Politalks.News/YashwantSinha. 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए दोनों उम्मीदवारों ने प्रचार की शुरुआत कर दी है. शुक्रवार को जहां NDA की तरफ से राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू हिमाचल प्रदेश के दौरे पर रही तो वहीं विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा छत्तीसगढ़ के दौरे पर रहे. ये दोनों ही उम्मीदवार अपने अपने प्रचार में जुटे हैं और प्रदेश के सत्ताधारी एवं विपक्षी दलों के नेताओं विधायकों से अपने पक्ष में वोट देने की अपील की. बात करें विपक्षी दल के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की तो आज उन्होंने रायपुर के एक होटल में मीडिया से बात की. इस मौके पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और सूबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी साथ रहे. पत्रकारों से बात करते हुए सिन्हा ने कहा कि, ‘मेरा मानना है कि आज देश में जो हालात हैं उसे देखते हुए हमें खामोश राष्ट्रपति नहीं चाहिए. ऐसे भी लोग इस पद पर आए जिन्होंने इसकी शोभा बढ़ाई है लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि जो राष्ट्रपति पद पर जाए वो अपने संवैधानिक दायित्वों को निभाए.’
चुनाव प्रचार के लिए छत्तीसगढ़ के रायपुर पहुंचे विपक्ष दल के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने खुलकर पत्रकारों से बात की. पत्रकार वार्ता के दौरान यशवंत सिन्हा ने कहा कि, ‘छत्तीसगढ़ से मेरा बहुत पुराना और गहरा संबंध है. आज से करीब 60 साल पहले जब मैं यहां भिलाई आया था, यहां मेरी शादी हुई थी तो इसलिए बराबर छत्तीसगढ़ से मैं विशेष लगाव महसूस करता हूं और मुझे आनंद आता है. राष्ट्रपति का पद गरिमा का पद है, अच्छा तो ये होता कि इस पद के लिए चुनाव नहीं होते. सर्व सम्मति से सत्ता पक्ष और विपक्ष मिलकर किसी को तय कर देते, और सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुना जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.’ पत्रकार वार्ता के दौरान यशवंत सिन्हा ने एक बड़ा खुलासा भी किया.
यशवंत सिन्हा ने कहा कि, ‘राष्ट्रपति पद के लिए केंद्र सरकार ने भी मुझसे संपर्क किया था. हालाँकि ये मात्र औपचारिकता थी. केंद्र सरकार के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुझे फोन किया था और कहा कि एक राय होनी चाहिए. मगर इसके बाद उन्होंने पहल नहीं की. फिर केंद्र के जो विपक्षी दल हैं उनकी मीटिंग्स हुईं, अंतत: मुझसे पूछा कि क्या मैं साझा उम्मीदवार बनूंगा, मैंने हां कह दी और कुछ देर बाद केंद्र ने अपने उम्मीदवार का एलान कर दिया.’ इस दौरान सिन्हा ने भाजपा नेताओं को भी अपना संदेश पहुंचाया और कहा कि, ‘मुझे जाे भी दल समर्थन दे रहे हैं मैं सभी का आभारी हूं. उसके अलावा भाजपा के जो हमारे मित्र हैं, जो पुराने साथी हैं उन्हें अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए, लकीर का फकीर न बनें. ये लड़ाई विचारधारा की है संवैधानिक मूल्यों को बचाने और उसे नष्ट करने वालों के बीच की है.’
पत्रकार वार्ता के दौरान यशवंत सिन्हा ने कहा कि, ‘आज देश में जो हालात हैं उसे देखते हुए मुझे लगता है कि देश को खामोश राष्ट्रपति नहीं चाहिए. ऐसे भी लोग इस पद पर आए जिन्होंने इस पद की शोभा बढ़ाई है. मेरा मानना है कि जो भी राष्ट्रपति पद पर जाए वो अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करें. राष्ट्रपति का एक अधिकार जो ये है कि वो सरकार को मशवरा दे सकता है लेकिन अगर वो पीएम के हाथ की कठपुतली होंगे तो ऐसा नहीं करेंगे. इसलिए अगर मैं इस चुनाव में हूं तो इस आशा और विश्वास के साथ मैं ये जिम्मा निभाउंगा. इसमें सरकार से टकराव की बात नहीं है, लेकिन सलाह-मशवरा हो सकता है.’ वहीं देश के कई विपक्षी नेताओं पर चल रही ED की कार्रवाई को लेकर भी यशवंत सिन्हा ने अपनी राय रखी.
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सिन्हा ने कहा कि, ‘जब हम सरकार में होते हमारे दिल में कभी दूर-दूर तक ये ख्याल भी नहीं आया कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ ईडी का इस्तेमाल करूं. आज सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का नंगा नाच हो रहा है इससे निकृष्ट काम दूसरा कोई नहीं हो सकता है. कुछ लोग पहले मेरे समर्थन में थे पर अब जो नहीं दिखाई दे रहे शायद उसका कारण भी यही है.’ वहीं मीडिया ने लाल कृष्ण आडवाणी से समर्थन मांगने का सवाल पूछा तो सिन्हा ने कहा कि, ‘आडवाणी जी वयोवृद्ध है और अभी बीमारी के दौर में किसी से नहीं मिल रहे हैं. उनकी बेटी से बात हुई है फोन पर.’ वहीं धारा 124 पर सिन्हा बोले कि, ‘मेरा मानना है कि इसे हमारी कानून व्यवस्था का अंग नहीं होना चाहिए . सरकार का ये काम है राष्ट्रपति का नहीं मैं सिर्फ मशवरा दे सकता हूं राष्ट्रपति बनने के बाद. मेरी प्रथमिकता संविधान में जो सही है उसमें रहेगी.