दिल्ली (Delhi) में हुई AICC की अहम बैठक में कांग्रेस (Congress) की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने देश भर के आला नेताओं के साथ करीब पौने 3 घंटे तक मंथन किया. इस बैठक में प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और पीसीसी चीफ सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने भी शिरकत की, वहीं प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे भी बैठक में मौजूद रहे. बैठक के बाद अविनाश पांडे ने मुख्यमंत्री गहलोत और पीसीसी चीफ सचिन पायलट के साथ बैठक की और प्रदेश के हालात पर मंथन किया.
पार्टी सूत्रों की मानें तो सोनिया गांधी ने राजस्थान (Rajasthan) में कानून व्यवस्था (Law & Order) के हालात को लेकर गहरी नाराजगी जताई है. इसको लेकर AICC की बैठक के बाद सोनिया गांधी ने गुरुवार शाम को पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बाद में उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट से मुलाकात की. दोनों आला नेताओं से सोनिया गांधी ने प्रदेश की कानून व्यवस्था के साथ ही सत्ता और संगठन के कामकाज को लेकर चर्चा की.
जरूर पढ़ें:- वैभव गहलोत अब राजसमंद जिला क्रिकेट संघ के बहाने बनेंगे RCA अध्यक्ष
मुख्यमंत्री गहलोत और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच 10 जनपथ पर करीब 20 मिनट चर्चा हुई. इस दौरान प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था के मामले में सोनिया ने गहलोत से नाराजगी जाहिर की. वहीं संगठन की ओर से सरकार का सहयोग नहीं मिलने के मामले पर भी दोनों के बीच चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक सोनिया ने गहलोत को संगठन के साथ समन्वय के साथ सरकार चलाने और गैर-जरूरी बयानों से बचने की नसीहत दी.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सोनिया गांधी से बड़ी उम्मीदों के साथ मिलने पहुंचे थे. सीएम गहलोत प्रदेश में नया पीसीसी चीफ नियुक्त करने के साथ ही एक और डिप्टी सीएम की मांग रखना चाहते थे, जिससे उनके समकक्ष चुनौती बन रहे सचिन पायलट के कद पर आलाकमान की कैंची चलवा सकें. लेकिन सूत्रों की मानें तो इस बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथ निराशा ही लगी और साथ ही सोनिया गांधी ने मुख्यमंत्री गहलोत के उनके प्रदेश आने वाले निमंत्रण को भी अस्वीकार कर दिया.
अंदरूनी सूत्रों की मानें तो करीब 20 मिनट तक चली इस बैठक में CM अशोक गहलोत ने प्रदेश सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश किया. जिसमें गहलोत ने किसानों और जनता के लिए शुरू की गई विभिन्न लोक कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी. इस बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सोनिया गांधी के सामने प्रदेश में बजरी माफियाओं के वरदहस्त के रूप में सचिन पायलट को पेश किया जिसकी शिकायत वह पिछले काफी समय से दिल्ली दरबार तक पहुंचा रहे थे. लेकिन गहलोत और सोनिया गांधी की मुलाकात में ट्विस्ट उस वक्त आ गया जब प्रदेश की बिगड़ी कानून व्यवस्था और देश में खराब हो रही सूबे की छवि को लेकर सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत से नाराजगी जाहिर की.
यह भी पढ़े:- जन तंत्र पर भारी गन तंत्र, उधर गहलोत और पायलट उलझे राजनीतिक रस्साकस्सी में
कहा तो यहां तक जा रहा है कि सोनिया गांधी ने अपने स्तर पर प्रदेश की कानून व्यवस्था की रिपोर्ट भी तैयार कराई थी. उन्हें प्रदेश के वर्तमान हालात की पूरी जानकारी थी. बैठक में सोनिया गांधी ने कांग्रेस नेताओं के अनर्गल बयानों पर नाराजगी जताई साथ ही CM गहलोत को संगठन के साथ तालमेल और समन्वय के साथ सरकार चलाने के निर्देश दिए. यह घटनाक्रम अशोक गहलोत के लिए अप्रत्याशित था.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जाने के बाद उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सोनिया गांधी से मुलाकात करने 10 जनपथ पहुंचे. जहां पायलट की सोनिया गांधी से करीब एक घंटे व्यक्तिगत मुलाकात हुई. सूत्रों के अनुसार इस दौरान पायलट ने मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा उनके खिलाफ गुटबाजी करने की शिकायत सोनिया गांधी से की और साथ ही प्रदेश की वास्तविक स्थिति से पार्टी अध्यक्ष को अवगत कराया.
सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद सचिन पायलट ने मीडिया को बताया कि प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर सोनिया गांधी अच्छी तरह से वाकिफ हैं. पायलट ने कहा कि उनकी सोनिया गांधी से प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों, विधानसभा उपचुनाव, निकाय चुनाव और पंचायती राज चुनावों को लेकर विस्तृत बातचीत हुई है. पार्टी को बूथस्तर पर मजबूत करने के रोडमैप पर भी चर्चा हुई. केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ पूरे प्रदेश में प्रदर्शन करेंगे. पिछली बार कांग्रेस का सदस्यता अभियान कामयाब रहा था और 23 लाख सदस्य बने थे, इस बार भी हम विशेष सदस्यता अभियान शुरू करने जा रहे हैं.
उधर जब दिल्ली में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के दरबार में मुख्यमंत्री गहलोत को निराशा हाथ लगी और उन्हें सोनिया की नसीहत के साथ मायूस होकर बाहर आना पड़ा. इसके बाद सोनिया से मुलाकात करके बाहर निकले पीसीसी चीफ और डिप्टी सीएम सचिन पायलट की बॉडी लैंग्वेज से झलकते कॉन्फिडेंस से ऐसा लग रहा था मानों उन्होंने नहले पर दहला मार लिया हो. प्रदेश में पहली बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर कोई नेता भारी पड़ा है. उन्हें वर्ष 2018 से लगातार सचिन पायलट की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. पहली बार गहलोत के सामने कोई नेता उनके वर्चस्व और कद को चुनौती देता नजर आ रहा है. इस बैठक में सचिन पायलट जो कि प्रदेश अध्यक्ष भी हैं वह मुख्यमंत्री पर 21 नजर आए.
सोनिया गांधी के कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद अशोक गहलोत को उम्मीद थी कि वह हमेशा की तरह दिल्ली दरबार से विजयश्री हासिल करके प्रदेश में अपनी बात शेयर कायम रखेंगे. जिस तरह अशोक गहलोत ने मनमोहन सिंह को प्रदेश से राज्यसभा में भेजा, वह उनका राजनीतिक चातुर्य माना जा रहा था. उन्हें उम्मीद थी कि इसके पारितोषिक के रूप में उन्हें सचिन पायलट पर प्राथमिकता मिलेगी और वह प्रदेश में अपना प्रदेश अध्यक्ष और एक और डिप्टी सीएम बनवा लेंगे. लेकिन बैठक में सोनिया गांधी की कानून व्यवस्था को लेकर अशोक गहलोत से नाराजगी ने सारा खेल खराब कर दिया. प्रदेश में बिगड़ी कानून व्यवस्था के इस मैसेज को सोनिया गांधी तक पहुंचाने में पीसीसी चीफ सचिन पायलट काफी हद तक कामयाब रहे. ऐसे में यह जरूर कहा जा सकता है कि राजनीतिक शह और मात के खेल में अभी पायलट और सीएम गहलोत के बीच शतरंज की बिसात पर कई चालें और चली जाएंगी.