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Rajasthan Politics: राजस्थान के नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के बाद अन्य सभी विधायकों ने विधानसभा में पद एवं गोपनियता की शपथ ले ली है. गौर करने वाली ये है कि इस बार सरकार में दो डिप्टी सीएम नियुक्त किए गए हैं. पूर्व सांसद दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा, दोनों को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है. दोनों ने सीएम भजनलाल के साथ 15 दिसंबर को पद की शपथ ली थी. वैसे देखा जाए तो राजस्थान में डिप्टी सीएम का पद केवल सत्ता सुख की गली लगता है. प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक यहां जितने भी डिप्टी सीएम बनाए हैं या चुने गए हैं, उनमें से कोई भी अब तक अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा तक नहीं कर पाया है. भारतीय संविधान में किसी भी राज्य की कार्यपालिका में इस तरह का कोई पद है ही नहीं. प्रमुख के तौर पर सिर्फ मुख्यमंत्री पद का उल्लेख है. ऐसे में यह पद केवल ‘शोभा पद’ ही कहा जा सकता है.

अब तक सात डिप्टी सीएम, कड़वा अनुभव

राजस्थान में उप मुख्यमंत्री या डिप्टी सीएम पद का इतिहास ज्यादा अच्छा नहीं है. साल 1951 में पहले राजस्थान विधानसभा चुनाव से लेकर साल 2023 तक दीया कुमारी व प्रेम चंद बैरवा के रूप में राजस्थान को छठे व सातवें उप मुख्यमंत्री मिले हैं. दीया कुमारी व प्रेम चंद बैरवा से पहले वाले पांच डिप्टी सीएम टीकाराम पालिवाल, हरिशंकर भाभड़ा, बनवारी लाल बैरवा, कमला बेनीवाल व सचिन पायलट के कार्यकाल की बात करें तो इनमें सिर्फ एक ही उप मुख्यमंत्री हरिशंकर भाभड़ा का कार्यकाल 4 साल 54 दिन तक रहा. बाकी सबका कार्यकाल अधिकतम 2 साल तक ही चला.

प्रशासनिक शक्तियों से महरूम है पद

किसी भी राज्य के उप मुख्यमंत्री के पास कोई विशिष्ट वित्तीय या प्रशासनिक शक्तियां नहीं होती हैं. डिप्टी सीएम की नियुक्ति राज्य का मुख्यमंत्री करता है. डिप्टी सीएम का कोई निश्चित कार्यकाल नहीं भी होता है. प्रदेश में सियासी समीकरण बदलने पर मुख्यमंत्री किसी भी समय अपने डिप्टी सीएम को बदल सकता है या उन्हें हटाया भी सकता है. इसका सटीक उदाहरण सचिन पायलट हैं, जो अशोक गहलोत सरकार में साल 2018 में डिप्टी सीएम बने थे और साल 2020 में गहलोत-पायलट के सियासी रिश्ते बिगड़े तो पायलट को डिप्टी सीएम पद खोना पड़ा था.

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अब तक 5 डिप्टी, सभी का कार्यकाल अधूरा

दीया और बैरवा से पहले अब तक राजस्थान के इतिहास में 5 डिप्टी सीएम रह चुके हैं, लेकिन 5 साल सरकार रहने के बावजूद किसी भी डिप्टी सीएम का कार्यकाल पूरा नहीं हो सकता है. इनमें सिर्फ एक ही उप मुख्यमंत्री हरिशंकर भाभड़ा का कार्यकाल सबसे लंबा चला. भाभड़ा 4 साल 54 दिन तक डिप्टी सीएम रहे. इसके अलावा, जयनारायण व्यास की सरकार में डिप्टी सीएम रहे टीकाराम पालीपाल (1952-54) दो साल, भैरोसिंह सरकार में डिप्टी सीएम रहे हरीशंकर भाभड़ा (1993-98) 4 साल, गहलोत सरकार में बनवारीलाल बैरवा (2002-03) एक साल, कमला बेनीवाल (2003-03) एक साल से कम और सचिन पायलट (2018-20) दो साल डिप्टी सीएम रहे लेकिन इन सभी का कार्यकाल दो साल से भी कम रहा. प्रदेश के इतिहास में पहले बार दो डिप्टी सीएम बनाए गए हैं. अब देखना होगा कि भजनलाल शर्मा की सरकार में दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा डिप्टी सीएम के तौर पर 5 साल पूरा करके इतिहास घड़ते हैं या फिर वे भी सत्ता सुख भोगने वाली गलियों में गुम हो जाएंगे.

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