पॉलिटॉक्स ब्यूरो. झारखंड में सत्ता परिवर्तन होने का इतना असर तो खुद बीजेपी, कांग्रेस या झामुमो पर भी नहीं हुआ होगा जितना राष्ट्रीय जनता पर छाने लगा है. असर भी इतना गहरा कि एक ओर तो रांची के रिम्स में इलाज करा रहे सजायाफ्ता राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) के लिए अस्पताल में ही जनता दरबार सजाया हुआ है. वहीं पार्टी इतनी उत्साहित है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी उतरने की तैयारी कर रही है. बता दें, झारखंड की 81 विधानसभा सीटों पर हाल में आए चुनाव परिणामों में राजद को भी एक सीट मिली है लेकिन इसके बावजूद पार्टी सरकार में शामिल है. गौरतलब है कि राजद झारखंड में झामुमो और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में शामिल है.
अब प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनने की प्रक्रिया के बीच राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान के पेइंग वार्ड के बरामदे में चारा घोटाले के दोषी लालू यादव (Lalu Yadav) के लिए लालू दरबार लगाया है, जहां बारी बारी से दर्जनभर लोगों ने लालू से मुलाकात की. इसी लिस्ट में झारखंड के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे झामुमो प्रमुख हेमंत सोरेन का नाम भी शामिल है. सोरेन ने गुरुवार को लालू से मुलाकात की थी. पार्टी नेता जर्नादन प्रसाद और बिहार के पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह भी लालू से मिलने पहुंचे. झामुमो प्रमुख ने लालू से मिलने के बाद रिम्स ट्रोमा सेंटर का निरीक्षण भी किया.
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अब पार्टी आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी उतरने की तैयारी में है. हालांकि राजद का कांग्रेस के साथ गठबंधन में ही उतरना पक्का है. गौरतलब है कि लालू (Lalu Yadav) के जेल जाने के बाद पार्टी की मौजूदा स्थिति उन हालातों में नहीं है जिसकी जरूरत है. लोकसभा में पार्टी का प्रदर्शन बेहद निचले दर्जे का रहा. आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भी पार्टी अभी तक जमीन नहीं तलाश पाई. फिलहाल पार्टी की कमान लालू के बेटे और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के हाथों में है. लेकिन महागठबंधन में शामिल पार्टियों के किनारा करने से पार्टी नेतृत्व को भारी झटका और नुकसान हुआ है.
राजधानी दिल्ली में बिहारी बेल्ट की तादात काफी ज्यादा है. ऐसे में भाजपा के वोट बैंक में सेंघ लगाने के लिए राजद एकदम सटीक विकल्प है. दिल्ली चुनावों में राजद को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) से भी दो दो हाथ करने का मौका मिल जाएगा. दिल्ली विधानसभा चुनाव में जदयू भी उतर रही है. हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि वो बीजेपी के साथ गठबंधन में उतरेगी या फिर अलग, क्योंकि बिहार में सरकार बीजेपी के समर्थन से ही चल रही है. माना जा रही है कि नीतीश की पार्टी दिल्ली की जंग में अलग ही मोर्चा संभालेगी. ऐसे में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ही जदयू के सामने राजद को अपनी असली खेप का अहसास हो जाएगा.
झारखंड में हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही जेल में लालू (Lalu Yadav) पर लगी कुछ एक बंदिशे भी करीब करीब समाप्त हो जाएंगी और वे जेल से ही एक तरह से सक्रिय रूप से राजद की रणनीति की बागड़ोर अपने हाथों में संभाल सकेंगे. वैसे बता दें, लालू अभी भी राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. पार्टी के तमाम निर्णय अभी भी उनकी ही सहमति पर टिके हैं. ऐसे में झारखंड सरकार का उनके प्रति सॉफ्ट नजरिया बिहार में पार्टी कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकने का काम करेगा. हालांकि नीतीश कुमार के होने से बिहारी वोट बैंक दो धड़ों में बंटेगा लेकिन राजद की उपस्थिति कांग्रेस को मजबूती देने का काम तो निश्चित तौर पर करेगी.
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खैर… जो भी हो, राजधानी में किसी भी दल के लिए वर्तमान मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की चुनौती से निपटना आसान काम नहीं होगा. एक सर्वे के मुताबिक स्थानीय जनता ने केजरीवाल को बतौर मुख्यमंत्री 100 में से 100 नंबर दिए हैं. ऐसे में उनका सत्ता परिवर्तन होना एक टेड़ी खीर है. हालांकि उड़ती उड़ती खबर ये भी आ रही है कि कांग्रेस नेतृत्व दिल्ली में आप पार्टी से हाथ मिलाने पर विचार कर रहा है. अगर ऐसा होता है तो राजद के भाग्य का सितारा दिल्ली में भी चमक सकता है.