manmohan singh biography in hindi
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Manmohan Singh Latest News – मनमोहन सिंह देश यूपीए -1 और यूपीए -2 दोनों ही कार्यकालों में 10 वर्षो तक लगातार भारत के प्रधानमंत्री (2004-14) रहे. उन्होंने 1991 वित्त मंत्री रहते भारत में उदारीकरण की शुरुआत की थी. उदारीकरण के साथ ही अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के रास्ते आ रही कई बाधाएं हट गई, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई और बाहरी निवेश का आगमन भी होने लगा. इसके परिणाम अच्छे रहे. मनमोहन सिंह एक अर्थशास्त्री भी थे और वह राज्यसभा सांसद भी रह चुके थे. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की 92 वर्ष की आयु में 26 दिसंबर 2024 को दिल्ली के एम्स में मृत्यु (manmohan singh death) हो गई.  इस लेख में हम आपको पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की जीवनी (Manmohan Singh Biography in Hindi) के बारें में जानकारी देने वाले है.

डॉ.मनमोहन सिंह की जीवनी (Manmohan Singh Biography in Hindi)

पूरा नाम डॉ.मनमोहन सिंह
उम्र 92 साल (manmohan singh age)
जन्म तारीख 26 सितंबर,1932
जन्म स्थान गाह, पंजाब प्रांत, ब्रिटिश भारत
निधन की तारीख 26 दिसंबर 2024 (manmohan singh death date)
निधन का कारण लंबे समय से बीमार (dr.manmohan singh passed away)
निधन का स्थान दिल्ली AIIMS
शिक्षा पीएचडी
कॉलेज कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
व्यवसाय अर्थशास्त्री, शिक्षाविद, नौकरशाह, राजनीतिज्ञ
राजनीतिक दल कांग्रेस
वैवाहिक स्थिति विवाहित
पिता का नाम गुरुमुख सिंह
माता का नाम अमृत कौर
पत्नी का नाम गुरशरण कौर
बच्चे तीन बेटियां
बेटें का नाम
बेटी का नाम
स्थाई पता दिल्ली
वर्तमान पता दिल्ली
फोन नंबर
ईमेल

डॉ.मनमोहन सिंह का जन्म और परिवार (Manmohan Singh Birth & Family)

मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर,1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था. मनमोहन सिंह के पिता का नाम गुरुमुख सिंह था. मनमोहन सिंह की माँ का नाम अमृत कौर था. मनमोहन सिंह की पत्नी (manmohan singh wife) का नाम गुरशरण कौर था. उनकी तीन बेटियां (manmohan singh daughter) है. मनमोहन सिंह पंजाबी थे. वह खत्री जाति से थे.

डॉ.मनमोहन सिंह की शिक्षा (Manmohan Singh Education)

मनमोहन सिंह की 10 वर्ष तक की प्रारंभिक स्कूली शिक्षा उर्दू माध्यम वाले स्कूल से हुई थी. बाद की उनकी शिक्षा पेशावर के एक उच्च प्राथमिक विद्यालय से हुई. बाद में विभाजन का दौर जब चला तब मनमोहन सिंह का परिवार पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत चला आया. परिवार अमृतसर में आकर बस गया. भारत आकर मनमोहन सिंह ने हिंदू कॉलेज, अमृतसर में अध्ययन किया. फिर उन्होंने पंजाब के विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले होशियारपुर के कॉलेज से 1952 में अर्थशास्त्र में बीए किया और फिर बाद में 1954 में एमए किया. इसके बाद मनमोहन सिंह आगे की पढ़ाई के लिए विदेश चले गए और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सेंट जॉन्स कॉलेज से 1957 में अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट (पीएचडी) की.

डॉ.मनमोहन सिंह का शुरूआती जीवन (Manmohan Singh Early Life)

मनमोहन सिंह का शुरूआती जीवन राजनीतिक पृष्ठभूमि से दूर शिक्षा के क्षेत्र में बीता था. मनमोहन सिंह कैम्ब्रिज से पढाई करके जब भारत लौट कर आये तब उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर (1957-59) की नौकरी कर ली. इसके बाद वह 1960 में फिर से वापस ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय गए और नेफ़ील्ड कॉलेज से डी फिल किया. इयान लिटिल की देखरेख में मनमोहन सिंह की 1962 की डॉक्टरेट थीसिस का शीर्षक था ‘भारत का निर्यात प्रदर्शन और निर्यात संभावनाएँ’. उनकी यही थीसिस बाद में चलकर उनकी पुस्तक “भारत के निर्यात रुझान और स्व-संचालित विकास की संभावनाएँ” का आधार बनी.

मनमोहन सिंह ने 1959 और 1963 के मध्य पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र में रीडर के रूप में भी काम किया था. इसके बाद वह वर्ष 1963 से 1965 तक पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर भी रहे थे. बाद में वह वर्ष 1966 से लेकर वर्ष 1969 तक व्यापार व विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के लिए काम करने अमरीका चले गए. इसी के बाद उन्हें ललित नारायण मिश्रा के द्वारा विदेश व्यापार मंत्रालय के सलाहकार के तौर पर नियुक्त कर लिया गया.

कम लोगो को मालूम है कि मनमोहन सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय में भी कुछ समय अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर रहे थे. वह वर्ष 1969 से लेकर वर्ष 1971 तक दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स’ में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रोफेसर थे.

मनमोहन सिंह को कांग्रेस के शासन में जबर्दस्त सहयोग मिला और उन्हें 1972 में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बना दिया गया जबकि कांग्रेस के बाद दूसरी सरकार आने पर उनका पद सुरक्षित रहा और उन्हें 1976 में वित्त मंत्रालय में सचिव बना दिया गया. उस समय भारत में पंचवर्षीय योजना वाली परंपरा चला करती थी. मनमोहन सिंह आयोग के सदस्य (1980-1982) भी रह चुके थे.

मनमोहन सिंह के लिए 1982 का वर्ष बहुत महत्वपूर्ण था क्योकि इसी वर्ष कांग्रेस के वित्त मंत्री रहे प्रणव मुखर्जी के समय उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक का गवर्नर बना दिया  गया. मनमोहन सिंह इस पद पर तीन वर्ष तक रहे. वह 1982 से 85 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर थे. इसी के बाद उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बना दिया गया. इस पद पर वह 1985 से 87 तक रह चुके थे. इसके बाद मनमोहन सिंह 1987 से लेकर 1990 तक स्विट्जरलैंड के जिनेवा एक स्वतंत्र आर्थिक नीति थिंक टैंक साउथ कमीशन में महासचिव के पद पर आसीन थे.

जब केंद्र में चंद्रशेखर की सरकार आयी और मनमोहन सिंह वापस भारत आये तब उन्हें प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बना दिया था. इसी के बाद वह 1991 में अल्प समय के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के पद पर रहे थे.

डॉ.मनमोहन सिंह का राजनीतिक करियर (Manmohan Singh Political Career)

मनमोहन सिंह की राजनीतिक यात्रा वर्ष 1991 से शुरू हुई थी. इसी वर्ष उन्हें भारत का वित्त मंत्री बना दिया गया. उन्होंने परमिट राज को ख़त्म किया और एक उदारवादी अर्थव्यवस्था की सूत्रपात की. उस समय भारत आजादी के बाद के सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा था. भारत में आये उदारीकरण से निजी क्षेत्रो की भागीदारी से मुद्रा के  प्रवाह में बेतहासा वृद्धि हुई जिससे भारत उस बुरे दौर से बाहर आ पाया.

मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री रहते यह सबसे बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है कि उन्होंने भारत की समाजवादी अर्थव्यवस्था में सुधार करके मिश्रित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जो भारत के लिए वरदान साबित हुआ.

इसके बाद जब 2004 का आम चुनाव हुआ तब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की पराजय हो गई पर बहुमत किसी भी पार्टी को नहीं मिली. उस चुनाव में अटल बिहारी बाजपेयी ने इंडिया साइन का नारा दिया था पर वह पूरी तरह से नाकाम रहे. अब जब किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिली थी तब कांग्रेस ने कुछ पार्टियों के साथ मिलकर ‘संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन’ (यूपीए) का गठन किया और सबको चौकाते हुए कांग्रेस ने मनमोहन सिंह को यूपीए का नेता घोषित कर दिया. इसी के बाद मनमोहन सिंह पहली बार वर्ष 2004 में भारत का प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद उन्होंने अपना पांच वर्षो का कार्यकाल को पूरा किया और इस तरह वह 2004 से लेकर 2009 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे.

उसके बाद जब 2009 में फिर से आम चुनाव हुए तब फिर से यूपीए का शासन लौट आया और मनमोहन सिंह एक बार फिर भारत के प्रधानमंत्री बनाये गए. वह यूपीए -2 में भी भारत के प्रधानमंत्री रहे थे. यूपीए -2 का शासन 2014 तक रहा. इस तरह मनमोहन सिंह यूपीए -1 और यूपीए -2 दोनों ही कार्यकालों में 10 वर्षो तक लगातार भारत के प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहे.

इस लेख में हमने आपको पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की जीवनी (Manmohan Singh Biography in Hindi) के बारे में जानकारी दी है. अगर आपका कोई सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं.

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