Politalks.News/FarmersProtest. सोमवार को राज्यसभा में दिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आंदोलनजीवी वाले बयान पर पलटवार करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि हम आंदोलन करते हैं, लेकिन हम जुमलेबाज तो नहीं हैं. टिकैत ने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी ने 2011 में कहा था कि देश में MSP पर कानून बनेगा, मोदी दो बार पीएम बन गए पर कानून नहीं बना. टिकैत ने पूछा कि यह जुमलेबाजी नहीं थी क्या? नए कृषि कानूनों के विरोध में मंगलवार को हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के गांव गुमथला गडु में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित एक विशाल किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार नए कृषि कानूनों को वापस ले और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाए नहीं तो हमारा आंदोलन जारी रहेगा.
राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार किसी गलतफहमी में न रहे कि किसान वापस चला जाएगा. हमने कानूनों को निरस्त करने के लिए सरकार को 2 अक्टूबर तक का समय दिया है. इसके बाद हम आगे की प्लानिंग करेंगे, लेकिन हम दबाव में सरकार के साथ चर्चा नहीं करेंगे. इस दौरान टिकैत ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार किसानों को नोटिस भेजकर डरा रही है, लेकिन इससे किसान डरने वाले नहीं हैं. टिकैत ने कहा कि हमने किसानों के बोए काटों पर फूल उगा दिए हैं.
यह भी पढ़ें: पीएम मोदी की गुलाम नबी को सदन से दी गई भावभीनी विदाई के बीच आठवले ने दिया आजाद को न्यौता
यह कहा था पीएम मोदी ने राज्यसभा में
दरअसल, सोमवार को राज्यसभा में मोदी ने कहा था कि देश में एक नया समुदाय आंदोलनजीवी पैदा हो गया है. यह हर विरोध प्रदर्शनों में देखा जा सकता है. कोई भी आंदोलन हो, ये लोग हर जगह नजर आते हैं और ये लोग आंदोलन के बिना नहीं जी सकते. ये टोली आंदोलन से जीने के लिए रास्ते खोजती रहती है. हमें ऐसे लोगों की पहचान करनी होगी और उनसे राष्ट्र की रक्षा करनी होगी. इस दौरान पीएम मोदी ने यह भी कहा कि ये लोग परजीवी हैं.
गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं. जिसके चलते दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 76वें दिन भी जारी है. केन्द्र सरकार इन कानूनों को जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे.