Bihar Politics: काफी दिनों से बिहार को लेकर एक बैचेनी सी थी. यही कि क्या भविष्य है बिहार का, सरकार की स्थिरता को लेकर, राजनीति को लेकर और युवाओं के भविष्य को लेकर. आज उस बैचेनी का अंत आखिर हो ही गया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया लेकिन अब भी बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नीतीश कुमार ही विराजमान हैं. ताजिब की बात तो ये है कि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद बिहार में ये तीसरा इस्तीफा है और तीसरी बार नई सरकार बनी है. हालांकि सभी सरकारें उप चुनाव के बगैर बनी हैं. हालांकि जनता की गाढ़ी कमायी उप चुनाव रद्द न होने से बची है लेकिन जनता का जनतंत्र पर विश्वास कहीं मर सा गया है. कभी ‘सुशासन बाबू’ के नाम से प्रसिद्ध हुए नीतीश कुमार आज ‘पलटीमार’ के नाम से पाॅपुलर हो चुके हैं.
नीतीश कुमार ने आज नौवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की लेकिन छठी बार पलटी भी मारी है. यानी छह बार उन्होंने सरकार को गिराया है लेकिन मुख्यमंत्री पद की कुर्सी उन्होंने नहीं छोड़ी. नीतीश कभी लालू प्रसाद यादव की पार्टी के सदस्य हुआ करते थे. 1994 में जब लालू मुख्यमंत्री बने तो नीतीश ने पार्टी छोड़ समाजवादी आंदोलन के प्रमुख नेता जाॅर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर समता पार्टी बनायी. जातिवाद और लालू के जंगलवाद को उन्होंने पार्टी छोड़ने की वजह बताई. 1996 में उन्होंने बीजेपी से गठबंधन कर लिया और 2003 में समता पार्टी और शरद यादव की जनता दल का विलय करके जनता दल यूनाइटेड जदयू बनाई.
इसी गठबंधन के तहत उन्होंने 2005 में बीजेपी के सहयोग से सरकार बनायी और पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए. लगातार 17 साल उन्होंने बिहार में राज किया लेकिन बदलाव ज्यादा नहीं हुआ. उसके बाद जब बीजेपी केंद्र की सत्ता में आसीन होने की दिशा में आगे बढ़ने लगी तो एनडीए का हिस्सा होने की वजह से उनके मन में प्रधानमंत्री बनने की महत्वकांक्षा जागने लगी, लेकिन नरेंद्र मोदी का वर्चस्व बढ़ने और बीजेपी की ओर से पीएम पद के लिए मोदी का नाम की घोषणा के बाद 2013 में उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ दिया. इसके बाद 2014 का लोकसभा चुनाव उन्होंने अकेला लड़ा और केवल दो सीटें हासिल कर पाए. इसके बाद उन्होंने अपनी ही पार्टी के जीतनराम मांझी को बिहार का सीएम बना दिया.
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भारतीय जनता पार्टी से रिश्ता तोड़ चुके नीतीश ने 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव से हाथ मिलाया और राजद-कांग्रेस-जदयू ने मिलकर बीजेपी को धूल चटाई. नीतीश पांचवीं बार मुख्यमंत्री और तेजस्वी डिप्टी सीएम बने. जब राजद का जदयू पर दवाब बढ़ने लगा तो 2017 में रातोंरात नीतीश ने इस्तीफा दिया और अगली ही सुबह बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली और फिर से मुख्यमंत्री बन बैठे. 2020 में नीतीश ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और 7वीं बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली.
2022 में फिर से पलटी मारी और महागठबंधन में शामिल होकर लालू प्रसाद यादव की गोदी में जाकर बैठ गए. कम सीटें होने के बावजूद नीतीश को सीएम बनाया गया और तेजस्वी एक बार फिर से सीएम बने. वहीं INDIA गठबंधन को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई लेकिन डेढ़ साल में ही उसका फिर से मोह भंग हो गया और फिर से एनडीए में शामिल हो गए. दोपहर को राज्यपाल को इस्तीफा सौंप शाम तक फिर से सीएम बन गए 9वीं बार. इस बार उन्होंने आरोप लगाया कि अगले बिहार चुनाव में तेजस्वी की ओर से उन्हें सीएम पद छोड़ने के लिए दबाव बना रहे थे.
पिछले 17 सालों में नीतीश सरकार में बिहार का जो विकास हुआ है, वो तो प्रदेश और देश की जनता तो देख ही रही है. बस अंत में कहना इतना ही है कि अपनी स्वार्थ सिद्धी में पिछले 4 साल में ही नीतीश तीन बार पलटी मार चुके हैं. इतनी बार तो एक बंदर भी गुलाटी नहीं मार पाता है.