पिछली गहलोत सरकार में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को भीलवाड़ा संसदीय क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा जा चुका है. इस सीट पर पहले ही दामोदर गुर्जर के नाम का ऐलान हो चुका था, लेकिन कांग्रेस की देर रात जारी लिस्ट में दो चौंकाने वाले नाम देखने को मिले. सीपी जोशी को भीलवाड़ा से चुनावी मैदान में उतारा गया है जबकि कांग्रेस उम्मीदवार दामोदर गुर्जर को राजसमंद से चुनावी जंग लड़ाई जा रही है. पहले आम चुनाव लड़ने से मना करने के बाद आनन-फानन में भीलवाड़ा से चुनाव लड़ाने के पीछे कई सारे कयास लगाए जा रहे हैं.
राजस्थान की कपड़ा नगरी भीलवाड़ा से सीपी जोशी को चुनावी मैदान में उतारे की सबसे बड़ी वजह है ब्राह्मणों की नाराजगी. बाड़मेर-जैसलमेर को छोड़कर कांग्रेस ने सभी 22 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. नागौर और सीकर सीट को क्रमश: रालोपा और सीपीआई के साथ गठबंधन के तहत छोड़ी गयी है. इन सभी 24 सीटों पर कांग्रेस या गठबंधन ने किसी भी ब्राह्मण उममीदवार को मौका नहीं दिया है. इससे कांग्रेस के प्रति ब्राह्मणों की नाराजगी फिर से सामने आयी. ब्राह्मणों की नाराजगी से संभावित डैमेज को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही कांग्रेस को सीपी जोशी से बेहतर कोई प्रत्याशी शायद न मिलता. फिलहाल भीलवाड़ा से बीजेपी की ओर से उम्मीदवार का ऐलान नहीं हुआ है.
बीजेपी भीलवाड़ा से बढ़त पर है और लगातार दो बार से यहां बीजेपी के सांसद भी हैं. एक ओर बीजेपी यहां से जीत की हैट्रिक लगाने की फिराक में है तो कांग्रेस अब सीपी जोशी के सहारे बीजेपी का विजय रथ थामने की तैयारी में जी जान से जुटी है. 2014 और 2019 में भारतीय जनता पार्टी के सुभाष बहेरिया यहां से सांसद बने. 1996 में भी सुभाष बहेरिया यहां से सांसद चुने गए थे. एक दशक पहले 2009 के आम चुनाव में सीपी जोशी ने ही कांग्रेस को यहां से जीत दिलाई थी. यही वजह है कि जोशी को फिर से एक बार यहां से मौका दिया गया है.
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सामाजिक तानेबाने की बात करें तो 2019 के संसदीय चुनाव के अनुसार, सामान्य श्रेणी की इस सीट पर कुल 18,99,813 वोटर्स हैं. अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 3,05,870 है. अनुसूचित जनजाति के मतदाता 1,25,388 तो मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 1,64,644 है. यहां के 82 फीसदी यानी 15,65,446 मतदाता ग्रामीण वोटर्स हैं जबकि शेष 3,34,367 यानी 18 फीसदी वोटर शहरी हैं. पिछले साल यहां 64.5 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.
देश और प्रदेश में बीजेपी की सरकार होने के चलते भीलवाड़ा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का पलड़ा भारी लग रहा है. अगर बीजेपी कोई एक्सपेरिमेंट न करना चाहे तो सुभाष बहेरिया को लगातार तीसरी बार यहां से उतारा जा सकता है. हालांकि पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में जोशी अपनी ही नाथद्वारा सीट से हार का स्वाद चख चुके हैं. इसके बावजूद सीपी जोशी को कम आंकना बीजेपी की भूल हो सकती है. इस सीट पर सीपी जोशी बनाम बीजेपी उम्मीदवार का मुकाबला रोचक रहने वाला है.