Politalks.News/Uttarpradesh. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी (Pilibhit MP Varun Gandhi) अपने तीखे बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. वरुण गांधी अपनी ही पार्टी के सरकार के खिलाफ भी बेबाक बयान देते हैं और समय-समय पर केंद्र व राज्य सरकार के फैसलों की आलोचना भी करते रहते हैं. इसी कड़ी में उन्होंने बैंकों और रेलवे के निजीकरण को लेकर चिंता जाहिर (concern about the privatization of banks and railways.) की है. वरुण गांधी ने कहा कि, ‘इन दोनों सेक्टर का निजीकरण होने से बड़ी संख्या में नौकरियों को नुकसान होगा’. किसान आंदोलन के समय से ही पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी पार्टी लाइन से हटकर बयान दे रहे हैं. वरुण गांधी मोदी और योगी दोनों की सरकारों के कई फैसलों पर सवाल (questions on decisions) उठा चुके हैं. सियासी जानकारों का कहना (political experts say) है कि इसके चलते ही भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था.
‘…हर नौकरी के साथ ही समाप्त हो जाती है लाखों परिवारों की उम्मीदें’
निजीकरण के फैसलों पर सवाल उठाते हुए वरुण गांधी ने ट्वीट किया कि, ‘केवल बैंक और रेलवे का निजीकरण ही 5 लाख कर्मचारियों को ‘जबरन सेवानिवृत्त’ यानि बेरोजगार कर देगा. समाप्त होती हर नौकरी के साथ ही समाप्त हो जाती है लाखों परिवारों की उम्मीदें. सामाजिक स्तर पर आर्थिक असमानता पैदा कर एक ‘लोक कल्याणकारी सरकार’ पूंजीवाद को बढ़ावा कभी नहीं दे सकती.’
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रेलवे के निजीकरण को लेकर हैं अपने-अपने दावे
आपको बता दें कि इससे पहले राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेता यही बात कहकर भाजपा सरकार को घेरते रहे हैं. भारत का रेल नेटवर्क दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है. इसमें 13 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. बीते साल जब ज्यादा सवाल उठे तो रेल मंत्री ने कहा था कि, ‘रेलवे का निजीकरण कभी नहीं होगा’.
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लगातार भाजपा की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं भाजपा के ‘गांधी’
लखीमपुर खीरी कांड हो या किसानों की समस्या, हर बार भाजपा की राह में सांसद वरुण गांधी कठिनाईयां खड़ी कर रहे हैं. जब भी यूपी में भाजपा किसी बड़ी समस्या में फंसी दिखती है तो वरुण पार्टी की परेशानियों को कम करने के बजाए बीते कुछ समय से उसे बढ़ाते ही दिखाई पड़ते हैं. सियासी गलियारों में चर्चा है कि सवाल हैसियत कम होने और विरोधी होने के बावजूद भी वरुण गांधी और मेनका गांधी भाजपा में क्यों जमे हुए हैं? बीते कुछ समय से वरुण गांधी ने लगातार भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. जब 2004 में जब वरुण गांधी भाजपा में शामिल हुए थे तो उन्होंने कहा था कि, ‘हर सही सोच रखने वाले भारतीय को उस पार्टी को मजबूत करना चाहिए जिसने देश को आगे बढ़ाया है’. लोगों के जहन में सवाल आ रहा है कि आखिर ऐसा क्या हो गया है जो उनको भाजपा रास नहीं आ रही है? आपको बता दें कि वरुण गांधी की मां मेनका गांधी पिछली बार मोदी सरकार में मंत्री भी थीं. हालांकि दोबारा सरकार बनने पर उनका पत्ता कट गया. मुखर बयानों के चलते राष्ट्रीय कार्यकारिणी से भी मेनका गांधी और वरुण गांधी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. इसके बाद से जहां मेनका बचाव की मुद्रा में हैं तो वहीं वरुण गांधी आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए हैं.