गुजरात चुनाव: दक्षिण का नवसारी जिला बीजेपी का गढ़, लेकिन ढहाने की जुगत में लगी है कांग्रेस

गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए तेज हुआ सियासी घमासान, नवसारी विस सीट पर 35 सालों से अजेय है बीजेपी, तीन सीटों पर बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा, आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाने की ताक में है बसपा और बीटीपी, तो वहीं आप ने बढ़ाई बीजेपी की मुश्किलें

navsari vidhansabha gujarat assembly election 2022
navsari vidhansabha gujarat assembly election 2022

GujaratAssemblyElection. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों का सियासी घमासान आज समाप्त हो जाएगा, इसके बाद सही सियासी पार्टियों और आम जनता का पूरा ध्यान गुजरात चुनावों पर शिफ्ट हो जाएगा, हालांकि अभी तक भी सभी बड़ी पार्टियों का पूरा ध्यान गुजरात पर ही रहा है. बता दें, गुजरात में 1 दिसम्बर व 5 दिसम्बर को दो फेज में विधानसभा चुनाव होने हैं. जबकि परिणाम 8 दिसम्बर को घोषित किया जाएंगे. 182 विधानसभा सीटों वाले गुजरात का सियासी समीकरण वैसे तो बीजेपी के पक्ष में है लेकिन दक्षिण गुजरात का नवसारी जिला बीजेपी का अजेय किला है. यहां पर इसे ढहाना अच्छे अच्छों के बस की बात नहीं है. कांग्रेस पिछले कई सालों से इस किले को ढहाने की कोशिश कर रही है लेकिन बीजेपी का ये गढ़ इतना भी कमजोर नहीं है.

जिले की नवसारी विधानसभा सीट पर तो बीजेपी लगातार 35 सालों से अजेय है. इस किले पर सेंध लगाने के लिए कांग्रेस काफी जुगत लगा रही है. आम आदमी पार्टी भी यहां पूरी जद्दोजहद लगा रही है, ताकि कांग्रेस को नंबर तीन पर धकेल कर यहां सियासी जमीन तलाशी जा सके.

आइए जानते हैं नवसारी जिले का सियासी गणित..

बीजेपी का अभेद किला है नवसारी विधानसभा
नवसारी विधानसभा प्रदेश की सबसे हॉट विस सीटों में से एक है. यह बीजेपी का 35 सालों से कब्जा रहा है. नवसारी विधानसभा सीट में कुल 2 लाख 46 हजार 752 मतदाता हैं. नवसारी के मौजूदा भाजपा विधायक पियुषभाई दिनकरभाई देसाई यहां से लगातार 5 बार चुनाव जीत चुके हैं. कांग्रेस पिछले कई सालों से इस किले में सेंध लगाने की जुगत में है. पिछले गुजरात विस चुनावों में भी कांग्रेस की लाख कोशिशों से बाद भी नवसारी विधानसभा पर भगवा फहराया था. 2017 के विधानसभा चुनावों में नवसारी से भारतीय जनता पार्टी से पियुषभाई दिनकरभाई देसाई ने कांग्रेस के भावनाबेन अनिलभाई पटेल को 46095 वोटों से हराया था.

यह भी पढ़ें: कच्छ की 6 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस में कांटे की टक्कर

इस बार के चुनावों में आम आदमी पार्टी भी मैदान में है, इसलिए मुकाबले बेहद दिलचस्प होने वाला है. इस सीट पर बीजेपी के राकेश देसाई और आप पार्टी के उपेश पटेल आमने सामने हैं. कांग्रेस का उम्मीदवार अभी तय नहीं है.

जलालपुर सीट पर 20 साल का सूखा खत्म करना चाहेगी कांग्रेस
जलालपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र जिले की महत्वपूर्ण सियासी सीट है. कांग्रेस पिछले 4 विस चुनावों से यहां वनवास मोड पर है. यहां से पटेल, कोली पटेल, ब्राह्मण अनाविल, मराठी, मछुआरे, मुस्लिम, जैन, क्षत्रिय, अहीर और अनुसूचित जनजाति के मतदाता प्रमुख हैं. निर्वाचन क्षेत्र में कुल 1 लाख 36 हजार 117 मतदाता हैं. बीजेपी की ओर से रमेश पटेल और कांग्रेस के रणजीत पांचाल आमने सामने हैं. आप पार्टी की उम्मीदवारी अभी बाकी है.

यह सीट बीजेपी भाजपा के दबदबे वाली सीट है. पिछले 20 सालों से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है. यहां रमेशभाई छोटूभाई पटेल (RC Patel) का दबदबा है और वे पिछले चार चुनावों में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतते रहे हैं. रमेश पटेल 1998 में पहली बार यहां से चुनाव जीते थे. उन्होंने तब कांग्रेस के तिलिस्म को तोड़ते हुए जीत हासिल की. वर्तमान में जलालपुर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी से आर.सी. पटेल विधायक हैं. उन्होंने 2017 के चुनावों में कांग्रेस के परिमल नानूभाई पटेल को 25664 वोटों से हराया था.

गणदेवी में 1995 के बाद जीत नहीं सकती है कांग्रेस
गणदेवी (एसटी) विधानसभा अनुसूचित जनजाति (एसटी) के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है. यहां पर आदिवासियों का ही बाहुल्य है और यही यहां उम्मीदवार का भाग्य तय करते हैं. यह भी बीजेपी का गढ़ है. 1995 से यहां बीजेपी का एकछत्र राज रहा है. इससे पहले यह सीट कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी. वर्तमान में इस सीट पर 2 लाख 88 हजार 889 मतदाता हैं.

गणदेवी (एसटी) विधानसभा सीट पर 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. पिछले विस चुनाव में गणदेवी विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी के पटेल नरेशभाई मगनभाई ने कांग्रेस के सुरेशभाई मगनभाई हलपति को 57261 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. यहां एक बात और देखने वाली है कि जीत के बावजूद बीजेपी ने हर बार यहां उम्मीदवार बदला है. इसी तरह कांग्रेस ने भी हर बार प्रत्याशी बदला है.

यह भी पढ़ें: दक्षिण गुजरात की ये सभी सीटें कांग्रेस का अभेद किला है, क्या ढहा पाएगी बीजेपी?

2017 में नरेशभाई पटेल, 2012 में मगनुभाई पटेल और 2007 में खामोशियान पटेल बीजेपी के उम्मीदवार बनकर चुनाव जीते. कांग्रेस ने 2012 में भारतीबेन को चुनावी मैदान में उतारा था, जिन्हें 32 हजार से अधिक वोटों से हार नसीब हुई. हालांकि इस बार बीजेपी ने सीटिंग उम्मीदवार पर ही दांव खेला है. गुजरात चुनाव 2022 में गणदेवी विस सीट से कांग्रेस की ओर से शंकर पटेल और आप पार्टी से पंकज पटेल भी मैदान में है.

कांग्रेस गढ़ वांसदा विस पर गढ़ी हैं बीजेपी की निगाहें
वांसदा जिले की सबसे बड़ी विधानसभा सीट है. यहां 295,850 मतदाता हैं, जिनमें 1 लाख 45 हजार 707 पुरुष और 1 लाख 50 हजार 143 महिला वोटर हैं. वांसदा एक आदिवासी इलाका है. इस तालुका में 90 प्रतिशत जनसंख्या आदिवासी हैं, इसलिए ये एक आरक्षित (ST) सीट है. नवसारी जिले की वांसदा विधानसभा सीट कांग्रेस की गढ़ मानी जाती है. विधानसभा चुनाव 2022 के लिए भाजपा वांसदा सीट को जीतने के लिए जोर लगा रही है. मगर कांग्रेस भी पीछे नहीं है. वो भी अपनी सीट बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है.

जब वांसदा सीट डांग जिले में थी तब भी यह सीट कांग्रेस के पास ही थी. डांग जिले से अलग होकर वांसदा नवसारी जिले में शामिल हो गई. विस सीट अलग होने के बाद पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां के आदिवासियों को हर तरह से लुभाने की कोशिश की लेकिन सीट हासिल न कर सकी.

वांसदा विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, पीने का पानी समेत कई अन्य समस्या है. यह इलाका काफी पिछड़ा है. यहां के रहने वाले आदिवासी जंगल और जमीन को अपना मानते हैं, उन्हीं से गुजर-बसर करते हैं.

यह भी पढ़ें: गुजरात के रण में 182 विधानसभा सीटों पर पहली बार बन रहा त्रिकोणीय मुकाबला!

वर्तमान में कांग्रेस के अनंतभाई पटेल यहां से विधायक हैं. 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चैनाभाई चौधरी ने बीजेपी के नरेशभाई पटेल को 25 हजार वोटों से हराया था. इस बार बीजेपी से पीयुष पटेल और आम आदमी पार्टी से पंकज पटेल चुनावी मैदान में है. हालांकि कांग्रेस ने अभी तक इस सीट पर पार्टी उम्मीदवार नहीं उतारा है लेकिन माना जा रहा है कि अनंतभाई पटेल पर कांग्रेस फिर से एक बार दांव खेल सकती है.

जैसा कि सर्वे में देखा गया कि नवसारी जिले की सभी सीटें सियासी तौर पर कितनी महत्वपूर्ण है. एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है लेकिन अन्य तीन सीटों पर पार्टी बीजेपी का तिलस्म तोड़ने का प्रयास कर रही है. बीजेपी पूरी तरह से सतर्क है. आप आदमी पार्टी की ओर से पंकज पटेल को पार्टी से खड़ किया है. इनके अलाव, AIMIM, टीएमसी, बीटीपी, बसपा सहित अन्य स्थानीय पार्टियां भी चुनाव लड़ रही हैं. कुछ प्रत्याशियों के बिना टिकट निर्दलीय चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. अब ये मुकाबला कितना रोचक हो पाता है, ये देखना रोचक रहने वाला है.

Leave a Reply