कृषि कानूनों पर यू-टर्न या मास्टरस्ट्रोक! गहलोत का हमला- 5 राज्यों में हार के डर से लिया फैसला

मोदी सरकार का कृषि कानूनों पर यू-टर्न, पीएम ने तीनों कानून वापस लेने का किया ऐलान, क्षमा मांगते हुए बोले पीएम- 'हमारी तपस्या में रह गई कुछ कमी, किसान भाइयों को समझा नहीं पाए', टिकैत बोले- आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, तो सीएम गहलोत ने कहा- यूपी चुनाव को देखते हुए वापस लिए कृषि कानून, मोदी सरकार पर गहराया साख का संकट, सियासी गलियारों में चर्चा- 'पांच राज्यों के चुनाव से ठीक पहले कृषि कानून वापस, मोदी का मास्टर स्ट्रोक और विपक्ष ढेर!' विपक्ष से बड़ा मुद्दा छीना पीएम मोदी ने

मोदी सरकार का यू-टर्न या मास्टर स्ट्रोक!
मोदी सरकार का यू-टर्न या मास्टर स्ट्रोक!

Politalks.News/Rajasthan.  आज प्रकाश पर्व पर किसानों की महाजीत हुई है. पीएम नरेंद्र मोदी ने आज गुरू पर्व के मौके पर देश के किसानों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए करीब एक साल से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा कर दी है. पीएम मोदी ने कहा कि,’हमने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है. इसकी प्रक्रिया आगामी संसद सत्र से इस महीने शुरू होगी’ साथ ही पीएम मोदी ने अपील भी की कि, ‘मैं किसानों से अपील करता हूं कि अपने घर लौट जाए और नए सिरे से शुरुआत करें. हालांकि, पीएम मोदी ने ये फैसला किसानों के हितों को देखकर लिया है लेकिन अब विपक्षी पार्टियों को मोदी को घेरने का बड़ा मौका मिल गया है और विपक्ष ने पीएम के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए बयानबाजी शुरू कर दी है. पीएम मोदी के इस फैसले पर कांग्रेस ने कहा है कि, टूट गया अभिमान, जीत गया किसान. वहीं किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे राकेश टिकैत ने कहा कि अभी तत्काल आंदोलन खत्म नहीं हो रहा है. इधर सीएम गहलोत ने कहा है कि,’यूपी चुनाव के डर से मोदी सरकार ने ये फैसला लिया है’.

क्षमा मांगते हुए बोले पीएम- हमारी तपस्या में रह गई कुछ कमी, किसान भाइयों को समझा नहीं पाए
इससे पहले गुरुनानक जयंती पर राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के खास अवसर पर विवादित तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि,’मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए यह कहना चाहता हूं कि हमारी तपस्या में कोई कमी रह गई होगी. कुछ किसान भाइयों को समझा नहीं पाए. आज गुरुनानक देव का पवित्र पर्व है. ये समय किसी को दोष देने का समय नहीं है. आज पूरे देश को यह बताने आया हूं कि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है’. पीएम मोदी ने कहा कि, ‘इस महीने के अंत में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया शुरू कर देंगे. इसके साथ ही, पीएम मोदी ने आंदोलन पर बैठे लोगों को प्रकाश पर्व पर अपने घर वापस जाने की अपील की’.

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एमएसपी को लेकर बनाई समिति
प्रधानमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से जुड़े मुद्दों पर एक समिति बनाने की भी घोषणा की. पीएम मोदी ने कहा कि,’पांच दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की मुश्किलों, चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है’. पीएम मोदी ने छोटे किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए अपनी सरकार द्वारा उठाए कदमों को रेखांकित किया. पीएम मोदी ने कहा कि, ‘कृषि बजट में पांच गुना बढ़ोतरी की गई है, हर साल 1.25 लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च की जा रही है.

आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा- राकेश टिकैत
पीएम मोदी के एलान के तुरंत बाद राकेश टिकैत ने कहा कि,’आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें.’

राहुल गांधी और विपक्ष खड़ा रहा किसानों के साथ- गहलोत
तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है. सबसे पहले सीएम गहलोत ने किसानों को बधाई दी औऱ कहा कि, ‘किसानों की शानदार विजय हुई है. किसानों को बहुत-बहुत बधाई, किसानों के संघर्ष को मैं सलाम करता हूं’. सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘देश के हालात गंभीर हैं. आजादी के बाद पहला आंदोलन है जो एक साल चला है. मोदीजी और उनके लोग ये नहीं समझ पाए कि बॉर्डर पर बैठे किसान देश का नेतृत्व कर रहे थे’. सीएम गहलोत ने राहुल गांधी की तारीफ करते हुए कहा कि, ‘राहुल गांधी और विपक्ष हमेशा किसानों के साथ खड़ा रहा. मोदी सरकार को समझना चाहिए जो विपक्ष बोल रहा है वो देश बोल रहा है. मोदी जी अहम और घमंड में जी रहे हैं. अब मोदी जी को चाहिए की वो किसानों से किए वादों को पूरा करें. भाजपा ने किसानों की आय दोगुना करने का वादा किया था. उस वादे का क्या हुआ’.

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यूपी चुनाव को देखते हुए वापस लिए कृषि कानून, मोदी सरकार पर गहराया साख का संकट- गहलोत
भाजपा और मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘उत्तरप्रदेश में होने वाले चुनाव को देखते हुए ये कानून वापस लिए गए हैं. यूपी में पीएम ने डेरा डाल रखा है. जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह अमित शाह, संभाग वाइज बूथ मैनेजमेंट की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. यूपी चुनाव को देखते हुए कानून वापस लिए गए हैं. पेट्रोल-डीजल में दाम कम किए गए ये सब यूपी चुनावों को देखते हुए हो रहा है. जेपी नड्डा के गृह राज्य में ये उपचुनाव में चारों सीटें हार गए. राजस्थान में इनका सफाया हो गया. तीसरे और चौथे नंबर पर ये लोग रहे. उपचुनाव के चुनाव परिणाम से ये घबरा गए हैं’. किसानों द्वारा आंदोलन तत्काल वापस नहीं लेने के सवाल पर सीएम गहलोत ने मोदी सरकार पर जमकर तंज कसा, सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘मोदी सरकार पर साख का संकट मंडरा रहा है इसलिए अब जनता विश्वास नहीं कर रही है. लोगों को अब भी लग रहा है कि पता नहीं क्या करेंगे ये लोग., इसलिए किसान इन पर विश्वास नहीं कर रहे हैं.

पांच राज्यों के चुनाव से ठीक पहले कृषि कानून वापस, मोदी का मास्टर स्ट्रोक और विपक्ष ढेर!
पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पीएम मोदी ने तीन कृषि कानून को वापस लेकर मास्टर स्ट्रोक खेला है. विपक्ष के पास इन चुनावों में ये सबसे बड़े मुद्दों में से एक था. कृषि कानूनों पर विपक्ष, केंद्र को घेरने वाला था लेकिन अब उनके पास से एक बड़ा मुद्दा छिन गया है. यूपी और पंजाब चुनाव होने वाले हैं और यहां के किसान भारी संख्या में आंदोलनरत थे. सियासी जानकारों का मानना है कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेकर पीएम मोदी ने बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है. इसके साथ ही विपक्ष के पास से एक बड़ा मुद्दा भी छिन गया है. गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. कृषि कानून वापस लेने का असर सबसे ज्यादा यूपी और पंजाब होने वाले चुनावों देखने को मिलेगा. उत्तराखंड में भी कुछ किसान इसका विरोध कर रहे थे जबकि कुछ किसान इसके समर्थन में भी नजर आए थे. वहीं, गोवा और मणिपुर में इसका उतना असर नहीं था.

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पिछले साल संसद से पास हुए थे तीनों कानून
आपको बता दें कि,’तीनों नए कृषि कानून 17 सितंबर 2020 को संसद से पास कराया गया था. इसके बाद से लगातार किसान संगठनों की तरफ से विरोध कर इन कानूनों को वापस लेने की मांग की जा रही थी. किसान संगठनों का तर्क था कि इस कानून के जरिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों के रहमोकरम पर छोड़ देगी. जबकि, सरकार का तर्क था कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में नए निवेश का अवसर पैदा होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी. सरकार के साथ कई दौर की वार्ता के बाद भी इस पर सहमति नहीं बन पाई. किसान दिल्ली की सीमाओं के आसपास आंदोलन पर बैठकर इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है.

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