लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में एनडीए का सीट शेयरिंग फॉर्मूला सेट हो चुका है. कुछ उलचूल उलझने हैं, जिनका निपटारा जल्द ही कर लिया जाएगा. हालांकि अजित पवार ‘दादा’ इस सीट बंटवारे से नाखुश से दिखाई दे रहे हैं. उनकी नाराजगी इसलिए भी मायने रखती हैं क्योंकि वे प्रदेश के डिप्टी सीएम हैं और सरकार में भागीदार भी. हालांकि शरद पवार से नाता तोड़ने के बाद उनके पास कोई विकल्प नहीं बचता है, फिर भी वे बीजेपी पर दबाव बनाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे इस विषय पर थोड़ा नरम बने हुए हैं.
एनडीए गठबंधन में सीट शेयरिंग केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में हुआ है. महाराष्ट्र में लोकसभा की कुल 48 सीटें हैं. वर्तमान फॉर्मूले के मुताबिक, बीजेपी 32 सीटों पर चुनावी मैदान में उतर रही है. शिवसेना को 10 और अजित पवार वाली एनसीपी को केवल चार सीटों पर समर्थन मिला है. अन्य दो सीटें गठबंधन की अन्य सहयोगी पार्टियों को दी गयी हैं. सीएम एकनाथ की चुप्पी को उनकी मौन स्वीकृति माना जा सकता है. हालांकि अजित पवार दोगुनी सीटों की मांग कर रहे हैं.
एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने बारामती सहित 8 सीटों पर अपनी बात रखी है. अजित बारामती से अपनी पत्नी सुनेत्रा को मैदान में उतारना चाहते हैं. फिलहाल इस सीट पर शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले मौजूदा सांसद हैं. बीजेपी और शिवसेना के सहयोग से यह सुरक्षित सीट साबित हो सकती है. बारामती फतेह कर अजित एक तीर से दो निशाने साध पाएंगे. पहला – सुप्रिया सुले को हराकर उनका हर तरह से मुंह बंद करा सकेंगे. दूसरा – शरद पवार को सीधा संदेश जाएगा कि उन्होंने बीजेपी की ओट लेकर कोई गलती नहीं की है. अजित पवार को दूसरी मिलने वाली सीट गढ़ चिरौली है. अजित यहां से सरकार में मंत्री एवं एनसीपी नेता धर्मराव बाबा आत्राम को मौका देना चाहते हैं.
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वहीं एकनाथ शिंदे ने 22 सीटों की डिमांड की है और हेरफेर कर 13 सीटों पर चुनाव लड़ने को सहमत है. इसके दूसरी ओर, बीजेपी ने उन्हें 10 सीटों पर सिमेटा रही है. बीजेपी का मानना है कि आम चुनाव में पार्टी की जीत की संभावनाएं प्रबल है. ऐसे में बीजेपी को ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए. यही वजह है कि बीजेपी अकेले 32 सीटों पर चुनावी मैदान में उतर रही है. दो सीटें अन्य गठबंधन पार्टियों के लिए छोड़ी जाएगी.
बीजेपी चाहती है कि परभणी, औरंगाबाद, उस्मानाबाद और रत्नागिरी सिंधुदुर्ग की सीटों में भी फेरबदल भी किया जाए. वहीं मुंबई में एकनाथ शिंदे ने दो सीटों की मांग रखी है, लेकिन बीजेपी उन्हें केवल ठाणे सीट ही देना चाहती है. यह सीट शिवसेना का गढ़ रही है. इस सीट पर एकनाथ शिंदे का खासा प्रभाव रहा है. ठाणे सहित शिवेसना को 10 सीटें मिल रही है और शिंदे की खामौशी देखकर माना जा रहा है कि वे सीट शेयरिंग के फॉर्मूले से खुश हैं और उनकी मौन स्वीकृति भी है.
हालांकि अजित पवार इस फॉर्मूले से नाखुश हैं और बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश में हैं. देखा जाए तो ये आम चुनाव उनकी नाक का सवाल बन गया है. शरद पवार से अलग होने के बाद उन्हें कमजोर आंका जा रहा है और शरद पवार की नयी पार्टी का आम चुनाव में उतरना अजित पवार को सीधे चैलेंज करने के बराबर है. यही वजह है कि बारामती से सुप्रिया सुले को धूल चटाकर अजित इस भ्रम को समाप्त करना चाहेंगे.
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वहीं दूसरी तरफ, बीजेपी एनडीए में शामिल एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी को इसी फॉर्मूले पर मनाने की कोशिश कर रही है. बीजेपी का मानना है कि केंद्र के चुनाव में बीजेपी को ज्यादा मौका मिले और इसके बदले सहयोगी पार्टियों को विधानसभा चुनावों में ज्यादा सीटें छोड़ दी जाएंगी. अमित शाह ने गठबंधन के सहयोगियों से साफ कहा कि आप लोग अभी कम सीटे ले लीजिए. विधानसभा चुनाव में इसकी भरपाई कर दी जाएगी.
कुल मिलाकर महाराष्ट्र में एनडीए का सीट बंटवारा करीब करीब फाइनल है. अजित पवार नाखुश हैं लेकिन विकल्प न होने के चलते उन्हें ना चाहते हुए भी इसी फॉर्मूला पर सहमति बनानी पड़ेगी. शिवसेना की भी स्वीकृति है. इधर शरद पवार का ध्येय बीजेपी को हराने से ज्यादा अजित पवार की उम्मीदवारों को हराने पर रहने वाला है. वहीं उद्दव ठाकरे की शिवसेना भी एकनाथ शिंदे के प्रत्याशियों वाली 10 सीटों पर अपना खास ध्यान देने वाली है. अन्य 32 सीटों पर कांग्रेस की सीधी टक्कर बीजेपी से है. अब देखना ये है कि आपसी मतभेदों का अखाड़ा बन चुका आम चुनाव का चुनावी दंगल किस स्तर पर जा सकता है या रंग बदल पाने में कामयाब होता है या नहीं.