महाराष्ट्र में सीएम और डिप्टी सीएम की शपथ के बाद अब विधानसभा भवन का दौर शुरू हो चुका है. महाराष्ट्र विधानसभा के विशेष सत्र के पहले दिन पक्ष के 170 से ज्यादा विधायकों के शपथ लेने के बाद विपक्ष के नेताओं ने सदन का वॉकआउट कर दिया. आदित्य ठाकरे सहित विपक्ष के सभी नेताओं ने ईवीएम हैक करने के आरोप लगाते हुए शपथ लेने से इनकार कर दिया. अब कांग्रेस के नाना पटोले, विजय वडेट्टीवार और अमित देशमुख, NCP-SP नेता जितेंद्र अव्हाड, शिवसेना UBT के आदित्य ठाकरे सहित 173 विधायकों ने सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होते ही शपथ ली. बीजेपी के राहुल नार्वेकर का निर्विरोध स्पीकर चुना जाना तय है. वहीं विपक्ष ने डिप्टी सीएम की मांग की है.
विधायक शपथ ग्रहण से पहले विपक्ष के नेताओं ने प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की. ये सभी विधानसभा में डिप्टी स्पीकर के पद की मांग को लेकर पहुंचे. महा विकास अघाड़ी के नेताओं ने रविवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और मांग रखी कि सत्ता पक्ष प्रोटोकॉल का पालन करते हुए डिप्टी स्पीकर का पद उन्हें दे. इससे पहले महाविकास अघाड़ी के विधायकों की आपसी बैठक में इस बारे में चर्चा हुई, जिसमें आदित्य ठाकरे, विजय वडेट्टीवार, सुनील प्रभु, जीतेंद्र अव्हाड, नितिन राउत और नाना पटोले मौजूद थे.
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वैसे देखा जाए तो प्रचंड बहुमत वाली महायुति के लिए डिप्टी स्पीकर पद विपक्ष को देना आवश्यक नहीं है. डिप्टी स्पीकर पद बनाना या न बनाना भी जरूरी नहीं है. 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में महायुति के पास 230 सीटें हैं. बीजेपी के पास 132, शिंदे शिवसेना के पास 57 और अजित पवार की एनसीपी के पास 41 विधायक हैं. वहीं महाविकास अघाड़ी के पास केवल 52 विधायक हैं. सपा के अलग होने के बाद यह संख्या घटकर 50 पर आ गयी है.
नेता विपक्ष पर दावा करने के लिए पार्टी के पास 10 फीसदी सीटों का होना जरूरी है. 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में इस पद पर दावा करने के लिए 29 सीटों की जरूरत है, जो किसी भी विपक्षी पार्टी के पास नहीं हैं. शिवसेना यूबीटी विपक्ष (20) का सबसे बड़ा दल है. कांग्रेस के पास 16 और शरद पवार की एनसीपी के पास 10 विधायक हैं. विपक्ष के पास पर्याप्त संख्या बल न होने के चलते नेता प्रतिपक्ष बना पाना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में विधानसभा में कोई भी मुख्य विपक्षी दल और उसका नेता नहीं होगा. संयुक्त रूप से नेता प्रतिपक्ष बने, इसके अलावा कोई अन्य विकल्प शेष भी नहीं है.