Politalks.News/Kanpur. शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कानपूर दौरे से पहले भाजपा नेता के बयान पर भड़की हिंसा पर अब सियासत शुरू हो चुकी है. प्रदेश के विपक्षी दलों ने सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद दो समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए और उन्होंने एक-दूसरे पर पथराव किया. मिली जानकारी के अनुसार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा हाल ही में टीवी पर एक कार्यक्रम में चर्चा के दौरान पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी किए जाने के विरोध में जब एक समूह के लोगों ने जबरन दुकानें बंद कराने का प्रयास किया तो दोनों पक्ष आमने सामने आ गए और उन्होंने ना सिर्फ एक-दूसरे पर बम फेंके, बल्कि गोलियां भी चलायीं. वहीं, मामले में भाजपा ने इसे पूर्व नियोजित हिंसा करार दिया तो बसपा प्रमुख मायावती ने इस घटना को पुलिस के खुफिया तंत्र की विफलता बताया.
कानपुर के बेकनगंज इलाके में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद बवाल हो गया. दो समुदायों के बीच दुकाने बंद कराने को लेकर शुरू हुए विवाद ने विकराल रूप ले लिया. जिस जगह पर ये घटना हुई वहां से 50 किमी दूर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गवर्नर आनंदीबेन पटेल और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक कार्यक्रम में भाग ले रहे थे. उपद्रव में शामिल लोगों पर काबू पाने के लिए प्रशाशन ने 12 थानों की पुलिस भी लगाई जिसके बाद पुलिस ने घटना में शामिल 18 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. इस हिंसा के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में स्थानीय मुस्लिम नेता हयात जफर हाशमी की पहचान हुई है जिसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. वह पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में 40 नामजद आरोपियों में से एक है. हाशमी कथित रूप से नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA)और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल हो चुका है. वहीं इस मामले को लेकर सियासत गर्म हो चुकी है.
उत्तरप्रदेश के एमएलसी और भाजपा नेता मोहसिन रजा ने ये दावा किया कि, ‘कानपुर में हुई हिंसा एक पूर्व नियोजित साजिश थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जिले में रहने के दौरान अंजाम दिया गया था. दंगों के पीछे, राजनीतिक एजेंडा हो सकता है और जल्द ही स्पष्ट हो जाएगा. मुख्य आरोपी व्यक्ति के पीएफआई और सिमी से कनेक्शन की जांच की जानी चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्हें फंडिंग कहां से मिली.’ आपको बता दें कि पुलिस के अनुसार रात भर की छापेमारी के बाद अब तक 35 गिरफ्तारियां की गई हैं, और वीडियो और सीसीटीवी फुटेज के जरिए हिंसा में शामिल अन्य लोगों की पहचान करने का प्रयास किया जा रहा है. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से भी लिंक की जांच की जा रही है.
वहीं इस पुरे मामले को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रशासन के खुफिया तंत्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि, ‘राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के राज्य के दौरे के वक्त कानपुर में दंगा व हिंसा भड़कना अति-दुखद, दुर्भाग्यपूर्ण व चिन्ताजनक है और पुलिस खुफिया तंत्र की विफलता का संकेत है. सरकार को समझना होगा कि शान्ति व्यवस्था के अभाव में प्रदेश में निवेश व यहां का विकास कैसे संभव होगा?’ मायावती ने आगे कहा कि, ‘सरकार इस घटना की धर्म, जाति व दलगत राजनीति से ऊपर उठकर स्वतंत्र व निष्पक्ष तथा उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों के विरूद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई करे ताकि ऐसी घटना आगे न होने पाए.’ इसके साथ ही मायावती ने लोगों से शान्ति व कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए भडकाऊ भाषणों आदि से बचने की भी अपील की.
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वहीं घटना के बाद अतिरिक्त महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने चेतावनी दी है कि इसमें शामिल लोगों पर कठोर गैंगस्टर अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और उनकी संपत्ति को जब्त या ध्वस्त कर दिया जाएगा. प्राथमिकी में नामित अन्य आरोपियों में एहितशम कबाड़ी, जीशान, आकिब, निजाम, अजीजुर, आमिर जावेद, इमरान काले, यूसुफ मंसूरी शामिल हैं. 1,000 से अधिक अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दंगा और हिंसा को लेकर तीन प्राथमिकी दर्ज की गई हैं.