वो अग्निवीर कौन होगा, RSS का या BJP का कार्यकर्ता?- केंद्र की अग्निपथ योजना पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

केंद्र सरकार ने देश के युवाओं के हाथ में पकड़ाया 4 साल की सेना भर्ती का झुनझुना, तो कांग्रेस ने उठाए सवाल- 'मोदी सरकार भारतीय सेनाओं की गरिमा परंपरा अनुशासन की परिपाटी से कर रही है खिलवाड़, क्या इस पूरी 'अग्निवीर स्कीम का लक्ष्य केवल और केवल तीनों सेनाओं के संख्याबल को हर साल 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत कम करना है?'

भाजपा की योजना पर कांग्रेस के सवाल
भाजपा की योजना पर कांग्रेस के सवाल

Politalks.News/AgnipathYojana/Congress. अक्सर हम सबने देखा होगा कि जब एक छोटा बच्चा रोता है तो मां बाप उसे एक खिलौना या खाने के लिए लॉलीपॉप थमा देते हैं. जब तक लॉलीपॉप या खिलौना चलता है तब तक बच्चा खुश रहता है लेकिन उसके बाद वह फिर से रोने लगता है और जिद करने लगता है. ठीक उसी तरह देश का नौजवान पिछले काफी लंबे समय से सेना भर्ती को लेकर इंतजार कर रहा है. यहां तक कि कुछ एक युवा तो इसके लिए अपनी जान भी गवां चुके हैं लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला और अब जब मिला है तो वो ठीक उसी छोटे बच्चे की तरह जैसा की हमने आपको पहले बताया. केंद्र सरकार ने मंगलवार ‘अग्निपथ स्कीम’ के सहारे देश के युवाओं को 4 साल के अग्निवीर बनने का झुनझुना या लॉलीपॉप पकड़ा दी है. सरकार ने भर्ती निकाली अच्छी बात है लेकिन 4 साल बाद वह युवा क्या करेगा इसका कोई जवाब फिलहाल केंद्र के पास नहीं है. बस इसी सवाल के साथ देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

मंगलवार को केंद्र सरकार ‘अग्निपथ योजना’ लॉन्च कर दी है. इस योजना के तहत देश के युवा 4 साल के लिए सेना में भर्ती होंगे. इसके साथ ही योजना में शॉर्ट टर्म सर्विस के लिए युवाओं की नियुक्ति की जाएगी. इस योजना में सरकार अग्निवीरों को अच्छी सैलरी देगी. इस योजना में 17.5 साल से 21 साल के युवाओं अप्लाई कर सकते हैं. इसमें 10 हफ्ते से 6 महीने तक की ट्रेनिंग का प्रावधान होगा. सरकार के अनुसार 4 साल बाद सैनिकों की समीक्षा की जाएगी, इसके साथ ही उन्हें नौकरी से छोड़ते वक्त सेवा निधि पैकेज मिलेगा. योजना में पेंशन नहीं होगी एकमुश्त पैसा दिया जाएगा. इस सेना के तहत भर्ती होने वाले सैनिक अग्निवीर कहलाएंगे और इस योजना के तहत भर्ती किए जाने वाले ज्यादातर जवानों को चार साल बाद मुक्त कर दिया जाएगा.

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सरकार की ये योजना काफी रोचक तो है ही लेकिन अब विपक्ष के सवालों के घेरे में भी आ गई है. नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मिले समन के विरोध में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता दिल्ली में मौजूद हैं. मंगलवार शाम जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भूपेश बघेल से सरकार की इस योजना से जुड़ा सवाल पुछा गया तो उन्होंने कहा कि, ‘वो नौज़वान कौन होगा? RSS का कार्यकर्ता होगा या फिर बीजेपी का कार्यकर्ता होगा? यह देखने वाली बात है. चार साल के लिए हथियार चलाना सिखा रहे हो. वक़्त बताएगा कि इनकी एप्रोच क्या है.’

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी सरकार की अग्निपथ योजना पर सवाल उठाए हैं. सुरजेवाला ने कहा कि, ‘मोदी सरकार भारतीय सेनाओं की गरिमा परंपरा अनुशासन की परिपाटी से खिलवाड़ कर रही है. सेनाओं में रेग्युलर भर्ती रोक 4 साल के ठेके पर फौज भर्ती देश की सुरक्षा के लिए सुखद संदेश नहीं है.’ सुरजेवाला ने बताया कि, ‘सैन्य विशेषज्ञों, तीनों सेनाओं के उच्चतम अधिकारियों व रक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने मोदी सरकार की इस पूरी स्कीम पर गहन चिंता जताई है. एक से अधिक सैन्य अधिकारियों व विशेषज्ञों ने कहा है कि मोदी सरकार का यह फैसला भारतीय सेनाओं की गरिमा, परंपरा, जुड़ाव की भावना व अनुशासन की परिपाटी के साथ खिलवाड़ है.’

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सुरजेवाला ने केंद्र सरकार से सवाल पुछा और कहा कि, ‘देश की तीनों सेनाओं में 2,55,000 से अधिक पद खाली पड़े हैं. मोदी सरकार ने 2 साल से सेनाओं की भर्ती रोक रखी है. क्या चार साल की कॉन्ट्रैक्ट भर्ती से सेना की रेग्युलर भर्तियों की आवश्यकता पूरी हो सकती है? क्या मोदी सरकार तीनों सेनाओं की ‘ऑपरेशनल तैयारी से खिलवाड़ नहीं कर रही? क्या इस पूरी ‘अग्निवीर स्कीम का लक्ष्य केवल और केवल तीनों सेनाओं के संख्याबल को हर साल 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत कम करना है?’

इस दौरान अग्निवीरों के मानदेय का जिक्र करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि, ‘चार साल के इन कॉन्ट्रैक्ट सैनिकों की कुल तनख्वाह यानि ग्रॉस सेलरी मात्र ₹30,000 है. इसके विपरीत भारत सरकार के क्लास 4 यानि ग्रुप डी कर्मचारी की कुल तनख्वाह यानि ग्रॉस सेलरी ₹31,000 है. भारत सरकार के क्लास 4 कर्मचारी से भी कम तनख्वाह देकर किस प्रकार की सैनिक भर्ती कर रही है मोदी सरकार? सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि चार साल के बाद इन युवाओं के भविष्य का क्या होगा? चार साल के बाद 22 से 25 साल की उम्र में बगैर किसी अतिरिक्त योग्यता के ये युवा अपने भविष्य का निर्माण कैसे करेंगे? क्या उसकी जिंदगी प्रश्नचिन्ह में तो नहीं चली जाएगी और क्या वह रोजी-रोटी तथा अच्छी जिंदगी की तलाश में कहीं किसी गलत मार्ग की तरफ तो आकर्षित नहीं हो जाएगा? क्या मोदी सरकार इन चिंताओं और संभावनाओं का जवाब देगी? देश जवाब मांगता है?

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