आर्मी चीफ बिपिन रावत के बयान पर तेज हुई राजनीतिक बयानबाजी, ओवैसी और दिग्गी राजा ने दिया चीफ को जवाब

एक कार्यक्रम में सीएए के समर्थन में सेना प्रमुख का बयान नहीं उतर रहा विपक्ष के गले, जामिया के छात्रों के उपद्रव और हिंसा पर साधा निशाना

(Army Chief Bipin Rawat)
(Army Chief Bipin Rawat)

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. एक कार्यक्रम के दौरान आर्मी चीफ बिपिन रावत (Army Chief Bipin Rawat) द्वारा दिए गए बयान पर अब बयानबाजी लगातार बढ़ती जा रही है. रावत के बयान पर AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने पलटवार किया है. गुरुवार को एक कार्यक्रम में आर्मी चीफ रावत ने कहा, ‘नेतृत्व वही है जो लोगों को दिशा दे, नेतृत्व के बारे में एक चीज़ साफ है कि जब आप कुछ करते हैं तो लोग आपको फॉलो करते हैं. नेतृत्व करना आसान दिखता है लेकिन ऐसा है नहीं.’ दरअसल अपने बयान में उन्होंने देशभर की कई उन यूनिवर्सिटीज की ओर इशारा किया जहां नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुआ था.

आर्मी चीफ (Army Chief Bipin Rawat) ने ये भी कहा कि लीडर वही है जो आपको सही दिशा में ले जाए, जो गलत दिशा में ले जाए वो लीडर नहीं है, जैसा कि आजकल बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयों में छात्र नेता एक भीड़ को शहरों में हिंसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. ये कोई लीडरशिप नहीं है. उन्होंने सीधे सीधे कुछ नेताओं पर छात्र नेताओं को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप लगाया.

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बिपिन रावत (Army Chief Bipin Rawat) के इस बयान पर पलटवार करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करते हुए निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘अपने कार्यालय की हद जानना भी एक नेतृत्व ही है. नेतृत्व वो है जो नागरिकता को सर्वोच्च स्थान पर रखे और उस संस्था की अखडंता को बरकरार रखें जिसकी आप अगुवाई कर रहे हो’.

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने भी सेना प्रमुख पर पलटवार करते हुए लिखा, ‘मैं जनरल साहब (Army Chief Bipin Rawat) से सहमत हूं लेकिन लीडर्स वे नहीं हैं जो अपने अनुयायियों को सांप्रदायिक हिंसा के नरसंहार में शामिल होने की अनुमति देते हैं. क्या आप मुझसे सहमत हैं साहब?’

गौरतलब है (Army Chief Bipin Rawat) कि हाल में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में देश के अलग अलग हिस्सों में स्थापित यूनिवर्सिटी जिनमें दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी, यूपी की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी भी शामिल हैं, ऐसे 22 कैंपस के छात्रों ने जमकर प्रदर्शन किया था. इनमें से कई संस्थानों के छात्रों ने पुलिस पर पत्थरबाजी भी की थी और प्रदर्शन को हिंसक बनाने का प्रयास किया था. जामिया में तो पुलिस ने एक्शन लेते हुए कैंपस में घुसकर लाठीचार्ज किया जिसमें कई छात्रों को चोटें आईं. विश्वविद्यालयों में विरोध के बाद प्रदर्शन की ये आग देश के अलग-अलग हिस्सों में फैल गई और उसके बाद देशभर में हिंसा और उपद्रव का खेल शुरु हो गया.

यूपी और असम में जमकर उपद्रव हुए. बसों और गाड़ियों को आग के हवाले किया गया और लाखों रुपये की सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा. देशभर में हुई हिंसा में 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. विपक्ष लगातार सीएए, एनआरसी और एनपीआर के मुद्दे को केंद्र सरकार की घेराबंदी कर रहा है.

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