क्या महाराष्ट्र MVA में आ गई दरार! मध्यावधि चुनाव पर उद्धव ठाकरे के बयान पर शरद पवार का इनकार

एक दूसरे के विपरीत बयानबाजी से आपसी समन्वय नहीं दिख रहा महाविकास अघाड़ी के नेताओं में, सभी से उलटी दिशा में आगे बढ़ रहे उद्धव ठाकरे, नहीं कर रहे शरद पवार के सुझावों पर अमल, एनसीपी चीफ की खुली बयानबाजी भी बन रही उद्धव के गले की फांस

sharad pawar on uddhav
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Sharad Pawar on Uddhav Thackeray’s Statement. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने हाथ से शिवसेना की मान्यता और चुनावी सिंबल फिसलने के बाद राज्य में मध्यावधि चुनाव की संभावना व्यक्त की गई है. हालांकि इसके आसार नजर नहीं आते हैं लेकिन इस मुद्दे पर सियासी गलियारों में एक बहस जरूर शुरू हो गई है. खास बात ये है कि हाल ही में उद्धव ठाकरे के साथ हुई ज्यादती के बाद खुलकर ठाकरे के साथ खड़े होने वाले राकंपा सुप्रीमो शरद पवार ने उद्धव के दावे के उलट मध्यावधि चुनाव से साफ इनकार किया है. एक तरफ जहां उद्धव ठाकरे अपने कार्यकर्ताओं से महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार रहने की बात कह रहे हैं, तो वहीं शरद पवार ने ऐसा कुछ भी होने की संभावनाओं से स्पष्ट इनकार किया है. ऐसे में कुछ सियासी पंडित इसे महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन में दरार के रूप में भी देख रहे हैं.

दरअसल, महाराष्ट्र में अस्थिर राजनीतिक परिस्थितियों का हवाला देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पिंपरी और कस्बा के मतदाताओं को एक वीडियो संदेश जारी करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं को तैयार करने को कहा. उद्धव ने प्रदेश में मध्यावधि चुनाव की संभावना जाहिर करते हुए कहा , ‘हमें सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित मुकदमे का इंतजार करना होगा. इसके अलावा यह भी दलील है कि पार्टी छोड़ने वाले विधायकों के एक वर्ग को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए. यदि याचिका स्वीकार कर ली जाती है तो मध्यावधि चुनाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.’

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वहीं राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के चीफ शरद पवार ने इस बात की संभावनाओं से पूरी तरह इनकार किया है. मीडिया के समक्ष उद्धव ठाकरे के बयान के उलट शरद पवार ने कहा कि प्रदेश में मध्यावधि चुनाव का कोई कारण नजर नहीं आ रहा है, लेकिन हमें ये देखना होगा कि ठाकरे ने किन परिस्थितियों में ये बयान दिया है.

यहां आपको बता दें कि राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले NCP सुप्रीमो शरद पवार के बारे में कहा जाता है कि पवार की बातों और सियासी इशारों को समझना बहुत मुश्किल है, पवार को राजनीतिक करवट के बदलने का पूरा अनुमान रहता है और वे इस बात को समझने और उसके अनुसार ढलने में माहिर हैं. लंबा राजनीतिक अनुभव रखने वाले शरद पवार ने हाल ही में उद्धव ठाकरे को शिवसेना का चिह्न और नाम गंवाने के बाद भी आगे बढ़ने की सलाह दी थी. पवार ने कहा था कि लोग नाम या चिह्न से नहीं आपके चेहरे और काम से आपको याद करते हैं. ऐसे में इस बात को यहीं छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए. हालांकि उद्धव ठाकरे अभी भी इस बात पर भरोसा करके बैठे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में अटली दलीलें उनके पक्ष में आ सकती हैं. यही वजह है कि महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से कई तरह की सियासी संभावनाएं बदल बदल कर सामने आ रही हैं.

इस बात में कोई शक नहीं है कि शरद पवार के बयान उद्धव ठाकरे और शिवसेना हतोत्साहित करने वाले साबित हो रहे हैं. हालांकि खुलकर दोनों दिग्गजों के बीच कोई मतभेद सामने नहीं आ रहे लेकिन अंदरूनी तौर पर उद्धव ठाकरे ने शरद पवार और महाविकास अघाड़ी से दूरी बनाना शुरू कर दिया है. ऐसे में सियासी पंडितों के मानना है कि महाराष्ट्र महाविकास अघाड़ी गठबंधन में दरार आनी शुरू हो चुकी है और निकट भविष्य में नेताओं की तकरार भी सामने आ सकती है.

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