ठाणे के ‘ठाकरे’ शिंदे बने मुख्यमंत्री तो फडणवीस का हुआ डिमोशन, क्या है बीजेपी का फ्यूचर प्लान

महाराष्ट्र की राजनीति में हुआ बड़ा उलटफेर, दिनभर की सियासी कश्मकश के बीच राजभवन में बदलते दिखे नज़ारे, शिंदे बने मुख्यमंत्री तो देवेंद्र उपमुख्यमंत्री, आखिर क्या है बीजेपी का प्लान...

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Politalks.News/Maharashtra. महाराष्ट्र में चल रहे सत्ता के संग्राम का आखिर आज पटाक्षेप हो ही गया. शिवसेना से बागी होकर पहले सूरत, फिर गुवाहाटी, गुवाहाटी से गोवा और आज गोवा से मुंबई पहुंच एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं. इससे पहले सियासी गलियारों और तमाम न्यूज़ चैनल्स की तरफ से दावा किया जा रहा था कि दवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री होंगे लेकिन सभी कयास कयास ही निकले और ठाणे के ‘ठाकरे’ यानी एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र की कमान मिल गई. वहीं चर्चा ये भी है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि पहले तो खुद बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस शिंदे को समर्थन देकर उनके मुख्यमंत्री बनने का एलान करते हैं और खुद कैबिनेट से दूर रहने का बयान देते हैं. लेकिन एकाएक केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश के बाद देवेंद्र फडणवीस को मन मारते हुए उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी पड़ी. सियासी गलियारों में चर्चा है कि आखिर क्यों देवेंद्र फडणवीस का डिमोशन किया गया.

बुधवार रात को उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी और पुरे महाराष्ट्र में ये चर्चा थी कि देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर महाराष्ट्र की कमान संभालेंगे. गुरूवार को भी कुछ ऐसा ही नजारा था. बीजेपी समर्थकों ने फडणवीस को उनके आवास पहुंच मिठाई खिलाफ भावी मुख्यमंत्री बनने की बधाई भी दी. वहीं दोपहर में बागी शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे गोवा से मुंबई पहुंचे और देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी के कुछ नेताओं के साथ मुलाकात के बाद सीधे राज्यपाल से मुलाकात करने पहुंच गए. हालांकि उस वक़्त तक भी बीजेपी या अन्य किसी नेताओं को ये आभास नहीं था कि दवेंद्र फडणवीस के मन में क्या चल रहा है. सभी को लगा कि देवेंद्र फडणवीस राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी शिंदे गुट के विआधायकों के समर्थन का पत्र देकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे लेकिन राज्यपाल से मुलाकात के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबकुछ बदल गया. देश के सभी न्यूज़ चैनलों पर चल रही टैग लाइन देवेंद्र फडणवीस बनेंगे मुख्यमंत्री एकाएक बदल गई.

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राज्यपाल से मुलाकात के बाद हुई पत्रकार वार्ता के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा एलान करते हुए एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने का एलान कर दिया. फडणवीस के इस बयान को सुन सभी के सभी चकित रह गए. वहीं देवेंद्र फडणवीस ने ये भी एलान किया कि वे सरकार से बाहर रहेंगे, और मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होंगे. जैसे ही शिंदे के मुख्यमंत्री बनने का एलान हुआ तो गोवा में बैठे शिंदे समर्थक ख़ुशी से झूम उठे और उन्होंने होटल में ही टेबल पर चढ़कर खूब नाच गाना किया. यहां तक तो सबकुछ ठीक था लेकिन शाम 7 बजे तक जहां राजभवन में केवल दो कुर्सियां लगी थी वो 7.30 बजे से पहली तीन कुर्सियों में बदल गई. शिंदे के शपथग्रहण समारोह से पहले ही बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दी और फडणवीस को निर्देशित करते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बनने के आदेश दिए.

इस पुरे सियासी ड्रामे के बाद राजभवन में एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद तो देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. इस दौरान दोनों ही नेताओं के समर्थन में जमकर नारेबाजी भी की गई. हालांकि देवेंद्र फडणवीस को देखकर ये साफ नजर आ रहा था कि वे केंद्रीय नेतृत्व के इस फैसले से बिलकुल भी खुश नहीं है. वहीं सियासी गलियारों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री पद के हकदार देवेंद्र फडणवीस का डिमोशन करके शिंदे को मुख्यमंत्री और उन्हें उपमुख्यमंत्री क्यों बनाया गया. सियासी जानकारों की माने तो बीजेपी एकनाथ शिंदे के जरिये 2 साल बाद होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव पर फोकस कर रही है. साथ ही बीजेपी अपने ऊपर लगने वाले हॉर्स ट्रेडिंग के आरोपों को भी कहीं न कहीं गलत साबित करने पर तुली है.

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महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना, दोनों ही हिंदूवादी राजनीति के कॉम्पिटिटर हैं. अगर पिछले 30 सालों की बात कि जाए तो 30 सालों से साथ होने के बावजूद दोनों ही दल जानते हैं कि किसी एक के बढ़ने का मतलब दूसरे का कम होना है. बीजेपी ने ‘सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे’ वाले मुहावरे को ध्यान में रखते हुए बड़ा दांव खेला है. शिवसेना को खत्म किए बिना बीजेपी आगे नहीं बढ़ सकती, लेकिन शिवसेना खत्म हो जाए और उसका ब्लेम बीजेपी के सिर पर न आए, इसलिए एकनाथ शिंदे को बीजेपी ने सीएम बनाया है. बीजेपी महाराष्ट्र में शिवसेना को तो ख़त्म करना ही चाहती है लेकिन वो ये नहीं चाहती कि इसके पीछे प्रदेश की जनता के बीच ये सन्देश जाए कि ये सब बीजेपी का किया धरा है. यहीं कारण है कि इस पुरे सियासी ड्रामे के पीछे रहते हुए भी बीजेपी ने कभी भी सरकार बनाने की बात नहीं कि और सबकुछ पर्दे के पीछे ही रहकर किया.

सियासी गलियारों में चर्चा है कि एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी शिवेसना के संगठन को कमजोर करना चाहती है. क्योंकि शिंदे खुद को बालासाहेब ठाकरे की असली शिवसेना कहते आ रहे हैं और संगठन के लोग उनके मुख्यमंत्री बनने पर खेमे में जाना चाहेंगे जिससे उद्धव ठाकरे और भी ज्यादा कमजोर हो जायेंगे. वहीं चर्चा ये भी है कि, बीजेपी के एकनाथ शिंदे को CM बनाने के दांव की एक और वजह एशिया के सबसे अमीर नगर निगम BMC पर कब्जे की लड़ाई है. बीजेपी का प्रमुख एजेंडा शिवसेना से BMC को छीनना है. इस साल सितंबर में BMC के चुनाव होने हैं और इनमें BJP की नजरें शिवसेना के वोट बैंक को कमजोर करने की है. यही कारण है कि शिंदे को उन्होंने मुख्यमंत्री बनाया है.

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वहीं आलाकमान ने बड़ा दांव खेलते हुए देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनने के लिए निर्देशित कर दिया. आलाकामन जानता है कि एकनाथ शिंदे का मुख्यमंत्री के रूप में हाथ कच्चा रहने वाला है और अगर फडणवीस सरकार में रहेंगे तो हर फैसले करीब उन्हीं की मर्जी से लिए जाएंगे. हालांकि ये सब उनके बाहर रहने पर भी हो सकता था लेकिन केंद्रीय आलाकमान किसी भी तरह का रिस्क लेने को बिलकुल तैयार नहीं. फडणवीस के राजनीतिक अनुभव का लाभ उठाते हुए ही शिंदे गुट को साधा जा सकता है क्योंकि अगर कुछ विधायक पाला बदलकर वापस उद्धव ठाकरे के पास चले जाते हैं तो बाकी बचे विधायकों की विधायकी खतरे में पड़ जाएगी. यही कारण है कि शिवसेना के सांसदों पर पूरी नजर रखने के लिए ही फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया गया है. साथ ही उन्हें इस तरफ से पेश किया गया है कि उन्हें कुर्सी का मोह नहीं है जिस कुर्सी के लिए उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस NCP के साथ सरकार बना ली. इससे उनकी छवि और भी बेहतर होगी और महाराष्ट्र में बीजेपी और भी ज्यादा मजबूत होगी.

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