Bihar Politics: एक हफ्ते पहले बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार ने ‘खेला’ करते हुए अचानक से राजद और कांग्रेस का साथ छोड़ते हुए बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. मुख्यमंत्री एक ही रहा लेकिन सरकार बदल गयी. अब बिहार में फ्लोर टेस्ट की तैयारी है लेकिन इससे पहले ही बिहार की राजनीति में फिर से ‘खेला’ होने के कयास लगाए जा रहे हैं. इसमें तो कोई शक नहीं कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के कुछ विधायक और नेता बीजेपी के साथ जाने से नाराज हैं जिसका खामियाजा नीतीश को उठाना पड़ सकता है. राजद के नेता पहले से ही सियासी खेला होने का दावा कर रहे हैं. इसकी एक झलक शनिवार को देखने को भी मिली है जिसके बाद सियासी पारा गर्मा रहा है.
दरअसल, बिहार में फ्लोर टेस्ट से पहले पटना में आयोजित जदयू की अनौपचारिक बैठक में कई विधायकों के नहीं पहुंचने से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो चुका है. इससे नाराज होकर नीतीश खुद 15 मिनट में ही निकल गए. सीएम नीतीश कुमार ने मंत्री श्रवण कुमार के आवास पर एक भोज का आयोजन किया था जिसमें पार्टी के सभी 45 विधायकों को आमंत्रित किया गया था. जानकारी मिल रही है कि इस भोज में केवल 37 विधायक ही पहुंचे. इसका पता चलते ही राजद के नेताओं के सुर बदलने लगे हैं.
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सूत्रों से पता चला है कि जदयू विधायक डॉ.संजीव, बीमा भारती, अमन कुमार, गोपाल मंडल, शालिनी मिश्रा, गुंजेश शाह, सुदर्शन और दिलीप राय भोज में अनुपस्थित रहे. अब ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव यहां खेल कर सकते हैं. ज्यादा पुरानी बात नहीं है कि बीते बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू और बीजेपी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा और सरकार बनायी. उस वक्त लालू जेल में थे. उनके बाहर आने के केवल एक से डेढ़ साल के भीतर नीतीश ने पाला बदलकर राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली. तेजस्वी यादव के दबाव के चलते जदयू प्रमुख ने फिर से बीजेपी का हाथ थाम लिया और फिर से सीएम बन बैठे.
भूले बिसरे खबर ये भी आ रही है कि अनुपस्थित विधायकों में से कुछ ने निजी कार्य, स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है. हालांकि जदयू के नेता अपने विधायकों के गायब होने या संपर्क से बाहर होने की बात को स्पष्ट तौर पर नकार रहे हैं. रविवार को शिक्षा मंत्री विजय कुमार सिन्हा के आवास पर जदयू विधायक दल की बैठक आहूत की गयी है. इसके बाद 12 फरवरी को बिहार विधानसभा में नीतीश सरकार का बहुमत परीक्षण होना है.
इधर, बीजेपी और जदयू की सहयोगी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) के मुखिया जीतनराम मांझी से महागठबंधन में शामिल सीपीआई माले के विधायक महबूब आलम ने मुलाकात की जिससे नीतीश कुमार के चेहरे पर पहले से चिंता की लकीरें छा रही हैं. यह मीटिंग मांझी के पटना स्थित आवास पर हुई थी. मांझी की पार्टी के चार विधायक सरकार में शामिल हैं. उनके बेटे संतोष सुमन सरकार में मंत्री हैं. राजद के नेताओं द्वारा फ्लोर टेस्ट के दिन बार बार ‘खेला’ होने का दावा किया जा रहा है. ऐसी परिस्थितियों में बिहार की सियासत में हवाओं के विपरीत दिशा में बहने के कयास उठने लगे हैं.