Politalks.News/PresidentElection. देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के चुनाव के लिए भाजपा द्वारा खेला गया दलित आदिवासी वाले दांव का सार्थक परिणाम नजर आने लगा है. बता दें, एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थक दलों की संख्या बढ़ती जा रही है. द्रौपदी के नाम का ऐलान होने के बाद से विभिन्न गैर राजग दलों ने उन्हें अपना समर्थन दिया है. शुक्रवार को ही शिरोमणि अकाली दल ने मुर्मू को अपने समर्थन का ऐलान किया है. इसी बीच विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का सबसे पहले प्रस्तावक और समर्थन करने वाली टीएमसी की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू को लेकर अहम टिप्पणी की है. बनर्जी ने कहा कि यदि एनडीए की ओर से पहले ही द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी के बारे में बता दिया जाता तो हम भी राजी हो जाते और सर्वसम्मति से उन्हें चुना जा सकता था. यही नहीं ममता बनर्जी ने द्रौपदी मुर्मू की जीत की संभावनाएं ज्यादा होने की बात भी स्वीकार की. तो वहीं ममता के इस बयान पर कांग्रेस की नाराजगी भरी तल्ख टिप्पणी भी सामने आई है.
सबसे पहले आपको बताते हैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने क्या कहा, बनर्जी ने कहा कि, ‘यदि हमें पता होता कि वे आदिवासी महिला या फिर अल्पसंख्यक समुदाय के किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाना चाहते हैं तो फिर हम भी विचार करते. हमारे मन में आदिवासी समुदाय के लोगों के प्रति बहुत सम्मान है और वह तो फिर एक महिला भी हैं.’ बनर्जी ने आगे कहा, ‘भाजपा ने हमारा सुझाव तो लिया था, लेकिन अपने कैंडिडेट के बारे में कुछ नहीं बताया था.’ ममता बनर्जी ने आगे कहा कि हमारा 16 से 17 पार्टियों का गठबंधन है और हम अकेले ही पीछे नहीं हट सकते हैं और भी लोग हैं. यहां फिर आपको बता दें कि टीएमसी से ही इस्तीफा देने वाले यशवंत सिन्हा को विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया गया है. वहीं अब ममता बनर्जी की टिप्पणी पर कांग्रेस का भी रिएक्शन आया है.
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मोदी के दबाव में आ गई होंगी दीदी- कांग्रेस
ममता बनर्जी के बयान पर पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के बड़े लीडर अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हो सकता है कि उन पर भाजपा की ओर से दबाव हो. अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि, ‘ममता बनर्जी ने ही अपने फैसले पर सभी से सहमत होने को कहा था. यशवंत सिन्हा का नाम भी उन्होंने ही सुझाया था. अब वह अपनी जिम्मेदारी से ही भाग रही हैं.’ चौधरी ने कहा कि अब ममता बनर्जी यूटर्न लेती हैं तो इसका मतलब होगा कि भाजपा से उन्हें कॉल आया है. उन पर पीएम नरेंद्र मोदी का दबाव होगा. आखिर उनके पीएम नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे रिश्ते भी हैं. चौधरी ने कहा कि हमारे लिए तो भाजपा का मुकाबला करना सिद्धांतों की लड़ाई है.
यहां आपको बता दें कि टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ही राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों के उम्मीदवार के चयन में सबसे ज्यादा ऐक्टिव थीं. दिल्ली में बनर्जी की तरफ से ही विपक्षी दलों की मीटिंग बुलाई गई थी. उनकी पार्टी की ओर से ही यशवंत सिन्हा के नाम का प्रस्ताव दिया गया था, जिस पर कांग्रेस, एनसीपी, सपा समेत सभी विपक्षी दलों ने सहमति जाहिर की थी. बता दें कि इससे पहले फारूक अब्दुल्ला, शरद पवार, गोपाल कृष्ण गांधी को चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उन तीनों ने ही यह चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था.
गौरतलब है कि राष्ट्रपति पद के लिए मुर्मू के नाम ऐलान के बाद से ही विभिन्न गैर राजग दल उन्हें समर्थन देने लगे हैं. ओडिशा से बीजेडी और आंध्र प्रदेश से वाईएसआर कांग्रेस ने पहले ही मुर्मू को समर्थन का ऐलान कर दिया था. ओडिशा के सीएम और बीजेडी के मुखिया नवीन पटनायक ने अपने सभी विधायकों से कहा था कि वह पार्टी लाइन से इतर हटकर मुर्मू को अपना समर्थन दें. सिर्फ इतना ही नहीं, नवीन पटनायक ने उन्हें राज्य की बेटी कहकर भी संबोधित किया था
यहां आपको बता दें कि द्रोपदी मुर्मू मूलरूप से ओडिशा की ही रहने वाली हैं. राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन करने के बाद से द्रौपदी मुर्मू निजी स्तर पर ही विभिन्न राजनीतिक दलों से संपर्क करना शुरू कर दिया है. अभी तक मुर्मू का समर्थन करने वालों में जनता दल (एस), जतना दल (यू), बसपा, लोजपा भी उनके पक्ष में आ चुके हैं. सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) भी मुर्मू के समर्थन में है. सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने भी इस बात का ऐलान कर चुके हैं. वहीं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी बीते दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर अपने समर्थन की बात कह चुके हैं.