बंगाल: ममता बनर्जी की पार्टी TMC के लड़खड़ाने की वजह बने भतीजे अभिषेक बनर्जी! ये है नाराजगी

बीजेपी ने किया दावा- पांच सांसद पार्टी छोड़ थामेंगे कमल का हाथ, ममता के मीडिएटर सौगत राय का नाम भी शामिल, सौगत राय ने कहा मर जाउंगा लेकिन बीजेपी में नहीं जाउंगा, शुभेंदु अधिकारी पहले से बगावत के मूड में, अभिषेक को लेकर ममता की इस चाहत ने बढ़ाई सीनियर लीडर्स में नाराजगी

ममता बनर्जी की पार्टी TMC के लड़खड़ाने की वजह अभिषेक बनर्जी!
ममता बनर्जी की पार्टी TMC के लड़खड़ाने की वजह अभिषेक बनर्जी!

Politalks.News/Bengal/MamataBanerjee. पश्चिम बंगाल की राजनीति में इन दिनों उथल पुथल की स्थिति बन रही है. एक तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, वहीं बीजेपी लगातार ममता बनर्जी और टीएमसी पर हमलावर हो रही है. बीजेपी द्वारा सरकार की नीतियों को निशाना बनाया जा रहा है. बीजेपी के नेता लंबे समय से ये बयान भी दे रहे हैं कि टीएमसी के कई सीनियर नेता पार्टी से नाराज चल रहे हैं और वे कभी भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. आने वाले समय मे ममता बनर्जी द्वारा अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को बंगाल की कमान सौपनें की संभावना को इसकी वजह माना जा रहा है. इनमें सरकार में मंत्री शुभेंदु अधिकारी और मौजूदा सांसद सौगत राय भी शामिल हैं. इसी बीच बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह ने पार्टी के पांच सांसदों के बीजेपी में शामिल होने की बात कहकर बंगाल की राजनीति में सियासी भूचाल मचा दिया. हालांकि सौगत राय ने बीजेपी में जाने की अटकलों से इनकार किया है.

अब सोचने वाली बात ये है कि आखिर दो बार सत्ता पर काबिज होने वाली ममता दीदी की पार्टी में ऐसा क्या हो गया कि वरिष्ठ नेताओं में नाराजगी बनी हुई है. इसकी वजह है अभिषेक बनर्जी, जो ममता बनर्जी के भतीजे हैं, उन्हीं की वजह से सीनियर नेताओं में नाराजगी पैठ कर रही है. आइए आपको बताते हैं कौन हैं अभिषेक बनर्जी और क्या है पार्टी नेताओं की उनसे नाराजगी.

बता दें, अभिषेक बनर्जी बंगाल की वीआईपी सीट डायमंड हार्बर से दो बार के सांसद हैं. उन्हें तृणमूल कांग्रेस में ममता के बाद सेकेंड इन कमांड के तौर पर देखा जा रहा है. 32 वर्षीय अभिषेक टीएमसी की यूथ विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैैं. अभिषेक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बड़े भाई अजित के बेटे हैं. वह बचपन से ही ममता के पास रहे हैं और दीदी के चहेते हैं. पढाई कोलकाता के बिरला स्कूल से हुई. इसके बाद उन्होंने इंडियन इंस्टीट्य़ूट ऑफ प्लानिंग एंड मैनेजमेंट से डिग्री ली. वह लोकसभा में सबसे युवा सांसदों में गिने जाते हैं. एक सांसद के तौर पर वह संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रम में भी शिरकत कर चुके हैं.

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अभिषेक अपने बोलचाल में काफी हद तक ममता की कॉपी करते हैं और उनकी हर बात को आदेश की तरह मानते हैं. अभिषेक अपने भाषणों और चुनावी रैलियों में ममता की कॉपी करते हैं. अभिषेक के पिता अजीत बंगाल में कई खेल संघों के पदाधिकारी हैं. इसमें पश्चिम बंगाल ओलंपिक संघ शामिल है, जिसमें अभिषेक अध्यक्ष हैं. वह खिलाड़ी भी रह चुके हैं.

अभिषेक और ममता के रहन सहन में काफी विभिन्नता है. ममता जहां साधारण व्यक्तित्व वाली महिला हैं, वहीं अभिषेक कोलकाता के कालीघाट में आलीशान बंगले में रहते हैं जहां पुख्ता सुरक्षा के साथ सारी सुख सुविधाएं मौजूद हैं. घर के बगल में अवैध तौर पर हैलीपैड होने के आरोप भी लगते रहे हैं. विपक्षी इस आलीशान घर को भी लेकर ममता पर निशाना साधते रहे हैं कि वह खुद तो साधारण घर में रहने का दिखावा करती हैं और उनका भतीजा इतने बड़े घर में रहा है. हालांकि अभिषेक को लो प्रोफाइल जिंदगी जीने वाला माना जाता है. उन्हें आमतौर पर ऊंची पार्टियों में नहीं देखा जाता और अपने चुनाव क्षेत्र के लोगों से मिलते-जुलते कई बार देखा जाता है.

माना जा रहा है कि अगर तृणमूल कांग्रेस सत्ता में वापसी करती है तो ये उनका अंतिम कार्यकाल होगा. ममता इस समय 69 वर्ष की हो चुकी हैं और जल्द से जल्द अपनी विरासत किसी और को सौंपना चाहती हैं. चूंकि ममता बनर्जी अविवाहित हैं और उनके कोई संतान नहीं है, ऐसे में अपनी छवि मानते हुए ममता चाहती है कि भविष्य में तृणमूल कांग्रेस पार्टी की बागड़ौर अभिषेक संभाले. ये बात उन वरिष्ठ नेताओं के गले के नीचे नहीं उतर रही जो ममता के कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके साथ आए थे और अपना खून पसीना पार्टी को खड़ा करने में बहाया था. कई नेताओं की फेहरिस्त लंबी है. इन सभी ने केवल 13 सालों में पार्टी को खड़ा करने और कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ फेंकने में उतनी ही मेहनत की, जितनी ममता बनर्जी ने. ऐसे में इन सीनियर लीडर्स की छिपी हुई कुंठा रह रहकर बाहर आ रही है.

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सीनियर नेताओं की इस कुंठा को बीजेपी के नेता हवा दे रहे हैं. शुभेंदु अधिकारी बगावत का झंडा पहले ही उंचा कर चुके हैं. वे कैबिनेट की बैठकों से दूरी बनाए हुए हैं और विरोधी सुर अपना चुके हैं. उन्हें मनाने की कोशिशें जारी हैं. इसी बीच बीजेपी नेता अर्जुन सिंह का ये दावा कि दम दम से सांसद सौगत राय सहित अन्य पांच सांसद ममता दीदी का साथ छोड़ बीजेपी का हाथ थामने वाले हैं, सच में ममता बनर्जी की परेशानियां बढ़ाने वाला है.

सौगत राय को ममता बनर्जी का मीडिएटर बताया जाता है. कहा जा रहा है कि पार्टी छोड़ने के बारे में उन्होंने शुभेंदु अधिकारी से भी बात की है. अन्य नेताओं के भी इसी तरह की बाते सामने आ रही हैं. हालांकि शनिवार शाम सांसद सौगत राय ने बयान देते हुए कहा कि मर जाउंगा लेकिन बीजेपी में नहीं जाउंगा. उनका ये बयान दीदी को थोड़ी राहत देने वाला जरूर है. अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को सत्ता की कुर्सी पर बैठाने की कोशिश में अपने वफादार नेताओं को साइडलाइन करना ममता दीदी के लिए आगामी विधानसभा चुनावों में भारी पड़ेगा या नहीं, ये देखने वाली बात होगी.

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