Politalks.News/RajasthanAseembly. राजस्थान की 15 वीं विधानसभा (Rajasthan Assembly) का सातवां सत्र सोमवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया. बजट सत्र (Budget Session) के रूप में चले विधानसभा के सप्तम सत्र में लंबे समय बाद किसी वार्षिक प्रतिवेदन पर चर्चा हुई. वहीं विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी (C.P. Joshi) ने बजट सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करते हुए कहा कि इस सत्र में 9 फरवरी से 28 मार्च तक कुल 25 बैठकें में हुई हैं. जिनमें 171 घंटे और 19 मिनट विधानसभा की कार्यवाही चली है. जोशी ने बताया की विधानसभा के इस बजट सत्र में कुल 8,336 प्रश्न प्राप्त हुए जिनमें से 3,785 तारांकित और 4,547 अतारांकित प्रश्न थे. वहीं आज इंदिरा गांधी नहर योजना के वार्षिक प्रतिवेदन पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस (Congress) विधायक दिव्या मदेरणा (Divya Maderna) ने जहां आईजीएनपी नहर परियोजना को लेकर मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया, तो वहीं एक बार फिर अपनी ही सरकार में पीएचडी मंत्री महेश जोशी (Mahesh Joshi) पर जमकर निशाना साधा. इसके साथ ही मदेरणा ने पूर्व में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ (Rajendra Rathore) के गधों की संख्या को लेकर दिए गए बयान पर पलटवार भी किया.
आपको बता दें, हाल ही में सत्र में पीएचइडी की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान दिव्या मदेरणा ने मंत्री महेश जोशी को रबड़ स्टैंप बताते हुए कहा था कि मंत्री शहर से आते हैं और उन्हें रेगिस्तानी इलाकों की परेशानी का कोई अंदाजा नहीं है. आज मदेरणा ने कहा कि 21 से 28 मई तक जो क्लोजर होता है, उसमें पीएचडी का भी रोल होता है और रोक कर डिग्गी और भंडारण का काम करती है. लेकिन क्या पीएचडी यह काम कर पा रहा है?
विधायक दिव्या मदेरणा ने महेश जोशी पर निशाना साधते हुए कहा कि मैंने कल एक कटिंग देखी, जिसमें लिखा था कि दौसा के किसी चीफ इंजीनियर को इस मामले में हेड बनाने की बात चल रही है. जबकि उसकी भ्रष्टाचार की फाइल लंबित है और मंत्री महोदय ने उसकी चार्जशीट की फाइल पर साइन भी नहीं किए. पीएचडी का मैनेजमेंट जिस काम में इन्वाल्व है, अगर क्लोजर में ऐसे अधिकारी लगाए जाएंगे तो कैसे काम होगा? इसके साथ ही मदेरणा ने यह भी कहा कि पीएचईडी ने ट्यूबवेल को लेकर अब तक कुछ किया नहीं, अप्रैल-मई में जब पानी के लिए हाहाकार होगा, तब क्या करेंगे?
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वहीं हाल ही में कुछ दिन पहले उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि जहां-जहां कांग्रेस सिकुड़ती गई, वहां गधों की संख्या कम होती जा रही है. राठौड़ के इस बयान के जवाब में आज दिव्या मदेरणा ने पलटवार करते हुए कहा कि मैनेजमेंट इन फिनोटिक्स कैरक्टराइजेशन ऑफ डंकी इन राजस्थान की रिपोर्ट में सरदारशहर, चूरू, राजगढ़, सीकर, रतनगढ़ और झुंझुनू में गधों की स्थिति बताई गई है. स्टडी में यह देखा गया कि चूरू में केवल 965 गधे बचे हैं. जबकि वेस्टर्न राजस्थान में अब भी गधे ज्यादा हैं. बाड़मेर में 2659, बीकानेर में 1800 और जैसलमेर में 5000 हैं. ऐसे में मुझे आश्चर्य हुआ की उप नेता प्रतिपक्ष की नाक के नीचे से पहले तो सिंचाई का इतना बड़ा क्षेत्र आईजीएनपी से घट गया और गधे जो माल ढुलाई का काम कर रहे थे, उनकी संख्या भी घट गई है.