Politalks.News/UttarPradesh. कुछ दिन पहले आतंकी गतिविधियां चलाने के आरोप में एनआईए ने तेलंगाना में PFI के 38 स्थानों और आंध्र प्रदेश में दो स्थानों पर तलाशी ली थी. जिसमें चार लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया. अधिकारियों ने इस अभियान के दौरान डिजिटल उपकरण, दस्तावेज, दो खंजर और 8.31 लाख रुपये से अधिक नकदी सहित अन्य आपत्तिजनक सामग्री जब्त की थी. जिसके बाद केंद्र सरकार ने 28 सितंबर को PFI सहित 8 सहयोगी संगठनों पर भी 5 साल का बैन लगा दिया. अब इसे लेकर देश की सियासत गरमाई हुई है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बाद अब उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी इशारों इशारों में PFI के साथ साथ RSS पर बैन लगाने की बात कही है. गुरूवार को एक के बाद एक दो ट्वीट करते हुए मायावती ने बीजेपी पर निशाना साधा. मायावती ने कहा कि, ‘अगर पीएफआई देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिए खतरा है तो उस जैसे अन्य संगठनों पर भी बैन क्यों नहीं लगना चाहिए?’
दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्रालय की तरफ से बुधवार को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए PFI 5 साल के लिए बैन कर दिया है. केंद्र सरकार ने अपने नोटिफिकेशन में कहा कि वैश्विक आतंकी संगठनों के साथ संबंध और कई आतंकी मामलों में शामिल होने के लिए PFI पर प्रतिबंध लगाया गया है. पीएफआई के अलावा उसके 8 सहयोगी संगठनों पर भी कार्रवाई की गई है. 22 सितंबर और 27 सितंबर को एनआईए, ईडी और राज्यों की पुलिस ने पीएफआई पर छापेमारी की थी. पहले राउंड की छापेमारी में 106 और दूसरे राउंड की छापेमारी में पीएफआई से जुड़े लोग 247 गिरफ्तार/हिरासत में लिए गए. पीएफआई को बैन करने की मांग लगातार उठ रही थी. वहीं PFI पर लगे प्रतिबंध को लेकर अब सियासत भी शुरू हो गई है.
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जहां राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद यादव ने PFI के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बैन की मांग की है तो वहीं उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री एवं बसपा सुप्रीमो मायावती ने गुरूवार को इशारों इशारों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के साथ RSS पर बैन लगाने की मांग की है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘केन्द्र द्वारा पीपुल्स फ्रण्ट आफ इण्डिया (पीएफआई) पर देश भर में कई प्रकार से टारगेट करके अन्ततः अब विधानसभा चुनावों से पहले उसे उसके आठ सहयोगी संगठनों के साथ प्रतिबन्ध लगा दिया है, उसे राजनीतिक स्वार्थ व संघ तुष्टीकरण की नीति मानकर यहाँ लोगों में संतोष कम व बेचैनी ज्यादा है.’
1. केन्द्र द्वारा पीपुल्स फ्रण्ट आफ इण्डिया (पीएफआई) पर देश भर में कई प्रकार से टारगेट करके अन्ततः अब विधानसभा चुनावों से पहले उसे उसके आठ सहयोगी संगठनों के साथ प्रतिबन्ध लगा दिया है, उसे राजनीतिक स्वार्थ व संघ तुष्टीकरण की नीति मानकर यहाँ लोगों में संतोष कम व बेचैनी ज्यादा है।
— Mayawati (@Mayawati) September 30, 2022
वहीं अपने दूसरे ट्वीट में बसपा सुप्रीमो मायावती ने लिखा कि, ‘यही कारण है कि विपक्षी पार्टियाँ सरकार की नीयत में खोट मानकर इस मुद्दे पर भी आक्रोशित व हमलावर हैं और आरएसएस पर भी बैन लगाने की माँग खुलेआम हो रही है कि अगर पीएफआई देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिए खतरा है तो उस जैसी अन्य संगठनों पर भी बैन क्यों नहीं लगना चाहिए?’
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2. यही कारण है कि विपक्षी पार्टियाँ सरकार की नीयत में खोट मानकर इस मुद्दे पर भी आक्रोशित व हमलावर हैं और आरएसएस पर भी बैन लगाने की माँग खुलेआम हो रही है कि अगर पीएफआई देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिए खतरा है तो उस जैसी अन्य संगठनों पर भी बैन क्यों नहीं लगना चाहिए?
— Mayawati (@Mayawati) September 30, 2022
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बुधवार को इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों से संबंध रखने और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश का आरोप लगाते हुए आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया. राजपत्रित अधिसूचना के अनुसार, पीएफआई के आठ सहयोगी संगठनों- रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल विमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल के नाम भी यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किए गए संगठनों की सूची में शामिल हैं.