Politalks.News/Punjab. तीनों नए कृषि कानून रद्द करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा कर सभी को चौंका दिया है. पीएम मोदी के इस फैसले पर पंजाब के पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुशी जताई है. कैप्टन ने बड़ा ऐलान किया कि, ‘अब वे भाजपा से सीट शेयरिंग करके विधानसभा चुनाव में उतरेंगे’. कैप्टन ने पहले ही कह दिया था कि जैसे ही कृषि कानून रद्द होंगे और किसान आंदोलन खत्म होगा, तो वे भाजपा के साथ मिलकर चुनावी ताल ठोकेंगे. अब यह बात तय भी हो गई है कि सूबे में साढ़े तीन महीने बाद होने वाले चुनाव कैप्टन भाजपा के साथ मिलकर ही लड़ेंगे. मोदी सरकार के इस फैसल से पंजाब में समीकरण पूरी तरह से बदलने तय हैं. जानकारों की माने तो कैप्टन और भाजपा के साथ आने से पार्टी को थोड़ी राहत मिलेगी तो कांग्रेस कृषि कानून का विरोध जताती रही है. मोदी सरकार पर दबाव बनाने का श्रेय कांग्रेस लेने से पीछे नहीं रहेगी. इधर शिरोमणी अकाली दल पर सभी की नजरें रहेंगी. अब किसान कानून पर भाजपा ने यूटर्न ले लिया है. क्या अकाली और भाजपा फिर साथ आएंगे? कुछ भी हो आने वाले समय में पंजाब में राजनीति चरम पर रहने वाली है.
खुशी है कि किसानों ने चिंता समझी- कैप्टन
सबसे पहले आपको बताते हैं कि क्या कहा है कैप्टन अमरिंदर सिंह. कैप्टन ने कहा कि, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की बात सुनकर उनकी चिंता समझी और कृषि कानून रद्द करने की घोषणा कर दी, मैं लगातार इस मुद्दे को उठाता रहा और केंद्र सरकार से मिलता रहा’. PM मोदी की घोषणा के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘पंजाब में आज हमारे लिए यह बहुत बड़ा दिन है. मैं इस मामले को एक साल से ज्यादा समय से उठा रहा था. इसको लेकर PM मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिला. उनसे गुजारिश करता रहा कि,’वे अन्नदाता की आवाज सुनें. बहुत खुशी है कि उन्होंने किसानों की बात सुनी और हमारी चिंताओं को समझा’.
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‘भाजपा की अगुवाई वाली केन्द्र सरकार के साथ करेंगे काम’
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि, ‘यह सिर्फ किसानों के लिए बड़ी राहत नहीं है, बल्कि पंजाब के आगे बढ़ने के लिए भी रास्ता खुला है. अब वे भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार के साथ किसानों के विकास के लिए काम करेंगे. उन्होंने पंजाब के किसानों से वादा किया कि वे तब तक आराम नहीं करेंगे, जब तक पंजाब के हर एक आदमी की आंखों के आंसू न पोंछ दें.
भाजपा की जगी कुछ उम्मीद!
पिछले करीब एक साल से चल रहे किसान आंदोलन के बाद पीएम के इस फैसले पंजाब में भाजपा को आशा की एक नई किरण नजर आने लगी है. अब भाजपा और कैप्टन की गठबंधन अगर होता है तो पार्टी को कुछ राहत मिल सकती है. कृषि कानूनों को लेकर भाजपा पंजाब में जमीनी स्तर पर काफी विरोध का सामना कर रही थी. इसके चलते उसका 24 साल पुराने सहयोगी पंजाब शिरोमणी अकाली दल से पिछले साल ही अलगाव हो चुका है. इसके अलावा पंजाब के ग्रामीण इलाकों में भी भाजपा का रास्ता मुश्किल हो रहा था. अब पंजाब में भाजपा नरेंद्र मोदी के हालिया बयान से खुद के लिए उम्मीदों को नया जीवन देने की कोशिश करेगी. आप ये भी ध्यान रखिए कि दो दिन पहले ही सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर कॉरिडोर को खोला गया है. यह फैसला भी सिख समुदाय में भाजपा के लिए कुछ उम्मीद जता सकता है. इधर सत्ताधारी कांग्रेस ने कृषि कानूनों का लगातार विरोध किया है. उसने केंद्र सरकार के इस कानून के खिलाफ पंजाब विधानसभा में दो बार रिजॉल्यूशन भी पास किया था। पीएम द्वारा यह कानून वापस लिए जाने के फैसले पर कांग्रेस श्रेय लेने की लड़ाई में सबसे आगे रहेगी.
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अकालियों पर रहेंगी सभी की नजरें
मोदी सरकार के इस फैसले से सबसे बड़ी राहत शिरोमणी अकाली को मिली है. कृषि कानूनों पर उसने मोदी सरकार से समर्थन तो वापस ले लिया था. लेकिन अपने कोर वोटर्स में उसकी किरकिरी इस बात के लिए हो रही थी कि उसने कृषि कानून पर ऑर्डनेंस पास करने में मोदी सरकार का समर्थन किया था. इधर चुनाव को देखते हुए अकाली दल ने बसपा के साथ गठबंधन किया था. उसने 117 में से 20 सीटें बसपा के लिए छोड़ी थीं. हालांकि चरणजीत सिंह चन्नी के पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री बनने के बाद उसका यह दांव भी नाकामयाब होता नजर आ रहा था. कृषि कानूनों के वापस होने के बाद शिरोमणी अकाली दल को उम्मीद होगी कि वह किसानों के अपने परंपरागत चुनावी क्षेत्र में वापसी करने में कामयाब रहेगा, हालांकि पंजाब में एक बड़ा सवाल अब भी अपनी जगह कायम है। यह सवाल है कि क्या शिरोमणि अकाली दल और भाजपा फिर से एक-दूसरे से गठबंधन करेंगे? सिख और हिंदू मेजॉरिटी वाली विधानसभा में यह गठबंधन खासा कामयाब रहा था. हालांकि जानकार राजनीतिक विशेषज्ञ इस संभावना से इंकार नहीं कर रहे हैं.