सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के साथ बीजेपी भी अपनी चुनावी तैयारियों पर जोरशोर से काम कर रही है. इसी बीच टीएमसी खेमे से अच्छी खबरें नहीं आ रही है और पार्टी अजीब कश्मकश से जूझ रही है. टीएमसी के वरिष्ठ नेता धीरे-धीरे बगावत पर उतर आए हैं. सूबे की सीएम ममता बनर्जी के सबसे भरोसेमंद सहयोगी शुवेन्दु अधिकारी के बगावती तेवरों के बाद तृणमूल कांग्रेस के विधायक मिहिर गोस्वामी बीजेपी में शामिल हो गए. कथित तौर पर डूबते जहाजरूपी तृणमूल पार्टी में हो रही टूट के लिए अभी तक ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी को ही जिम्मेदार बताया जा रहा था लेकिन अब ममता की पार्टी की टूट में प्रशांत किशोर का नाम उछल रहा है. कुछ पार्टी नेताओं ने पीके पर सवाल उठाए हैं. दरअसल, ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने पीके की एजेंसी आई-पैक (I-PAC) को बंगाल चुनाव में टीएमसी का कामकाज देखने के लिए हायर किया है.

तृणमूल के कई नेता प्रशांत किशोर के खिलाफ इन दिनों खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं. शुवेन्दु की नाराजगी के पीछे भी प्रशांत किशोर के संगठन में हस्तक्षेप को बताया जा रहा है. दिल्ली विधानसभा और आंध्र प्रदेश समेत कई चुनाव में जीत के पीछे अहम भूमिका निभाने वाले पीके को ममता बनर्जी ने पिछले साल ही पश्चिम बंगाल चुनाव में टीएमसी का कामकाज देखने के लिए हायर किया है. प्रशांत किशोर की एजेंसी आई-पैक (I-PAC) पिछले कई महीनों से टीएमसी के लिए काम कर रही है लेकिन अब जो वहां से खबरें आ रही हैं, उससे ममता की पीके से जो उम्मीदें थीं, उन्हें झटका लगना स्वभाविक है.

बताया ये भी जा रहा है कि ममता के खास और पश्चिम बंगाल सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले सुवेंदु अधिकारी को मनाने में भी पीके नाकामयाब रहे. सरकार में परिवहन, सिंचाई और जल संसाधन मंत्री सुवेंदु अधिकारी काफी लंबे समय से पार्टी से दूरी बनाकर चल रहे हैं. वह अपने कार्यक्रमों में पार्टी का झंडा इस्तेमाल नहीं करते. हाल में ही सुवेंदु ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया है और जल्दी ही पार्टी छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही है.

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इससे पहले जब सुवेंदु की बगावत खुलकर सामने आने लगी तो ममता ने उन्हें मनाने के लिए प्रशांत किशोर को उनके पास भेजा था. पीके पूर्वी मिदनापुर जिले के कांथी स्थित सुवेंदु अधिकारी के घर भी पहुंचे थे हालांकि सुवेंदु उस वक्त घर पर नहीं थे. पीके उनके पिता शिशिर अधिकारी से मिले और उन्हें अपना संदेश देकर आ गए थे. बाद में खबर आई कि प्रशांत किशोर का सुवेंदु से संपर्क भी हो गया लेकिन सुवेंदु के तेवर अभी भी कम होते नहीं दिख रहे.

सुवेंदु को मनाने में फेल रहने के बाद पार्टी के अंदर प्रशांत किशोर के विरोध में आवाज और तेज हो गई है. पिछले दिनों मुर्शिदाबाद से टीएमसी विधायक नियामत शेख ने एक पब्लिक रैली में प्रशांत का खुलेआम विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि कौन हैं पीके? क्या हमें प्रशांत किशोर से राजनीति समझने की जरूरत है? अगर बंगाल में टीएमसी को नुकसान पहुंचा तो पीके उसकी वजह होंगे.

वहीं कूचबिहार से पूर्व टीएमसी विधायक (अब बीजेपी नेता) मिहिर गोस्वामी ने भी प्रशांत किशोर पर आपत्ति जताते हुए सोशल मीडिया पर कई पोस्ट किए. उन्होंने एक पोस्ट कर पीके पर निशाना साधते हुए लिखा, क्या टीएमसी अभी भी वाकई ममता बनर्जी की पार्टी है? ऐसा लगता है कि पार्टी को किसी कॉन्ट्रैक्टर को दे दिया गया है. बैरकपुर विधानसभा से टीएमसी विधायक शीलभद्र दत्ता ने पीके की एजेंसी पर हमला बोलते हुए चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है. दत्ता ने कहा है कि यह यूपी, मध्य प्रदेश, बिहार या फिर दिल्ली नहीं है. एक बाहरी एजेंसी उन्हें सिखा रही है कि राजनीति कैसे करें.

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बता दें, पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में पीके के खिलाफ पोस्टर भी लगाए गए थे जिसमें उनको बाहरी बताया गया. हालांकि टीएमसी ने इसके पीछे बीजेपी का हाथ बताया. वहीं बीजेपी का कहना है कि यह काम टीएमसी के ही नाराज धड़े का है क्योंकि उन्हें चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के काम करने का तरीका पसंद नहीं आ रहा है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ये सही भी है. सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक, प्रशांत किशोर की सलाह पर ममता बनर्जी ने इसी साल जुलाई में टीएमसी में कई बड़े फेरबदल किए थे. बड़े पैमाने पर राज्य समिति के साथ-साथ जिला और ब्लॉक समितियों में हुए बदलाव से पार्टी की नेताओं की नाराजगी बढ़ती गई.

दरअसल, प्रशांत किशोर के फेरबदल की सलाह का मकसद साफ सुथरी छवि वाले नेताओं को आगे लाना है क्योंकि इस वक्त टीएमसी के कई बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं जिसपर उनके खिलाफ जांच भी चल रही है. इसके लिए प्रशांत किशोर की टीम ने तमाम जिलों का दौरा किया था जिसके बाद रिपोर्ट तैयार कर फेरबदल की सलाह दी थी. अब सवाल ये भी आता है कि ऐसे में तो पीके पर सवाल उठने चाहिए लेकिन पार्टी से बगावत क्यों? इसकी वजह ये है कि पीके की टीम का काम सिर्फ सुझाव देना है. उन्हें अमल करने या न करने का फैसला खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पार्टी के वरिष्ठ नेता लेते हैं. यानि पर्दे के पीछे से सहमति ममता के जरिए ही मिल रही है और फेरबदल किए जा रहे हैं. ऐसे में पार्टी नेताओं की नाराजगी खुलकर सामने आ रही है.

प्रशांत किशोर के चुनावी रणनीतिकार के रूप में करियर ग्राफ की बात करें तो वह अपनी फील्ड में सफल ब्रैंड के रूप में नाम कमा चुके हैं. उन्हें सिर्फ 2017 यूपी विधानसभा चुनाव में ही शिकस्त देखने को मिली थी. इस चुनाव में वह कांग्रेस के पोल स्ट्रैटिजिस्ट थे लेकिन नतीजों में कांग्रेस को सिर्फ 7 सीटें मिली थीं. कांग्रेस-समाजवादी पार्टी के गठबंधन के पीछे भी पीके का दिमाग बताया गया था लेकिन इस चुनाव में मिली हार के बाद दोनों दलों के रिश्तों में भी खटास आ गई.

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इसके बाद 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन, आंध्र प्रदेश में वाईआरएस कांग्रेस और दिल्ली विस चुनाव में आप आदमी पार्टी की जीत की बिसात बिछाने में प्रशांत किशोर का हाथ रहा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी पीके ने एनडीए के लिए उन्होंने सफल चुनावी रणनीति बनाई थी जिसका परिणाम पूरे देश ने देखा.

आपको बता दें, पिछले लोकसभा चुनाव में बंगाल में बीजेपी के हाथों सीटें खिसकने के तुरंत बाद ही ममता बनर्जी ने पीके से संपर्क किया और विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें कामकाज सौंपा. अब संगठन में उनकी बढ़ती दखल से पार्टी नेता खुश नहीं आ रहे. जिस तरह ममता बनर्जी बीजेपी को बाहरी बता रही है, उसी अंदाज में पार्टी नेता प्रशांत किशोर को बाहरी बताते हुए विरोध के सुर उठा रहे हैं. हालांकि ये विरोध के सुर टीएमसी चीफ ममता बनर्जी के कानों में भी पहुंच रहे हैं लेकिन लग रहा है कि हर हाल में चुनाव जीतने की जुगत में ममता दीदी की पीके को हर तरह से हरी झंडी मिल रही है.

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