गुजरात चुनाव: दक्षिण गुजरात की ये सभी सीटें कांग्रेस का अभेद किला है, क्या ढहा पाएगी बीजेपी?

दक्षिण गुजरात के सियासी संग्राम में कांग्रेस-बीजेपी के बीच चल आ रही जंग के बीच आप की एंट्री ने बिगाड़े समीकरण, एक सीट पर बीजेपी झेल रही है 50 साल का वनवास तो अन्य सीटों पर कांग्रेस की चुनौती बीजेपी के लिए चिंता का सबब, आप पार्टी के सेंध लगाने का भी मंडराया खतरा

gujarat election 2022
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Gujarat Assembly Election. गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी गहमागहमी चरम पर है. हिमाचल प्रदेश में कल शाम से चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा जिसके बाद सभी सियासी दल गुजरात पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करने वाले हैं. ऐसे में पॉलिटॉक्स लगातार गुजरात विधानसभा सीटों के चुनावी गणित का विस्तार से विश्लेषण कर रही है. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे दक्षिण गुजरात की, जिसे दक्कन गुजरात भी कहा जाता है. यूं तो दक्षिण गुजरात एक बड़ा क्षेत्र है जिसके अंतर्गत 5 जिलों की 28 विधानसभाएं आती हैं. इनमें से आधी आरक्षित सीटें हैं. इस क्षेत्र में कांग्रेस का भारी बहुमत है और यहां पार्टी बीजेपी को बराबर टक्कर देती आ रही है. इस क्षेत्र में सूरत सबसे बड़ा जिला है जिसके अंतर्गत 16 विधानसभा सीटें आती हैं. टापी और दंग सबसे छोटे क्षेत्र हैं जिसमें केवल तीन विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से दो पर कांग्रेस का एक छत्र राज है जबकि एक पर जनता को परिवर्तन भाता है. यानी इस सीट पर एक बार कांग्रेस उम्मीदवार विजयश्री हासिल करता है तो दूसरी बार बीजेपी प्रत्याशी.

आज हम टापी और डंग क्षेत्र की इन्हीं तीनों विधानसभा सीटों पर सियासी गणित की चर्चा करेंगे. टापी में दो विधानसभा क्षेत्र आते हैं:- व्यारा और निजार. दोनों एसटी सीटें हैं. इन क्षेत्र में वोटर्स की संख्या 4 लाख 98 हजार 897 है. वहीं डंग में एक लाख 88 हजार 585 मतदाता हैं. विस्तृत में इन दोनों जिलों की तीनों विधानसभा सीटों की चर्चा करते हैं.

  • व्यारा विधानसभा में 50 सालों से वनवास झेल रही है बीजेपी

टापी जिले की व्यारा विधानसभा सीट एक आदिवासी (ST) आरक्षित सीट है. यहां दो लाख 20 हजार 873 वोटर्स हैं. यहां कांग्रेस का एक छत्र राज चलता है. 1972 में अस्तित्व में आई व्यारा विस सीट पर बीजेपी 50 साल बाद भी अपना कब्जा नहीं जमा पाई है. यहां दो बार को छोड़कर हर बार कांग्रेस के उम्मीदवार विजयश्री हासिल करते आ रहे हैं. 1990 में अमरसिंह जेड चौधरी और 1995 में प्रतापभाई बाबुभाई गमित ने कांग्रेस प्रत्याशी को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया. हालांकि ये दोनों उम्मीदवार निर्दलीय थे.

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वर्तमान में पूना गमित यहां के कांग्रेस विधायक हैं. 2017 के विस चुनावों में पूना गमित ने बीजेपी के अरविंद भाई चौधरी को साढ़े चौदह हजार वोटों से हराया था. कांग्रेस प्रत्याशी को 55.03 प्रतिशत और बीजेपी उम्मीदवार को 39.86 फीसदी वोट मिले. 2012 के विस चुनाव में पूनाभाई गमित ने बीजेपी के प्रतापभाई गमित को 13 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया. एक ओर, जहां पूना गमित को फिर से टिकट दिए जाने की चर्चा है. वे यहां कांग्रेस के गढ़ को अजेय बनाए रखने के लिए भरसक प्रयास कर रही हैं. वहीं, बीजेपी जीत का खाता खोलने के बारे में सोच रही है. मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए आम आदमी पार्टी ने बिपिन चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया है.

  • निजार विधानसभा पर हर 5 साल में परिवर्तन का ट्रेंड

टापी जिले की दूसरी विधानसभा सीट है निजार. यह एक आदिवासी (ST) सीट है जो आरक्षित है. यह टापी और डंग जिले की सबसे बड़ी विधानसभा सीट है जिसमें वोटर्स की संख्या 2 लाख 78 हजार 24 है. इस सीट पर परिवर्तन वोटर्स को भाता है. यहां एक बार बीजेपी तो दूसरी बार कांग्रेस उम्मीदवार जीतकर गुजरात विधानसभा में पहुंचा है. वर्तमान में कांग्रेस से आने वाले सुनिल गमित यहां के विधायक हैं. सुनिल गमित ने 2017 के विस चुनाव में बीजेपी के निवर्तमान विधायक कांतिभाई गमित को 23 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया. कांग्रेस प्रत्याशी को 51.70 फीसदी और बीजेपी उम्मीदवार को 40.45 फीसदी मत मिले.

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2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कांतिभाई गमित ने कांग्रेस के निवर्तमान विधायक परेशभाई वसवा को हराया. हार का अंतर 10 हजार वोटों से अधिक का रहा. वहीं 2007 के विस चुनावों में परेशभाई वसवा बीजेपी उम्मीदवार को हराकर सदन में पहुंचे. इस बार भी इतिहास फिर से एक बार दोहराया जा सकता है. यहां आप पार्टी ने अरविंद गमित को चुनावी मैदान में उतारा है. अन्य दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों की घोषणा अभी बाकी है.

  • डांग विधानसभा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर

जिले की यह सीट अन्य दोनों विधानसभा सीटों में सबसे छोटी है. इस आरक्षित (ST) सीट पर एक लाख 88 हजार 585 मतदाता पार्टी उम्मीदवार के भाग्य का फैसला करेंगे. वैसे तो ये कांग्रेस का गढ़ है लेकिन 2020 में हुए उप चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस के किले को भेदते हुए डांग सीट पर कब्जा जमा लिया. वर्तमान में बीजेपी के विजयभाई रमेशभाई पटेल यहां से विधायक हैं.

2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मांगलभाई गवित ने बीजेपी के विजयभाई पटेल को 768 वोटों के मामूली अंतर से हराया था. आईएनडी के दिनेशभाई पवार तीसरे नंबर पर रहे. उन्हें केवल 3035 वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई. इस सीट पर 2020 में हुए उप चुनाव में विजयभाई पटेल ने एक तरफा मुकाबले में कांग्रेस के सूर्यकांतभाई रतनभाई गवित को 60 हजार वोटों के भारी अंतर से हराया.

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2017 की तरह 2012 में भी मुकाबला कांग्रेस के मांगलभाई गवित और बीजेपी के विजयभाई गवित के बीच हुआ. यहां मांगलभाई गवित ने बीजेपी के विजयभाई को 2422 वोटों के नजदीकी अंतर से हराया. यहां कांग्रेस एक बार फिर अपने किले को फतेह करना चाहेगी, जबकि बीजेपी के पास इसे बचाने की चुनौती होगी. दोनों पार्टियों के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए आप पार्टी ने इस सीट पर सुमित गमित पर दांव खेला है.

​दक्षिण गुजरात की टापी और डंग जिले की तीनों विधानसभा सीटें राजनीति समीकरण के हिसाब से काफी खास है. यहां आदिवासी आबादी का बोलबाला है. पिछले गुजरात विस चुनावों में कांग्रेस ने 60 फीसदी से अधिक सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया था, जिसके चलते भाजपा 100 सीटों का आंकड़ा भी नहीं छू पाई थी. हालांकि इस बार कांग्रेस इतनी मजबूत नहीं नजर आ रही है लेकिन उसके अभेद किले में सेंध लगाना बीजेपी के लिए आसान भी नहीं होगा. आम आदमी पार्टी से भी किसी बड़े उलटफेर की उम्मीद लगाना गलत न होगा.

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