इस लोकसभा चुनाव ने मायावती समेत बसपा की भी तस्वीर को बदल कर रख दिया. अमूमन ‘मतलब भर’ बात करने वाली मायावती ने इस चुनाव में न सिर्फ सोशल मीडिया में एंट्री की बल्कि लगातार उस पर एक्टिव भी रहीं. इसी चुनाव में मायावती ने अपनी पार्टी में एक उभरते नेता की एंट्री भी करवाई जो उनके भतीजे आकाश आनंद हैं. कहा जाता है कि आकाश बसपा के उत्तराधिकारी भी हैं. राजनैतिक मजबूरियों के लिए ही सही लेकिन चिरप्रतिद्वंदी रही सपा के साथ गठबंधन कर ‘जय भीम और जय भारत’ का मंच से नारा देने वाली मायावती ने इसी चुनाव में ‘जय लोहिया’ को भी सराहा. इस बदले हुए रूप के बावजूद मायावती की सख्ती अभी भी बरकरार है. चाहे नेताओं पर व्यक्तिगत हमले की बात हो या अपने ही गठबंधन में सपाईयों को खुले आम बसपाईयों से सीख लेने की नसीहत.
इस चुनाव में मायावती ने सोशल मीडिया का बखूबी इस्तेमाल किया. बसपा सुप्रीमो पहले या तो मीडिया के माध्यम से या फिर रैलियों के माध्यम से ही जनता से रूबरू होती थीं लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. चुनाव की घोषणा से चंद रोज पहले ही मायावती ने ट्विटर के माध्यम से सोशल मीडिया में एंट्री की. उसके बाद से उनके लगातार ट्वीट आने लगे और फॉलोअर्स की संख्या बढ़ने लगी. मायावती के चंद महीनों में ही 2 लाख 68 हजार फॉलोअर्स की संख्या पहुंच गई. मायावती ने ट्विटर का सहारा लेकर ही अपने वोटर्स तक पहुंचने की कोशिश की. हर मतदान वाले दिन मायावती ने सोशल मीडिया के माध्यम से ही लोगों से वोट की अपील की. मायावती ने सोशल मीडिया के माध्यम से भाजपा और कांग्रेस पर हमले भी किए.
इस चुनाव से पहले मायावती के साथ कई बार नीले सूट बूट में युवा शख्स दिखा. जब पड़ताल की गई तो पता चला कि यह मायावती के भाई आनंद का बेटा आकाश है. विदेश से पढ़ाई करके इंडिया वापस आया है. जब मीडिया में आकाश को लेकर खबरें छपीं तो मायावती को उसके बारे में सफाई देनी पड़ी. हालांकि 14 अप्रैल को बदायूं में आयोजित महागठबंधन की एक रैली में मायावती को कहना पड़ा कि मंच पर मेरे भाई का लड़का आकाश आनंद बैठा है. इसको अब राजनीति में जरूर लाना चाहिए. मायावती की बदायूं रैली में इसकी घोषणा के साथ बसपा समेत अन्य राजैनतिक गलियारों में आकाश को बसपा के उत्तराधिकारी के रूप में देखे जाने की चर्चा होने लगी.
मायावती को बहुत ही सख्त नेता के रूप में जाना जाता है. इस चुनाव में भी मायावती ने वही सख्ती बरकरार रखी. मायावती ने पूरे चुनाव भर खुलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को निशाने पर रखा. मायावती ने प्रधानमंत्री मोदी की पत्नी को लेकर भी खुलकर व्यक्तिगत आरोप लगाए. वहीं पूरे चुनाव में भाजपा नेता अमित शाह को पीएम मोदी को ‘चेला’ कहकर ही संबोधित किया. चुनाव के आखिरी चरण के अंतिम तीन दिन तो मायावती ने अपनी रैलियो में जाने से सबसे पहले मोदी और शाह को निशाने पर लेती रहीं. फिर वह रैलियों में निकली. इसके अलावा 21 अप्रैल को फिरोजाबाद की एक रैली में मायावती ने सपाईयों को बसपाईयों से सीख लेने की बात कहते हुए डांट दिया था.
राजनैतिक मजबूरी ही सही लेकिन सपा और बसपा का गठबंधन जब हुआ तो सभी समीकरण दोनों पार्टियों ने साधने की पूरी कोशिश की. दोनों राजनैतिक पार्टियों की चिर प्रतिद्वंदिता के बावजूद भी भी मायावती और मुलायम सिंह ने 19 अप्रैल को मैनपुरी में एक मंच साझा किया. मंच ही नहीं साझा किया इस रैली के समापन पर मायावती ने अपने ‘जय भीम जय भारत’ के अलावा ‘जय लोहिया’ का नारा भी लगाया. यह नहीं इसी मैनपुरी की रैली में मुलायम सिंह यादव ने अपने समर्थकों से भी मायावती के पैर छुआए. इससे पहले मुलायम सिंह की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने सार्वजनिक मंच पर मायावती के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था.